गौरांग प्रभु का मंदिर

गौरांग प्रभु का मंदिर

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बच्चो, हमारे देश में इतनी अनोखी चीजें हैं कि ५२ सप्ताह भी इनके वर्णन में कम पड़ जायेंगे।आज धनबाद के ओझा डिह गांव की बात करते हैं, यहां हैं 100 साल पुराना गौरांग प्रभु का अनोखा बैंक।

 यहां गौरांग महाप्रभु के नाम पर चल रहे इस अनोखे बैंक का सारा लेन-देन आस्था और विश्वास के नियम कायदों पर टिका है। न पासबुक की जरूरत, न चेक बुक और न एटीएम। इस बैंक में सारा काम श्रद्धा, आस्था ,मानवता और विश्वास के भरोसे ही चलता है। करीब 100 साल पहले शुरू हुए इस खास बैंक से इलाके का कोई भी जरूरतमंद लोन ले सकता है। गरीब जरूरतमंद लोग ही यहां कर्ज लेने आते हैं ।लौटाने की ,या ब्याज की कोई शर्त नहीं है। पर श्रद्धा के इस लेन-देन में आज तक नहीं हुआ कि किसी ने ऋण की रकम वापस ना की हो। यही इस बैंक की खूबी है। जरूरत पड़ने पर गरीब इस दर पर आता है, और झोली भर ले जाता है। श्रद्धा और आस्था अपना काम करती है। इनके बूते वह गरीब एक दिन अपना कर्ज उतारने में सफल हो जाता है। यही नहीं, कई बार व्यक्ति खुद ही मूलधन या मूलधन के साथ दान और सहयोग की राशि भी जोड़ कर वापस कर देता है।"

"कितनी अद्भुत बात है, श्रृद्धा और आस्था से काम,वाह !"कंवलजीत ने कहा।

"इस खास बैंक के वित्तीय प्रबंधन और संचालन की बागडोर भी ग्रामीणों के ही हाथ है। कर्ज लौटाने के लिए समय सीमा का कोई बंधन नहीं है, लेकिन ऋण देने के लिए साल का एक ही दिन तय है। लगभग 1000 की आबादी वाले इस गांव में प्रति वर्ष जेठ महीने में चार दिवसीय अखंड हरिनाम संकीर्तन होता है। इस आयोजन का सारा खर्च गांव वाले उठाते हैं। संकीर्तन संपन्न होते ही ग्रामीण बैठक करते हैं और इसी दिन कुछ घंटे के लिए या बैंक चलता है। इस मौके पर गांव का हर व्यक्ति सहयोग राशि जमा करता है। इस चंदे की रकम से हरि नाम संकीर्तन का खर्च निकाल कर बची रकम गांव के ही जरूरतमंदों को कर्ज के रूप में दी जाती है। किसी को बच्चों के स्कूल में नामांकन करने के लिए पैसों की जरूरत होती है तो किसी को बेटी की शादी के लिए। कोई घर बनाने के लिए मदद चाहता है तो कोई श्राद्ध कर्म या किसी अन्य जरूरत के लिए। जरूरत चाहे कोई भी हो हर किसी के आवेदन पर सहयोग और सहानुभूति पूर्वक विचार कर कुछ ना कुछ मदद राशि दी जाती है। हां,दहेज लिया तो दंड के रूप में रकम के पैसे लौटाने पड़ते हैं। ग्राम समिति इसका संचालन करती है।"

"कितनी अच्छी व्यवस्था, काश,ऐसा और भी जगह हो !"कपिल ने कहा।

"बच्चो,अच्छाई के वाहक हम खुद बनें, हम सुधरेंगे, जग सुधरेगा।"


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