गैंग का सर्वनाश (प्रांप्ट ११)
गैंग का सर्वनाश (प्रांप्ट ११)
"देख बे दीनू, आजकल ये फटीचर बच्चे बहुत कम भीख ला रहे है। न तो इस भीख से मेरा काम चलेगा, न पुलिस का और न ही नेता जी का। जो भी कम भीख लाता है उसकी खाल खींच दे नहीं तो भुल्लन दादा इस एरिया से मुझे निकाल कर मकसूद को ये एरिया दे देगा।"
"कल्लन उस्ताद इन बच्चो को सब पहचानने लगे है इसलिए भीख कम मिल रही है, कुछ नए लड़के भर्ती करो तभी तो भीख बढ़ेगी।"
"दीनू तेरी बात सही है, चल तू जुल्फी के साथ आज ही रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर जाकर लावारिस भटके हुए बच्चों को पकड़ और उनकी टाँगे काट कर भीख मांगने बैठा दे।"
"देखता हूँ उस्ताद; जो हाथ लगेगा उसे लेकर शाम तक हाजिर होता हूँ।"
"निकल जा पट्ठे, अगर ये एरिया मेरे हाथ से गया न तो समझ ले तू दुनिया से ही विदा हो जाएगा।"
रेलवे स्टेशन
लंगड़े बबलू ने जब दीनू और जुल्फी को रेलवे स्टेशन पर आते देखा तो वो समझ गया कि ये दोनों बदमाश कुछ नए बच्चों की तलाश में निकले है जिनके हाथ या पैर काटकर ये भीख मंगवाना शुरू कर सके।
वो दोनों भिखारी और जेबकतरा गैंग के दादा कल्लन के खास आदमी है और यहाँ के एरिया मैनेजर मुक्खा के भी बोस है यही सोचकर बबलू अपनी बैसाखी पर चलता हुआ रेलवे स्टेशन पर खड़े यात्रियों से भीख मांगने लगा।
"भैया कई दिन से भूखा हूँ कुछ खिला दो न......."
एक १० साल के बच्चे को स्टेशन पर भीख माँगते देख बबलू ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा। यह लड़का तो भिखारी गैंग का नहीं था। भीख मांगना छोड़ बबलू तेजी से उसकी तरफ लपका और बोला, "कौन है बे तू, यहाँ भीख क्यों मांग रहा है? चल भाग यहाँ से।"
"भाई भूख लगी है, तू ही कुछ दे दे।" वो लड़का गिड़गिड़ाते हुए बोला।
"भिखारी से भीख मांगते तुझे शर्म नहीं आती है? जल्दी से यहाँ से भाग जा नहीं तो कुछ दिन बाद हाथ या पैर कटवा कर मेरी तरह भीख माँगता फिरेगा।" बबलू ने उस लड़के को समझाते हुए कहा।
अचानक दीनू और जुल्फी आ धमके और बबलू को जोर से धक्का देते हुए बोले, "फ्री का ज्ञान बाँट रहा है निकम्मे, आ बेटे हम तुझे खाना खिलाते है।"
वो लड़का उनकी तरफ डर से देखता रहा।
"अबे डरता क्यों है आ तुझे सामने के होटल पर ही खाना खिला देंगे उसके बाद जहाँ तेरा मन करे चले जाना। हम भले लोग है; हमसे मत डर।" जुल्फी रेलवे स्टेशन के फर्श पर गिरे बबलू की तरफ घृणा से देखते हुए बोला।
लड़का कुछ डर सा गया लेकिन भूख से बेबस होकर दीनू और जुल्फी के साथ चल पड़ा।
उस लड़के के अंजाम से डरे बबलू के कानों में अंकुर नाम के एन जी ओ के कद्दावर संचालक अविनाश राणा की आवाज गूँज उठी- बेटे बबलू तेरे साथ जो हुआ उसे तो मै नहीं बदल सकता लेकिन किसी और बच्चे के साथ ऐसा न हो इसकी कोशिश तो की ही जा सकती है। जब भी ये भिखारी गैंग किसी बच्चे को पकड़े मुझे रेलवे स्टेशन मास्टर के फोन से फोन कर देना, फिर देख कैसे जेल में सड़ाता हूँ कल्लन और भुल्लन दादा के गैंग को।
बबलू ने अपने आप को संभाला और स्टेशन मास्टर के फोन से अविनाश राणा को फोन कर दिया।
अंकुर एन जी ओ के संचालक अविनाश राणा के प्रयासों से शाम तक कल्लन और भुल्लन गैंग रंगे हाथो पकड़ा गया और हवालात की सलाखों के पीछे जा पहुँचा। राज्य मंत्री ने अपने गुर्गे हवालात में भेजकर कल्लन और भुल्लन को समझा दिया कि वो उन्हें बचाने का पूरा प्रयास करेगा बशर्ते वो उसका नाम कहीं न ले।
एक महीने बाद
'कल्लन और भुल्लन नाम के इन बदमाशों के सब कारनामे खुल चुके है, बबलू और दूसरे बच्चों की गवाही और अंकुर एन जी ओ के संचालक अविनाश राणा के बयानों के आधार पर पूरे गैंग को २० साल की कैद बामुशक्कत दी जाती है। जाँच में राज्य मंत्री अनुपम रे का और दस पुलिस अफसरों की इस गैंग के साथ संलिप्ता सिद्ध हो चुकी है इस विषय में सरकार इन लोगों पर अलग से मुकदमा कायम करे ताकि इनके विरुद्ध भी समुचित सजा का प्रावधान किया जा सके।'
सजा सुनाने के बाद जज रवि प्रशाद ने अदालत की कार्यवाही समाप्त की।
आज बबलू और उसके साथी आजाद थे और अंकुर एन जी ओ के संचालक अविनाश राणा की मदद से उचित शिक्षा प्राप्त कर एक अच्छे जीवन की संभावना तलाश कर रहे थे।