Shalini Dikshit

Tragedy

5.0  

Shalini Dikshit

Tragedy

एसिड अटैक

एसिड अटैक

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232


"हैलो क्या आज मिलने आ रही हो या अब तक नाराज हो मुझ से?" राजेश ने फोन पर रीटा से कहा।

"आऊंगी जरूर क्योकि मैं तो तुम से प्यार करती हूँ ज्यादा देर नाराज रह नही सकती, लेकिन तुम भी एक वादा करो, मुझ से मेरी बाते करोगे हमेशा अर्चना की जानकारी ही लेते रहते हो मुझ से।" रीटा ने उदासी से कहा।

"सॉरी बाबा माफ कर दो अब क़ान पकड़े।" राजेश बोला।

राजेश की प्यार भारी लच्छेदार बातों से रीटा पूरी तरह प्रभावित हो चुकी थी। उस को बस हमेशा राजेश से मिलने का मन करता रहता जब भी वह मिलते राजेश थोड़ी देर के बाद ही उसकी रूम मेट के बारे में जानकारी लेने लगता जैसे वो कब निकलती है क्लास के लिए या कभी मार्केट जाती है तो किधर जाती तभी कल रीटा नाराज हो गई की तुम मुझ से मिलने आते हो की अर्चना की जानकारी लेने।

रीटा उस को वैसे भी बहुत कुछ पहले ही बात चुकी थी अर्चना के बारे में की उसका घर उन्नाव में है और मेडिकल की कोचिंग के लिए वह होस्टल में रहती है मेरे ही रूम में।

राजेश आज पूरी तरह सतर्क है की आज अर्चना की कोई बात नही करेगा रीटा से, नही तो बना बनाया खेल बिगड़ जाएगा, उसको हर हाल में अर्चना से बदला लेना है आखिर वह समझती क्या है खुद को कितने दिन पीछे लगा रहा उसके हर कोशिश की पर वह मानी नही, खुद को परी समझती है न, मैं इतना भयानक कर दूंगा उसका चेहरा की डॉ बन जयएगी तो भी लोग इलाज कराने नही आएंगे क्योकि इतनी भयानक लगेगी।

"यह लो डिअर तुम्हारे लिए नया मोबाइल।" राजेश ने बोक्स रीटा की तरफ बढ़ाते हुए कहा।

"अरे यह क्यों मेरे पास तो मोबाइल है।" रीटा बोली।

"तो क्या हुआ यह तुम को मनाने के लिए, अब मत होना नाराज कभी।"

राजेश की बात से रीटा शर्मा गई।

"अच्छा ये बताओ तुम्हारा घर किधर है?" रीटा ने सवाल किया।

"बस यही तुम्हारे होस्टल के पीछे की गली में और पता मेरी एक बहन भी है बिल्कुल तुम लोगो जैसी ही कद काठी है उसकी भी।" राजेश ने बताया आज वह रीटा को पूरा विश्वास में लेना चाहता है तभी परिवार की बातें भी कर रहा।

"तुम लोगो जैसी मतकब?" रीटा ने सवाल किया।

"मतलब तुम्हारे और अर्चना जैसी।"

"ओह ! ऐसा !"

"अब चलते है बहुत देर हो गई है लेकिन कल एक काम कर देना मेरा प्लीज़।" राजेश ने मनुहार करी।

"ठीक है; क्या है बोलो?"

"जब अर्चना कल क्लास निकले के लिए तो इस नए मोबाइल से मुझे बता देना फोन कर के।"

"फिर वही उसकी ही बात करी तुम को क्या करना वो कभी भी जाए कही भी जाए?" रीटा बोली गुस्से से

"अरे यार! मेरा एक दोस्त है उसको चाहता है लेकिन हिम्मत नही जुटा पा रहा अब कल प्रपोज करने की सोच रहा है।"

"ओके यह बात, बात दूँगी।" कह कर रीटा चली गई।

राजेश खुश था कि कल उसका बदला पुरा हो जाएगा अब पता चलेगा अर्चना को की मुझे न बोलने का मतकब क्या होत है?

राजेश ने किसी को फोन किया की कल ग्यारह बजे के आस पास गली के पास तैयार रहना फिर मैं फोन करूंगा।

आज रात को राजेश को नींद नही आई बस सुबह होने का इंतजार करता रहा की कब ग्यारह बजेगा कब काम होगा उसका। सुबह होते ही उन लड़को को हिदायत दे दी है की साढ़े ग्यारह बजे ही बोतल ले के पहुँच जाना जगह पर और जब मैं फ़ोन करूंगा उस के लगभग दस मिनट बाद वो मोड़ पर पहुँच जाएगी तुम बिगाड़ देना पूरा चेहरा बस काम खत्म फिर।

"हलो राजेश! हाँ निकल रही है अर्चना अब, धूप तेज है तो दुप्पट्टा बंधा है उस ने।" रीटा ने बताया । लेकिन राजेश ने पूरी बात सुने बिना सर्फ निकल रही है सुन के फ़ोन रख दिया।

राजेश ने लड़को को फ़ोन किया की वह निकल गए है; अभी 8-10 मिनट में पहुचेगी मोड़ पर।

भाड़े के टट्टू हाथ में फ़ोटो लिए इंतजार कर रहे थे तभी एक लड़की दिखी लेकिन उस ने मुह पर दुप्पट्टा बांध रखा था दोनो बौखला गए क्या करे क्या न करें तभी एक बोला वही होगी टाइम भी यही है और कद काठी से बिल्कुल वैसी ही है।

उसके चेहरे पर तेजाब फ़ेंक दोनो लड़के उसको तड़फता छोड़ भाग गये।

राजेश को खबर कर दी काम हो गया है तो राजेश चैन की सांस ले के सो गया।

"राजेश ! राजेश! जल्दी उठो हॉस्पिटल जाना है।" राजेश की माँ ने रोते हुए उसको झकझोरा।

"क्या हुआ माँ?"

"किसी ने तेरी बहन पर एसिड डाला है हॉस्पिटल से फोन आया है।"

"पर वो तो घर में थी माँ, उस को छोड़ने तो मैं जाता हूँ आज तो वो नही गई थी?" वह घबराते हुए बोला।

"अब सवाल मत करो अचानक ग्यारह बजे फोन आया की क्लास है ,तुम किसी से बातों में बिजी थे वह निकल गई अकेले ही।"

"हे भगवान लगता है उन लोगों ने मेरी ही बहन पर एसिड डाल दिया उन को नर्क में भी जगह नही मिलेगी।" राजेश खुद से ही बड़बड़ाता हुआ हॉस्पिटल भागा।


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