एक वादा
एक वादा
दिसंबर की सर्द शाम थी कोई ऑफ़िस के बाहर ठण्ड में ठिठुरते हुए स्कूटी लेकर मेरा इंतज़ार कर रही थी, मुझे देखते ही मेरे सीने से आ लगी और कहने लगी जन्मदिन मुबारक हो, मेरे जन्मदिन का सबसे बेहतरीन तोहफ़ा मुझे मिल गया था। पल में लगा जैसे की दुनिया की सारी ख़ुशियाँ मिल गयी हों। मैंने उसके माथे को चूमा और कहा कि एक वादा करोगी मुझसे? मेरी आँखों में झांकते हुए उसने हाँ में अपना सर हिलाया।
चाहे हमारे बीच कितनी ही दूरियाँ क्यूँ न हो, चाहे ये जमाना हमें अलग ही क्यूँ न कर दे पर तुम मुझसे मेरे जन्मदिन पर यूँ ही मिलने आया करोगी??
उसने कहा मैं वादा करती हूँ, मैं ज़रूर आऊँगी।
और वो आज भी अपना वादा निभा रही है।
अब वो रोज मिलने नहीं आती है पर जब भी ऑफ़िस से बाहर निकलता हूँ तो बस इसी तमन्ना में की कोई स्कूटी लेकर मेरा बेसब्री से इंतज़ार कर रही होगी।