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Devaram Bishnoi

Romance Tragedy

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Devaram Bishnoi

Romance Tragedy

"एक तरफा प्यार"

"एक तरफा प्यार"

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हमारे गांव में स्कूल में पढ़ाई करने वाले

दो विद्यार्थियों के बीच प्यार हों गया।

लक्ष्मी दसवीं कक्षा कि छात्रा थी।

संजय उसका सहपाठी विधार्थी था।

दोनों के घर भी पास पास ही थे।

दोनों कक्षा में भी पास पास ही बैठते थे।

दोनों स्कूल भी एक रास्ते साथ में हीआते जाते 

खुब हंसी मज़ाक करते थे।

संजय बड़ा होशियार स्कुल पढाई में भी काफी तेज लड़का था।

तो लक्ष्मी भी कोई कम नहीं थी ।

वह भी बड़ी होशियार पढाई में काफी तेज लड़की थी।

लक्ष्मी संजय को दिल ही दिल पसंद करने लगीं।

उसे सहपाठी विद्यार्थी संजय से एक तरफा प्यार हों गया।

संजय इस बात से बिल्कुल हीअनभिज्ञ था।

परन्तु लक्ष्मी ने एक दिन संजय को 

दिल से बड़ी सफाई सेआई लव यू बोला।

परन्तु संजय उसकी बात को मज़ाक समझ रहा था।

लेकिनअगले ही दिन लक्ष्मी उसके घरआई थी।

और रोजाना कि तरह शाम को दोनों संजय ‌‌के रूम में पढ़ाई कर रहें थें।

तभीअचानक लक्ष्मी ने संजय को कीस कर दिया। 

संजय लक्ष्मी कि इस गंदीअचानक कि हरकत से 

काफ़ी नाराज़ हुआ।

लक्ष्मी को उसी समय बहुत ही बुरा भला कहा।

लक्ष्मी ने संजय को बताया कि कया तुम्हें यह पता नहीं हैं।

कि मैं तो तुमसे बहुत प्यार करतीं हूं।

तुम्हारे बिना मैं ज़िंदा नहीं रह सकती हुंं।

मैं तो तुम्हारे साथ शादी करना भी चाहती हूं।

तो फिर संजय ने उसे समझाया किअभी 

हमारी उम्र प्यार शादी करने लायक नहीं है।

हम दोनों तो बच्चे हैं।

हमें सिर्फअभी पढ़ाई-लिखाई में 

ध्यान देने कि जरूरत है।

अभी तक यह बात लक्ष्मीऔर 

संजय के बीच में ही हुई थी।

किसी तीसरे पक्ष को पता नहीं थी।

मतलब दोनों के घरवालों को भी पता नहीं थी।

लेकिन संजय तो पढ़ाई-लिखाई में 

भी बहुत होशियार तेज़ लड़का था‌।

इसलिए लक्ष्मी कि कहीं सारी बातें 

हरकतेंअपने घरवालों को बताई।

फिर संजय के घरवालों ने आनन-फानन में 

संजय का‌ स्कूल बदलने का‌ निर्णय लिया।

उसकी टी सी कटवा के दूसरे शहर मुम्बई भेज दिया।

 वहां पर उसके ताऊजी का खुद का व्यवसाय घर था।

इसअचानक घटित घटनाचक्र से लक्ष्मी मन ही मन काफी दुखी हुई।

कयोंकि संजय के घरवालों के इस निर्णय से 

वह संजय से मिलने जुलने से भी वंचित हो गई।

संजय से शादी कि बात तो दूर रहीं।

उस दिन से वह एकदम गुमशुम रहने लगी।

फिर एक दिनअचानकअपने घर पढाई के कमरे में पंखे से फांसी लगाकर झुल गई।

लक्ष्मी ने यकायकआत्महत्या खुदकुशी कर ली।

यह पुरी बात जब संजय को पता चलीं।

तो संजय ने रो रो कर अपना बुरा हाल कर लिया।

और बोला कि लक्ष्मी किआत्महत्या के लिए 

मैं स्वयं ही जिम्मेदार हूं।

मैंअपनेआप को इसके लिए ज़िन्दगी में 

कभी माफ नहीं कर सकूंगा।

कि मेरे घरवालों के एक ग़लत निर्णय ने लक्ष्मी कि अनजाने में भुलवश जान ले ली।

काश,यदि हम सब मिलकर लक्ष्मी को समझा देते

लक्ष्मी सेअनुनय विनय करके प्रसन्न कर मना लेते।

कि लक्ष्मी यह तुम्हारी अभी इस छोटी उम्र में प्यार शादी कि बात एकदम ग़लत हैं।

शायद वो हमारी बात समझ जाती।

तो उसकी जान हम सब मिलकर बचा सकते थे।

परन्तु मेरे घर वालों के नादानी पुर्ण एक ग़लत निर्णय से मेरी सहपाठी लक्ष्मी कि जान चली गई।

इसका भावार्थ यह हैं कि प्रेम प्रसंग में प्रेमी युगल मामले में हम कभी भी नादानी पुर्ण जबरदस्ती गलत निर्णय नहीं ‌सोच विचार कर उचित निर्णय लेवें।

मतलब बड़ी ही सुझबुझ से प्रेमी युगल को समझा बुझाकर उचित निर्णय लेंवे।जय हिन्द 


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