एक मुलाकात स्टेडियम में
एक मुलाकात स्टेडियम में


आज उस शहर में जाना हुआ, जहां हम तुमसे मिले थे। अचानक नज़र पड़ी उस स्टेडियम पर। याद आया कि इसी स्टेडियम में हम लोग एक बार छुप कर आये थे। उस दिन तुमने मिलने की जिद्द की थी तो, मैंने अपनी बेस्ट फ्रेंड को मनाया की तुम भी चलो। स्टेडियम के बाहर जब हम लोग पहुँचे तो तुम बोले कि अंदर जा कर बैठते हैं। आस पास कोई दरबान नहीं था, हम तीनों चुपके से छोटे गेट से अंदर घुस गए। वहां जाने के बाद मेरी दोस्त ने अपनी नोट बुक निकल ली कि मैं तो अपना काम करूँगी, तुम लोग बातें करो। हम तुम थोड़ा और आगे जा कर बैठ गए, तुमने अपने हाथ में मेरा हाथ लिया और बोले ये हाथ हमेशा मेरे हाथ में ही रहेगा। तुम्हारी बात ने मे
रे दिल में शहनाई की धुन छेड़ दी। तुम्हारे काँधे पे सर रख कर मैं अपने को दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की मान रही थी। उस पल में सब कुछ थम जाए, ऐसा ही सोच रही थी मैं। कितना खूबसूरत एहसास था। आप उसके करीब जिसे आप दिलोजान से चाहते हैं। कितनी बातें हुईं हमारे बीच। एक छोटा सा चॉकलेट हमने शेयर किया। कौन ज्यादा प्यार करता है इस पर झगड़ भी लिए। और फिर एक दूजे को मना भी लिया। उफ्फ क्या हसीन पल थे वो। जहाँ किसी के देख लिए जाने का डर था तो तुमसे मिलने उमंग भी। वो लम्हे कभी वापस नहीं आएंगे। पर तुम कब लेने आओगे, 15 मिनेट में आता हूँ बोल कर कहाँ हो ? जी हां उन खूबसूरत लम्हों का साथी ही मेरा जीवन साथी है।