आँख मिचौली

आँख मिचौली

7 mins
609


आज मेरे कॉलेज का पहला दिन था, भैया के दोस्त की बहन भी उसी कॉलेज में जा रही है तो वो और मैं साथ जाएँगे। मेरी नई दोस्त स्नेहा, बहुत स्मार्ट और बोलने में भी तेज।

मैं गर्ल्स स्कूल से निकली थी वो प्राइवेट स्कूल से। मुझे अच्छा लगा एक ऐसी दोस्त पा कर। हम दोनों साथ कॉलेज पहुँचे। पहली मंज़िल पे मेरा क्लास होनी थी, हम दोनों वहां पहुचे तो और भी क्लासमेट वहां मिले। पता चला कि अंदर थर्ड ईयर की क्लास चल रही है दस मिनट में क्लास खत्म हुई और वो लोग बाहर निकले। मैं और स्नेहा रुक गए कि सब अंदर जाए फिर हम लोग चलेंगे। जैसे ही हम लोग अंदर जाने को हुए मैं किसी से टकरा गई, नज़र उठाई तो सामने जो थे उनको देखते ही दिल ज़ोर से धड़का। ऐसा लगा बाहर ही आ जायेगा। फिर जब हम लोगों की क्लास खत्म हुई तो बाहर देखा कुछ सीनियर्स खड़े थे, बोले शनिवार को तुम लोगों फ्रेशर पार्टी है, कोई भी ग़ायब नहीं होना चाहिए।

हम सबने डरते हुए हामी भर दी। शनिवार को ऐसी हालत थी कि दर के मारे हाथ ठंडे पड़ गए थे। सबका परिचय बारी बारी माइक पर हो रहा था। जैसे ही मेरा नाम पुकारा गया, लगा गस खा कर गिर जाऊंगी। स्नेहा ने मुझे हिम्मत दिलाई, मैंने माइक हाथ मे लिया, सवाल पूछे जाने लगे। तीन चार सवाल बाद मैं बहुत डरी हुई थी, तभी किसी सीनियर ने गाने को बोला, मेरी तो आवाज़ ही नहीं निकली। तभी मेरे बगल में वो आये और बोले ठीक है तुम जाओ अब। मैंने नज़र उठा के उनको देखा और थैंक यू सर् बोल के वापस आ गयी। दिल ही दिल मे उनको बहुत सारा थैंक्स बोला। जब पार्टी खतम हुई तो स्नेहा ने कहा तुम्हे जा कार धन्यवाद देना चाहिए। उसका हाथ पकड़े मैं उनके पास गई और थैंक्स बोला, मुस्कुरा के वो बोले मेरा नाम अर्जुन है। तुम नाम से बुला सकती हो। तुम बहुत अच्छा बोली। और हाथ बढ़ा दिया, मैने भी हाथ मिला लिया। ऐसा लगा कउसके बाद जाने कितनी ही बार आते जाते उनसे नज़र मिली और आंखों ही आंखों में हमने एक दूसरे का हाल पूछा। कभी सीढियों पर, कभी क्लास से बाहर निकलते हुए। कभी लैब के बाहर हम दोनों की नज़रे जब भी टकराई, हम दोनों ने ही कुछ महसूस किया। शायद ये वो ही एहसास था जिसे लोग प्यार कहते हैं।

कितना खूबसूरत एहसास है पर कुछ पक्का नहीं था, मैं तो अब अपनी फीलिंग्स के लिए लगभग राज़ी थी।

कुछ दिनों बाद हम लोग जब क्लास से बाहर निकले तो देखा वो लोग सबको बुला के कुछ कह रहे थे, हम लोगों को भी बुलाया, बोले पिकनिक प्लान कर रहे हैं, अगले संडे को, यहां से 3 घंटे के दूरी पर एक पिकनिक स्पॉट है वहां। जाड़े के दिनों में वहां भीड़ भी कम होती है। मैंने भी हाँ कर दिया। और बेसब्री से संडे का इंतजार करने लगी। संडे को मैं और स्नेहा दोनों जब कॉलेज गेट पे पहुचे तो देखा बहुत से लोग थे, पर वो नहीं दिख रहे थे। मैंने स्नेहा को पूछा तो उसने कहा तुझे सबमे बस वही नहीं दिखे, क्या बात है, ? लगता है कोई बात है। मैने तुरंत कहा नहीं ऐसा नहीं है, वो तो उस दिन उन्होंने ही कहा था इसलिए। पर दिल मे सच मे लगा कि हां मैं उनको ही मिलना चाह रही थी, मेरी नज़रों को बस उनका ही इंतेज़ार था। तभी सामने से आते दिखे वो। ऐसालगा अचानक ही सब कुछ बहुत सुंदर हो गया। मौसम, वो जगह, सब कुछ। वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा दिए, और बोले अच्छा लगा तुम्हे देख कर। और आगे बढ़ गए, उनकी इस बात से मेरे दिल मे एक हलचल सी हुई। मैंने नोटिस किया कि जब जब मैं उनकी तरफ देखती, उनकी नज़र मुझे ही देख रही होती। ऐसा लग रहा था मानो वक़्त थम गया, सब कुछ एक दम नया था, एहसास भ पूरी पिकनिकयही आँख मिचौली चलती रही। मेरा ध्यान भी उन पर ही था। चोरी चोरी एक दूसरे को देखने मे जो गुदगुदी थी, उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।  पिकनिक से आये एक हफ्ता हो गया था, कॉलेज में स्पोर्ट्स डे की तैयारी चल रही थी, तभी मैंने देखा कि वो स्नेहा से कुछ बात कर रहे थे, थोड़ी देर बाद स्नेहा मेरे पास आई और बोली शाम को हम दोनों को कैंटीन बुलाया है। मैंने पूछा क्यों तो बोली बुला तो तुझे ही रहे हैं, पर तू अकेले नहीं आएगी इसलिए मुझे भी कहा है।

मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था, पता नहीं क्यों बुलाया ? क्या वो कुछ कहना चाह रहे हैं? क्या वही ? दिल ज़ोर से धड़कने लगा कि पता नहीं क्या बात है। शाम का इंतज़ार खत्म ही नहीं हो रहा था। 5 बजते ही हम दोनों कैंटीन पहुचे। वो वहां पहले से ही थे अपने दोस्त के साथ। हम चारों बैठ गए, 5 मिनट बाद ही स्नेहा और अर्जुन के दोस्त कहीं बाहर गए, अब हम दोनों ही थे। तभी बिना देर लगाए वो मुझे सीधा बोल दिए क्या तुम मेरे साथ अपनी पूरी लाइफ जीना पसंद करोगी? मैंने इतना डायरेक्ट सवाल उम्मीद नहीं किया था। हाँ तो दिल ने कब से बोल दिया था, पर जाने क्यों शब्द बाहर ही नहीं आ रहे थे ! अचानक ही उन्होंने अपने हाथ मे मेरा हाथ थाम लिया और बोले तुम्हारी सादगी ने पहले दिन ही मुझे तुम्हारा बना दिया था।

जब तुम पहले दिन कॉलेज में एंट्री ली थी तब मैंने तुम्हें देखा था। फिर जब तुम क्लास से निकलते वक्त मुझसे टकराई तो मुझे तभी एक कनेक्शन का एहसास हुआ था। बस सही दिन का इंतज़ार कर रहा था, जानना चाहता था कि तुम्हारे दिल मे क्या है? स्नेहा से बात किया तो लगा शायद तुम भी मुझे पसंद करती हो, इसलिए आज अपने दिल की बात तुम्हे कह रहा हूँ। अगर तुम्हें नहीं कहना हो तो, अभी बात दो। अब अर्जुन चुप थे, मेरे शब्द मेरे मुंह मे जैसे जम गए थे। । अर्जुन को लगा मैं नहीं कहने वाली हूँ, तो वो उठ कर जाने लगे कि सॉरी मैंने तुम्हारा वक़्त खराब किया। और वो आगे बढ़े मैने झट से उनका हाथ पकड़ लिया, । और बस इतना ही कहा मैंने ना कब कहा जो आप चल दिये। और बस यहां से हमारी लाइफ बदल गयी। प्यार के एहसास ने हम दोनों को एक कर दिया था। जब भी थोड़ा फ्री टाइम होता, हम कैंटीन में बैठ कर बातें करते, कभी बाहर जाते। ज़िन्दगी बहित खूबसूरत चल रही थी। लगा जैसे ये दिन लाइफ के सबसे बेहतरीन दिन हैँ। अर्जुन इतने समझदार और केयरिंग हैं कि कभी कभी अपनी तक़दीर पे रस्क होता था।

वो हमेशा मेरे लिए बहुत फिक्रमंद रहते थे और कहते थे, तुम कुछ चिंता मत करना। मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा। हम एक दिन साथ होंगे ये मेरा वादा है।  ऐसे ही हमारा समय निकलने लगा। कुछ महीनों बाद उनकी डिग्री खत्म हो गयी और वो बाहर चले गए। जिस दिन वो जा रहे थे मैं बहुत रोई, ऐसा लगा जैसे मेरी जान निकली जा रही थी। मुझे अपने सीने से लगा कर अर्जुन ने कहा रो मत, बहुत जल्द हम साथ होंगे हमेशा के लिए। तुम ऐसे रोओगी तो मैं कैसे जा सकूँगा। तुमसे दूर जाना मुझे भी पसंद नहीं, पर ये हम दोनों के लिए है। तुम मेरा प्यार ही नहीं मेरा अभिमान और प्रेरणा भी हो। मैं तुमसे मिलने आता रहूंगा, मेरे माथे को हल्के से चूम कर वो चले गए। वक़्त धीरे धीरे आगे बढ़ता गया।

मेरी डिग्री भी पूरी हो चुकी थी और मैंने बीएड जॉइन कर लिया था। एक शाम जब घर पहुची तो देखा, घर मे कुछ लोग थे, हसी खुशी का माहौल था। मुझे देख कर सब बड़े खुश हुए, माँ ने बताया मेरे लिए बहुत अच्छा रिश्ता आया है। पापा ने भी हाँ कर दी, लड़का भी आया है। उपर भैया के साथ बैठा है। ज़ोर का झटका लगा मुझे, मैं उपर भैया के कमरे की तरफ भागी। भैया मेरी बात जरूर समझेंगे। भैया बीच मे ही मिल गए, भैया मैं किसी और से प्यार करती हूँ, उसके सिवा मैं किसी से शादी नहीं करूँगी। एक सांस में सब बोल गई थी मैं। भैया बोले अब कुछ नहीं हो सकता, लड़का अच्छा है तू भी मिल ले, अंदर बैठा है। मैं अभी आता हूँ, बोल के भैया नीचे गए। मैंकमरे में अंदर गयी, उसको देखे बिना मैंने बोल पड़ी, मैं आपसे शादी नहीं कर सकती, मेरे दिल मे कोई और है।

ठीक है फिर आप अपने प्यार से ही शादी करिये, मैं चला। मैं खुशी से चौंक के उसको थैंक्स बोलने के लिए जब उनके सामने पहुची तो भौचक्की रह गयी, अर्जुन आप !

वो मुस्कुरा के बोले तो मैं जाऊं, आप तो मुझसे शादी करेंगी नहीं। बिना कुछ बोले उनके गले लग गई। बाहर से आवाज़ आयी, अगर राज़ी हो तो दोनों नीचे आ जाओ। अर्जुन ने मेरा हाथ थामा, और मैंने उनका। आज लगा ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है। मेरे हाथ मे मेरे प्यार का हाथ था और सिर पे बड़ो् का आशीर्वाद भी। थैंक यू भगवान जी !


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance