Ankur Singh

Horror

4.5  

Ankur Singh

Horror

एक हॉन्टेड कैमरा

एक हॉन्टेड कैमरा

15 mins
488



स्थान - मुम्बई

समय - 6 महीने पहले

भोपाल से मुम्बई जाने वाली एक ट्रेन .. प्लेटफार्म पर खड़ी थी .. उसमे से एक लड़का किसी तरह नीचे उतरा .. नौजवान के चेहरे पर मुम्बई पहुंचने की खुशी थी। वो एक बड़ा सा बैग और एक पिट्ठू बैग (कॉलेज बैग) ले के ट्रेन से उतरा और इधर - उधर देख कर किसी को खोजने लगा।

तभी भीड़ में से किसी ने आवाज दी ..

- अंकुर ... अंकुर .. इधर .. इधर देखो ..

अंकुर की नजर आवाज की तरफ गयी .. उसे भीड़ में एक जाना - पहचाना चेहरा दिखा - भीड़ में उसे नीलेश देखा .. उसका पुराना बचपन के समय का दोस्त। क्लास 6 में था शायद जब नीलेश से मुलाकात हुई थी। पुरानी यादे अंकुर के दिमाग पर हावी होने लगी -

'नीलेश दिखने में साधारण सा पर सीरत से अच्छा इंसान था .. खूब मस्ती किया करते थे पर साल बदलते - बदलते उसने स्कूल ही बदल लिया और फिर वो आइस गायब हुआ कि मिला ही नहीं .. कुछ दिनों पहले फेसबुक पर अचानक दिख गया .. कुछ बातें करने के बाद मैंने यही से फोटोग्राफी में कैरियर बनाने का फैसला लिया और यहां चला आया'

अंकुर को खयालों में खोया देख नीलेश .. भीड़ में जगा बनाते हुए अंकुर के पास आया .. दोनों ने बाते शुरू की .. अतीत की .. वर्तमान की और आने वाले भविष्य की .. बातों का दौर नीलेश के रूम तक चला।

अंकुर ने नीलेश के यहां .. हॉस्टल न मिलने तक रुकने का फैसला कर लिया।

अगली सुबह अंकुर ने कॉलेज जा कर एडमिशन लिया और संबंधित प्रोफेसर से मिला। अंकुर अपने साथ एक कैमरा लाया था और कुछ फ़ोटो जो उसने कैमरे के द्वारा खिंची थी। प्रोफेसर .. अंकुर द्वारा खिंचे गए फ़ोटो के एंगल और क्वालिटी की तारीफ किये बिना खुद को रोक नहीं पाए।

अंकुर को हॉस्टल मिलने में महीने भर का समय लग गया। तब तक दोनों ने मुम्बई की ज्यादातर जगह घूम ली थी। अंकुर को नीलेश का साथ छोड़ने का जरा भी मन नहीं था पर पढ़ाई की मजबूरी जो न कराए वो कम।

शुरू के 2-3 महीने बड़े मज़े से गुजरे .. अंकुर क्लास में सबसे तेज़ था .. फोटोग्राफी स्किल सीखना कभी आसान नही होता कभी - कभी एक ही स्किल को सीख कर उसे निखारने में महीने तक का समय लग जाता है। अंकुर को फोटोग्राफी के अलावा लिखने का भी शौक था .. अक्सर उसकी कहानियां और कविताएं न्यूज़पेपर व मैगज़ीन में छपा करती।

क्लास की लड़कियां अंकुर के फोटोग्राफी स्किल को बहुत पसंद किया करती .. वहीं क्लास के लड़के .. उसे जला करते। उन्हीं में से एक है 'टेड' हालांकि उसका असली नाम तन्मय है पर दोस्तों के बीच 'भौकाल' बनाने के लिए उसने अपना निकनेम 'टेड' रख लिया। टेड के जलने के पीछे एक और कारण था - उसकी क्रश - अंजली .. जिसका क्रश अंकुर है।

इस ट्रायंगल की चर्चा पूरे क्लास में थी पर अंकुर का पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर था पर टेड को किसी भी तरह इस ट्रायंगल के समीकरण को बदलना था।

आज से 16 दिन पहले

टेड अपने 2-3 साथियों के साथ एक प्लान बनाता है। कॉलेज से छूटने के बाद अंकुर और अंजली आपस में बात करते हुए निकल रहे थे। गेट से बाहर निकलते ही अंजली और अंकुर अपने अलग - अलग रास्तों पर चले गए। अभी अंकुर थोड़ा ही आगे गया होगा उसके सामने तेज़ी से एक वैन आ कर रुकी और उसमे से 2 लोग निकल .. उसे जबरी वैन में बिठाने लगे। तमाम कोशिशों के बावजूद अंकुर खुद को बचा नही पाया .. वैन में बिठाते ही नाक पर क्लोरोफॉर्म सुंघा दिया गया।

थोड़ी देर बाद अंकुर की आंख खुली उसने अपने आपको बंधा हुआ पाया। किसी तरह नजर उठा कर देखा सामने 3 लोग नकाब पहन कर खड़े थे। उन्होंने अंकुर के होश आते ही मारना - पीटना शुरू किया और तब तक पीटा जब तक अंकुर दुबारा बेहोश न हो जाए। अंकुर के बेहोश होते ही वे उसे छोड़ कर चले गए।

अंकुर ने आँखे खोली .. लेटे-लेटे जितना देख सकता था उतने में उसे आभास हो गया कि वो अपने हॉस्टल के कमरे में है। कही से खटपट की आवाज आयी तो उठ बैठा।

उसे अपने कमरे में कोई दिखा .. एक क्षण को मान लिया कि ये सकम रूम पार्टनर है पर तभी एक याद उसके मस्तिष्क को झकझोर दिया .. उसका पार्टनर तो कई दिनों से गांव में है।

इससे पहले कि अंकुर कह पाता .. उसके कमरे में मौजूद दूसरा शख्श उसके पास आया और सिर पर हाथ रख कहा -

- सो जाओ

उस शख्श के इतना कहते ही अंकुर को गहरी नींद आ गयी और बिस्तर पर सो गया।

चैप्टर - 2

शैतान की वापसी

अंकुर की नींद करीब रात को 8 बजे के आस - पास खुली। पिछली बार की अपेक्षा अब ज्यादा अच्छा फील कर रहा था। अंकुर के बगल में बैठा शख्श .. उठ कर पास आया और अंकुर से हाल - चाल लेने लगा।

उस शख्श का नाम - माइकल है और वो उसी स्थान के पास था जहां अंकुर को बांध कर रखा गया था। उन गुंडों के वहां से जाते ही माइकल ने अंकुर को बंधन से मुक्त कराया और अपने साथ ले कर हॉस्टल आया।

रात होते होते अंकुर को पता चला कि उसका कैमरा वही तोड़ कर फेंक दिया गया था। अंकुर को अपने कैमरे से बहुत प्यार था उसी कैमरे की वजह से वो यहां तक (इस मुकाम तक) आ पाया था। माइकल से अंकुर का दुख बर्दाश्त नहीं हुआ। माइकल ने फैसला किया की वह तब तक रुकेगा जब तक अंकुर मानसिक और शारीरिक रूप से फिट नहीं हो जाता है।

अगले दिन शाम को माइकल बाहर से एक गिफ्ट बॉक्स ले कर आया पर अंकुर को तुरंत देने के बजाये उससे एक शर्त लगाई .. शर्त ये थी कि अंकुर को रोज कुछ लिखना होगा .. कहानी जैसा ..

शुरू में अंकुर को शर्त अजीब लगी पर खाली बैठा था मरता क्या न करता .. उसी दिन रात से कहानी लिखना शुरू किया।

अंकुर इस बात से बेखबर था कि माइकल उसे कंट्रोल करना चाह रहा था। माइकल ने एक शर्त और जोड़ दी कि -

'तुम उसी टॉपिक पर लिखोगे .. जो मैं दूंगा।'

माइकल ने अंकुर को हॉरर टॉपिक पर लिखने को कहा - कुछ अतीत के टॉपिक रहे और कुछ वर्तमान के ... टॉपिक के नाम ऐसे थे -

शापित गुड़िया , भूतिया बंगला , खौफनाक जंगल , खूनी बावड़ी , हॉन्टेड हॉस्टल , नाले बा , वैम्पायर इत्यादि। कुछ कहानियां तो ऐसी थी जो सच में उस वक़्त कहीं न कही घट रही थी।

लगातार हॉरर कहानी लिखते रहने की वजह से अंकुर का दिमाग और कमजोर होता गया और उस पर माइकल का कब्जा होता गया। आज पूर्णिमा के अगले दिन की रात पर उसे उसका गिफ्ट दे दिया ताकि वो अपनी 15वी कहानी पूर्ण कर सके और उस पर माइकल का पूरा कब्जा हो सके।

माइकल ने अंकुर को एक शापित कैमरा दिया है। वर्ष 1900 में एक ब्रिटिश - आयरिश परिवार ने इस कैमरे को खरीदा था। सब कुछ ठीक - ठाक चल रहा था कि एक दिन एक सीरियल किलर ने उस घर में दस्तक दी। उस वक़्त ये कैमरा उस घर की लड़की 'एलिस' के पास था। उस सीरियल किलर के द्वारा मरते ही उस लड़की एलिस की आत्मा ने कैमरा में जगह बना ली। जब भी उस कैमरे से किसी जीवित जीव की फ़ोटो खीचीं जाती तब कुछ ही क्षणों में उस इंसान की मृत्यु हो जाती। समय के भँवर में ये कैमरा कही खो गया था पर माइकल ने इस कैमरे को खोज निकाला और उसे अंकुर को दे दिया। अब अंकुर शहर में घूम कर लोगो की तस्वीरे लेता रहेगा और उसकी तस्वीर खीचते ही उस इंसान की मृत्यु हो जाएगी और फिर उस शरीर पर नर्क की आत्मा कब्जा कर लेगी।

गोवा में कुछ दिन पहले ऐसी कोशिश की जा चुकी है तब फादर कॉलिन्स और डैन ने मिल कर रोक दिया था पर इस बार माइकल की तैयारी पक्की है। माइकल उर्फ लूसीफर .. नर्क का राजा इस पृथ्वी को अपने हिसाब से चलाना चाहता है।*

- अब बताओ डैन क्या तुम मेरे साथ हो .. इस इंसानियत को तुम्हारी जरूरत है। (फादर ने बड़े उम्मीद से डैन से पूछा .. जवाब में डैन ने सिर्फ सिर हिला कर सहमति दे दी। डैन की सहमति मिलने से फादर पेड्रो ने राहत की सांस ली और अंकुर द्वारा लिखी हुई किताब को वापस मेज़ पर पटक दिया।)

फादर कुछ देर तक अंकुर के रूम में ही खड़े थे जबकि डैन इधर - उधर घूम रहा था और बार-बार घड़ी देख रहा था .. किसी के आने का इन्तेजार हो रहा था।

बोरियत से बचने के लिए डैन ने पूछा -

- आखिर माइकल ने अंकुर को ही क्यों चुना और किसी को क्यों नहीं

- (फादर ने सोचते हुए कहा) - माइकल एक बुरी आत्मा के जरिये ये सब काम करवा सकता था पर उसे एक भक्तिमय इंसान की जरूरत थी। एक भक्तिमय इंसान के स्तुति से ही ईश्वर को ताकत मिलती है पर जब वही व्यक्ति अच्छाई से पाप की ओर मुड़ जाए तब देवताओं को शक्तियां मिलनी कम हो जाती है और उन्हें हराना आसान हो जाता है। माइकल ने यहीं सोच कर अंकुर से हॉरर कहानी लिखवायी ताकि उसका ध्यान ईश्वर से हट जाए और वो मानसिक रुप से कमजोर हो जाए और यहीं हुआ भी .. और अब अंकुर मौत का दूत बन कर लोगों को मार रहा है।

इससे पहले फादर पेड्रो कुछ और कह पाते .. दरवाजे पर दस्तक हुई .. दरवाजे से इंस्पेक्टर आशीष कमरे में प्रवेश करता है। इंस्पेक्टर आशीष कुछ देर पहले ही अपने सीनियर इंस्पेक्टर उषा का अंतिम संस्कार कर आया है। आशीष फादर पेड्रो के साथ काफी समय से जुड़ा है। सीनियर इंस्पेक्टर उषा की मौत की बात आशीष ने ही फादर पेड्रो को बताया। पिछले कई दिनों से फादर पेड्रो .. शैतान की तरंगों को महसूस कर पा रहे थे पर वे तरंगे इतनी कमजोर थी की उनके सोर्स का पता लगाने में समय लग गया।

फादर पेड्रो ध्यान की मुद्रा में बैठ गए और अंकुर के तरंगों को पता लगाने लगे। कुछ ही क्षणों में उन्हें पता चला कि अंकुर की तरंगे अंडमान एन्ड निकोबार आइलैंड से आ रही है।

तुरंत ही फादर ने वैम्पायर हंटर .. हर्षित को फ़ोन लगाया .. जिसको उन्होंने आखिरी समय पर वैम्पायर अभय से बचा लिया था। अब वो कर्नाटक में नाम बदल कर बिज़नेस कर रहा था। फादर ने एक बड़े जहाज और साथ में एक खास पैकेट लाने को कहा-

तीनो कमरे से बाहर निकल कर रोड पर आ गए और एक कार में बैठ कर नजदीकी हवाई - अड्डे तक जाने लगे।

डैन से रहा नहीं गया उसने पूछ ही लिया -

- अंकुर अंडमान निकोबार में क्या कर रहा है ??

- (फादर ने सोचते हुए कहा) - अंकुर अपने से नहीं गया है बल्कि उसे माइकल ले गया है .. और अंडमान निकोबार जैसी जगह को चुनने का अर्थ है वो अपनी संख्या गुप्त रूप से बढ़ाना चाह रहा है .. आदिवासियों की मौत होने पर न तो किसी को पता चलेगा न ही सरकार ध्यान देगी। इस तरह देश के अलग - अलग कोने में जा कर जहां भी आदिवासी जैसे लोग होंगे उन्हें कैमरे के जरिये मारकर उनके स्थान पर अपने नर्क के सिपाहियों को खड़ा कर देगा। इफरात सैनिक हो जाने के बाद फिर बड़े देशों से युद्ध करेगा और उन्हें हर कर .. पूरे पृथ्वी पर कब्जा कर लेगा।

थोड़ी देर में कार एक प्राइवेट हेलिपैड के पास आ कर रुकी .. हेलिपैड पर एक काले रंग का हेलीकाप्टर खड़ा था। तीनो कार से उतर कर हेलीकाप्टर के अंदर बैठने लगे। हेलीकाप्टर के गेट को जैसे ही बंद किया गया .. हर्षित ने पूछा -

- आ गए सब लोग

- हा ... मेरा पैकेट कहा है

- पीछे - सबसे लास्ट में (हर्षित ने कहा और हेलीकाप्टर को उड़ाने लगा)

फादर हेलीकाप्टर के पीछे वाले हिस्से में गया .. वहां एक बड़ा से बॉक्स जैसा दिखा। बॉक्स के ऊपर काले रंग का कपड़ा डला था .. फादर ने कपड़े को हटा दिया। बॉक्स कांच का था और उसके अंदर एक इंसान कैद था - वैम्पायर अभय

फादर ने वैम्पायर से डील किया कि - अगर इस लड़ाई में उसने मदद की तो वो उसे आजाद छोड़ देगा।

वैम्पायर अभय ने ये कह कर मना कर दिया कि - वो अपने शैतान साथियों को धोखा नहीं देगा

पर फादर के मनाने पर मान गया। फादर ने एक मोतियों की माला को कांच के बॉक्स में बने एक छोटे से होल से अंदर फेंक दिया। ये माला वैम्पायर अभय को पहनना होगा ताकि वो फादर और उनके साथियों पर हमला न कर सके।

अंडमान और निकोबार आइलैंड के ऊपर हेलीकाप्टर के पहुंचते ही फादर पेड्रो ने सभी को कूदने को कहा और सेकंड पायलट से सुबह उतरने को कहा-

फादर की छोटी सी टीम थी - जिसमे खुद फादर पेड्रो , डैन , हर्षित और इंस्पेक्टर आशीष शामिल थे वही बिना टीम को बताये वैम्पायर अभय को भी इस लड़ाई में शामिल कर लिया।

वैम्पायर अभय सबसे पहले कूदा और जमीन पर उतरते ही उसने चमगादड़ की आवाज़ में कुछ कहना शुरू किया। कुछ ही क्षणों में सैकड़ों की संख्या में चमगादड़ उसके सिर के पास मंडराने लगे।

उधर अंकुर आदिवासियों की फ़ोटो जैसे ही खींच रहा था उनका पूरा शरीर ममी जैसा हो जा रहा था और वे मर कर पृथ्वी पर बेजान हो कर गिर रहे थे पर कुछ ही क्षणों में उनके अंदर जान वापस आ जा रही थी पर आत्मा शैतानी थी।

माइकल को भी इस ग्रुप के आने के बारे में पता चल गया .. उसने फौरन लगभग 1000 लोगों की सेना को लड़ने के लिए भेज दिया और अपना अंकुर को लेकर .. आदिवासियों के अन्य टोले की तरफ बढ़ गया।

फादर पेड्रो ने अपने सभी साथी को अभिमंत्रित तलवार और बुलेट प्रदान की थी। वैम्पायर अभय ने सबसे आगे रह कर मोर्चा संभालने का निर्णय लिया। उसके एक इशारे पे चमगादडों ने .. 'डेड आर्मी' से लड़ाई शुरू कर दी। उसके चमगादडों की फौज में सिर्फ 2 और लोग थे जो इंसान बन सकते थे - एरिक और मिली।

रात के 10 बजे शुरू हुए इस भीषण युद्ध में धीरे - धीरे फादर की टीम हारने के कगार पर पहुंच गयी .. चमगादड़ डेड आर्मी के गर्दन पर काट कर भाग जाते पर उनकी रफ्तार और दांतों में पैनापन इतना कम है वे किसी को मार नहीं पा रहे थे। चमगादडों का काम सिर्फ आर्मी को उलझाना और उनकी स्पीड को कम करना था।

कुछ मिनटों के युद्ध में ये क्लियर हो गया कि सैनिकों से लड़ने से बाजी नहीं जीती जा सकती इसलिए अंकुर और माइकल को मारना जरूरी हो गया था सीधी लड़ाई जरूरी थी। अभय को उसके एक चमगादड़ ने बताया की अंकुर और माइकल दूसरे गांव में है। माइकल ने तुरंत एरिक और मिली को बुलाया और उन्हें फादर पेड्रो और डैन को दूसरे गांव ले जाने को कहा-

एरिक ने फादर पेड्रो और मिली ने डैन को गोद में उठा लिया और सरपट दौड़ पड़े .. ऐसे दौड़ रहे थे जैसे चीता दौड़ता हो पर कुछ ही क्षणों में वे घेर लिए गए .. दोनों उसी वक्त उछले और डेड आर्मी के सिर पर कूदते हुए भागने लागे .. कुछ ही क्षणों में वे दोनों .. दूसरे गांव में थे।

एरिक फादर को छोड़ वापस अभय की मदद करने लौट गया .. वही मिली रुक कर मदद करने लगी। फादर ने माइकल को देखते ही गोली चला दी .. पर गोली से माइकल बच गया। दूसरी तरफ अंकुर लोगो की फ़ोटो खींचता जा रहा था शैतान बनते जा रहे थे। फादर को लगने लगा कि इस आइलैंड पर ज्यादा लोग नहीं बचे है अब ये दोनों कभी भी भाग सकते है।

फादर ने डैन को कोई तरीका सोचने को कहा - डैन डेड आर्मी से बचते हुए एक झोपड़ी में जा घुसा वहां उसे जो मिला उसको देख कर आँखो में चमक आ गयी। उसने मिली को अपना प्लान बताया .. इस प्लान के लिए मिली को जान की बाजी लगानी पड़ी और जान चली भी गयी। मिली डेड आर्मी को मारकर रास्ता बना रही थी ताकि डैन जल्दी से जल्दी अंकुर तक पहुंच सके पर बीच में ही कैमरे की फ़्लैश ने मिली को निशाना बना लिया अब ज्यादा समय नहीं था डैन के पास उसने तुरंत ही छलांग लगाई और अंकुर के सामने आ गया .. अंकुर ने जैसे ही कैमरे को क्लिक किया .. कैमरे से एक फ़्लैश निकली तो पर डैन से टकराने की बजाये .. डैन के हाथ में पड़े सीसे से टकरा कर वापस लौट कर अंकुर को लग गयी। अंकुर तुरंत ही बेजान हो कर जमीन पर गिर पड़ा इससे पहले की वो वापस लौट आये .. डैन ने तलवार से अंकुर के सिर के कई टुकड़े कर दिए।

अंकुर के मरते ही डेड आर्मी कमजोर पड़ने लगी .. माइकल भी कमजोर पड़ने लगा। फादर पेड्रो ने अभिमंत्रित गोली मारकर घायल कर दिया और डैन ने अभिमंत्रित तलवार दिल में उतार दी। माइकल के जमीन पर गिरते ही .. फादर पेड्रो ने अभिमंत्रित जल छिड़ककर उसके शरीर को आग लगा दिया।

माइकल के मरते ही पूरी डेड आर्मी अपने आप नष्ट हो गयी। इस युद्ध में हजारों आदिवासियों की जान चली गयी .. इधर वैम्पायर अभय ने अपने दोनों साथी मिली और एरिक को खो दिया। इस लड़ाई में वैम्पायर अभय की माला भी टूट कर बिखर गयी।

आशीष और हर्षित बुरी तरह घायल है। मौके के फायदे को जानकर वैम्पायर अभय ने हर्षित पर हमला करने की कोशिश की पर फादर पेड्रो ने जेब से रिमोट निकाल कर एक बटन दबाया जिससे .. अभय को बिजली का झटका लगा और वो तुरंत ही बेहोश हो गया।

फादर पेड्रो ने जब हर्षित को अभय से बचाया था तब अभय को बेहोश कर उसके शरीर में एक इलेक्ट्रिक चिप लगा दिया था।

युद्ध के खत्म होने में सुबह हो गयी .. कुछ ही घंटों में हेलीकाप्टर जमीन पर उतरा और सब वापस चले गए .. पर घंटे भर तक खोजने के बाद भी उन्हें वो कैमरा नहीं मिला। उस कैमरे का नष्ट किया जाना बहुत जरूरी था पर अंकुर के मरते ही वो कैमरा गायब हो गया और किसी को नहीं मिला। 

समाप्त

गांव के बच्चे एक वस्तु के साथ खेल रहे थे .. जिसमे से एक चमक निकलती है .. उन्हें ये वस्तु जमीन में गड़ी हुई मिली .. शायद कैमरे ने अपने अगले मालिक को खोज लिया था।

पूर्णतः समाप्त

नोट :-

* इस निशान का अर्थ है कि इसके ऊपर तक के सारे सीन को फादर पेड्रो ने कहा है

धन्यवाद।



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