बावड़ी का रहस्य
बावड़ी का रहस्य
बावड़ी होती क्या है ?? एक ऐसी जगह जहां पानी अपने आप से इकट्ठा हो जाए जैसे पहाड़ो से पत्थर निकालते रहने पे एक तालाब जैसे स्थान का निर्माण हो जाए और जमीन के नीचे से कही से पानी आता जाए और पानी का लेवल हर समय एक जैसा बना रहे । राजाओं - महाराजाओं के यहां अक्सर बावड़ी मिलती है जो प्यास बुझाने के काम आती थी । राजा - महाराजा बावड़ी का निर्माण गांव वालों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी करते थे । साथ ही अपनें महल के आस-पास बनवा कर अपने रंगरेलियों के काम में भी इस्तेमाल कर लेते थे । कहते है भानगढ़ किले के अंदर भी एक बावड़ी है जहां, वहां की स्त्रियों ने जौहर किया था और अब वहां उनकी आत्माएं विचरती है ऐसा लोगों का मानना है ।
तभी ... स्कूल की छुट्टी वाली घंटी बज गयी …
ठीक है क्लास आज यहीं तक कल इसके आगे पढ़ेंगे। (इतिहास के अध्यापक रमेश ने बच्चों को समझाते हुए कहा)
पर बच्चे सुनने वाले कहा थे उन्हें तो बस क्लास से भागने का बहाना चाहिए था और सर से अनुमति मिलने पर इस तरह भागे जैसे कोई कैदी , लंबी कैद से छूटा हो। सभी बच्चे शोरगुल करते हुए , खेलते - कूदते हुए अपनी घर की और चले गए। सिर्फ रमेश सर ही स्कूल में बचे थे वो भी धीरे - धीरे अपने घर की तरफ जा रहे थे।
सुंदरपुर नाम के इस गांव के क्लास - 12 तक के बच्चों के पढ़ने की व्यवस्था की गयी है और ये व्यवस्था रमेश सर के पिता सोमनाथ जी ने करवाया था । सोमनाथ जी एक ख़ानदानी हवेली के मालिक थे जिसका निर्माण उनके पूर्वजों ने करवाया था। ये हवेली करीब 400 - 500 साल पुरानी होगी आज उस हवेली में रमेश सर अपनी बीवी ललिता के साथ रहते है। उनकी शादी को कई वर्ष बीत गए पर अभी तक उन्हें बच्चें नही हुए थे। इस हवेली में उनके अलावा 2 नौकर और रहते है - रामू और उसकी बीवी अंगूरी बाई । रामू का परिवार सदियों से उनकी देखभाल कर रहा है । रामू के पूर्वज यहीं काम किया करते थे और अब रामू भी यहीं काम करता है ।
रमेश के लौटने पर रामू ने उनका बैग ले लिया और उनके लिए झटपट चाय बना लाया वह कई बार रमेश को मालिक कह कर आवाज़ देता है पर रमेश का ध्यान कहीं और होता है । रामू के इस बार थोड़ा तेज़ आवाज़ में कहने पर रमेश अपनी सोच से बाहर आया और उसने रामू को चाय रख कर जाने को कहा - मालती यहां नही थी वो अपने मायके रजतपुरा गयी है । रामू ने महसूस किया कि पिछले 2-3 दिनों से मालिक बहुत परेशान है और कहीं खोये-खोये से रहते है उसने कोशिश की बात जानने की पर रमेश ने बात टाल दी और रामू को अपना काम करने को कह दिया । उस रात रमेश बिना खाना खाये ही अपने कमरे में सोने चले गए ।
रमेश जैसा दिखने वाला एक इंसान राजा के भेष में खड़ा है और वो अपने सैनिकों को राज्य की कुंवारी लड़कियों और स्त्रियों को उठा लाने का आदेश देता है। थोड़ी ही देर में उसके सैनिक अपने राजा के लिए 3 कुंवारी लड़कियों और 2 स्त्रियों को लेकर उपस्थित होते है। राजा स्त्रियों के साथ जी - भर के संबंध बनाता है और फिर उन तीनों लड़कियों को ले जाकर एक मंदिर के सामने बावड़ी में उनको जबरदस्ती नहला - धुला कर नग्न अवस्था में मंदिर के सामने घुटने के बल बिठा कर उनका सिर धड़ से अलग कर देता है । उन तीनों लड़कियों के सिर से टपक रहे खून को एक एक बड़े से बर्तन में भर कर मंदिर में काली माता के सामने रख कर पूजा करता है और उन तीनों लड़कियों की लाश को सिर सहित बावड़ी के अंदर फेंक देता है।
तभी एक झटके से रमेश उठ बैठा , उसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था । ऐसे में उसकी सांसे बड़ी - तेजी से अंदर - बाहर हो रही थी । थोड़ी देर में वह सामान्य हुआ तो उसे एहसास हुआ की उसने एक सपना देखा है । जिसमें उसने बड़े ही बुरे कार्य किये है पर उसे इससे भी ज्यादा आश्चर्य इस बात पर हुआ कि ये सपना वो कई दिनों से लगातार देख रहा है शायद जबसे इस महल में आया है तब से ।
रमेश थोड़ी देर तक करवटे बदलता रहा उसे नींद ही नही आ रही थी थोड़ी देर में वो उठ बैठा और कुर्सी पर जा कर बैठ गया और एक कागज लेकर उस पर कुछ लिखने या बनाने लगा । मालिक के कमरे की लाइट जली होने पर रामू मालिक से मिलने के लिए रूम में आया तो देखा कि मालिक रमेश अपने टेबल पर बैठ कर एक सादे कागज पर चित्र बना रहे है .. रामू मालिक के बगल में खड़ा हो कर चित्र देखने लगा तो उसके आश्चर्य की सीमा ही न रही उसके मुंह से अचानक निकल गया -
-अरे ये तो जालपा देवी की बावड़ी है .. शायद ..
-क्या तुम जानते हो इस बावड़ी के बारे में (रमेश ने चौंकते हुए पूछा )
-हा मालिक जानता हूं , पर अब तो ये नष्ट हो चुका है । कई सालों पहले उसका पानी खत्म हो चुका है अब वहां वैसे भी कोई नही जाता है । (रामू ने अपनी बात कही )
-क्या तुम मुझे वहां ले जा सकते हो ? (रमेश ने लगभग आग्रह करते हुए कहा )
-ठीक है मालिक चलिए पर .. (रामू बताना चाहता था कि अभी रात के 1 बज रहे है अभी जाना ठीक नहीं पर मालिक ने उसे कुछ बोलने का मौका ही नही दिया ।)
-बाकी बातें बाद में ... अभी चलों
रमेश और रामू तुरंत ही बावड़ी की खोज में चल पड़े । रमेश अपनी बाइक पर रामू को पीछे बैठा कर .. रामू के बताये रास्ते पर जाने लगा । मुश्किल से 10 मिनट बाद ही वो दोनों उस बावड़ी तक पहुंचे । बावड़ी पूरी तरह सूख गयी थी .. उसने थोड़ी देर तक ध्यान से देखा पर कुछ समझ नही आया । मंदिर में गया वहा काली माँ की मूर्ति थी पर खून भरा पात्र नहीं था । रामू ने उस स्थान से चलने को कहा - कुछ समझ न आने पर रमेश भी मन में दुविधा लिए वहां से जा ही रहा था की तभी उसकी नजर सामने आ रही एक सफेद वस्त्र पहने महिला पर पड़ा .. वो धीरे - धीरे बावड़ी की तरफ जा रही थी और धीरे - धीरे बावड़ी में जा कर गायब हो गयी । रमेश को झटका से लगा उसे यकीन ही नही हो रहा था की उसने जो देखा सो सच था या सपना .. पता नही कैसे उसके दिमाग में बावड़ी के तल को खोदने का विचार आया । उसने आस-पास देखा उसे मंदिर के बगल में ही एक फावड़ा मिल गया । रामू के लाख मना करने के बाद भी रमेश नहीं रुका और फावड़ा लेकर बावड़ी के तल पर पहुंच कर उसे खोदना शुरू कर दिया । लाख रोकने के बाद भी जब रमेश नहीं रुका तो रामू भाग कर गांव से लोगो को बुला लाया ।
थोड़ी ही देर में रामू के साथ गांव का प्रधान और गांव का पुजारी भी बावड़ी के पास आ पहुंचा । पुजारी इसी मंदिर में पूजा किया करता था । जब गांव वाले रामू के साथ बावड़ी के पास पहुंचे तो बावड़ी के अंदर देख कर उनका आंख आश्चर्य की सीमा तक फटी जा रही थी । रमेश पागलों की तरह बावड़ी की तल को खोदा जा रहा था और खुदाई से उसे कंकाल प्राप्त हो रहे थे । देखते ही देखते रमेश ने कंकालों की लाइन लगा दी । किसी की हिम्मत नही हो रही थी की बावड़ी के अंदर उतर कर रमेश को रोकें सभी को लग रहा था कि रमेश के अंदर किसी आत्मा का वास हो गया है । रमेश ने खोदते - खोदते पूरी बावड़ी को ही खोद डाला और करीब 100 से ज्यादा अर्ध-पिघली (जमीन के अंदर शरीर के गलने की प्रक्रिया) कंकाल को बाहर निकाल दिया और एक कंकाल को बाहर निकालते ही बेहोश हो कर वहीं पर गिर गया । मंदिर का पुजारी ॐ शिव का जाप करते हुए जैसे तैसे वहां गया उसके पीछे गांव के और लोग धीरे - धीरे गए । कुछ लोगों ने रमेश को बाहर निकाला और कुछ लोग पुजारी की मदद करने लगे । पुजारी ने सभी कंकालों को एक स्थान पर रख कर गंगाजल की कुछ बूंदे डाल कर जैसे ही उनको पवित्र अग्नि के हवाले किया .. एक तेज़ चीत्कार सी आवाज वातावरण में गूंज उठी ।आस - पास खड़े लोग डर कर दूर भागने लगे । कुछ ही देर में सभी कंकालों का अंतिम संस्कार कर उनकी राख को कलश में भरकर जैसे ही गंगा नदी में विर्सजन के लिए भेजा । आश्चर्य रूप से उसी समय बावड़ी में पानी भरना अपने आप शुरू हो गया और कुछ ही देर में बावड़ी लबालब भर गयी ।
लोगो ने इसे माता का चमत्कार माना और मंदिर में पूजा - अर्चना शुरू कर दी । आत्माओं को इतने वर्षों बाद ही सही पर शांति प्राप्त हो सकी ।
रमेश को सुबह 10 बजे के आस - पास होश आया । जब उसने आंखे खोली तो दंग रह गया सब उसे ही घेरे थे । पुजारी ने रमेश से जब जानना चाहा तब रमेश ने उन्हें सपने की बात बता दी पर उसे बावड़ी के अंदर खुदाई वाली बात याद ही नहीं था हालांकि उसने आत्मा के बारे में बताया जिसको उसने बावड़ी के अंदर समाते हुए देखा । उसके बाद रमेश को कुछ याद नही ।
पुजारी जी ने रमेश को रामू के हाथों उसके महल भेज दिया आराम करने के लिए । अगली सुबह पुजारी महल आ कर वापस मिलेगा इतना कह कर पुजारी भी अपने घर को गया ।
रात में -
रमेश जैसा दिखने वाला एक इंसान राजा के भेष में खड़ा है और उसने अपने सैनिकों को राज्य की कुंवारी लड़कियों और स्त्रियों को उठा लाने का आदेश देता है । थोड़ी ही देर में उसके सैनिक अपने राजा के लिए 3 कुंवारी लड़कियों और 2 स्त्रियों को लेकर उपस्थित होते है। राजा स्त्रियों के साथ जी - भर के संबंध बनाता है और फिर उन तीनों लड़कियों को ले जाकर एक मंदिर के सामने बावड़ी में उनको जबरदस्ती नहला - धुला कर नग्न अवस्था में मंदिर के सामने घुटने के बल बिठा कर उनका सिर धड़ से अलग कर देता है । उन तीनों लड़कियों के सिर से टपक रहे खून को एक एक बड़े से बर्तन में भर कर मंदिर में काली माता के सामने रख कर पूजा करता है और उन तीनों लड़कियों की लाश को सिर सहित बावड़ी के अंदर फेंक देते है।
एक झटके से फिर से रमेश की नींद खुल गयी , पुजारी जी के हिसाब से सभी आत्माओं को मुक्ति प्राप्त हो गयी है पर ऐसा लग रहा है जैसे अभी भी सभी को मुक्ति नही मिली है । रमेश ने उसी वक्त रामू को बुलया ..
रामू के आते ही उनके जरिये पुजारी जो को इसी वक़्त महल में बुलवा लिया ।
पुजारी के आते ही रमेश ने अपने सपने के हर एक हिस्से का किस्सा उन्हें सुना दिया ।
पुजारी जी कुछ देर तक सोचते रहे फिर उन्होंने बताना शुरू किया -
- रमेश पहले में संशय में था पर अब यकीन हो गया कि तुम अपना पुनर्जन्म ले के आये हो .. और ये घटना तुम्हारें पिछले जन्म की है । उस जन्म में तुम राजा मलेछ के नाम से थे और ये सारे बुरे कार्य तुमने उसी जन्म में किये । ये जन्म तुम्हे अपनी उसी गलती को सुधारने के लिए मिला है ।
- मैं जरूर सुधारूँगा पुजारी जी .. पर अब और कौन सी बावड़ी बची है । (सोचते हुए पुजारी जी से पूछा )
- इस गांव में एक और बावड़ी थी पर अंग्रेजो के राज्य में इस गांव को दो भागों में बांट दिया गया .. दूसरी बावड़ी उसी गांव में होगी । ( पुजारी ने कुछ सोचते हुए कहा )
- ठीक है मैं अभी चलने को तैयार हूं ।
रमेश ने तुरंत ही पुजारी जी को अपने साथ चलने को कहा क्योकि रामू को प्रधान को साथ लाने को कहा क्योकि ये दूसरे गांव का मैटर है तो बवाल हो सकता था।
थोड़ी ही देर में रमेश और पुजारी जी दूसरे गांव - रहिमनपुर पहुंचे .. थोड़ा खोजने पर उन्हें बावड़ी और मंदिर दोनों मिल गए पर आश्चर्य इस बावड़ी में पानी भरा हुआ है । रामू ने रहिमनपुर के प्रधान को बुलवाया तो पता चला की यहां पर हमेशा से पानी रहा है यहां कभी कोई खुदाई नहीं की गयी और यहां कभी भी , किसी भी प्रकार का कंकाल प्राप्त नही हुआ है और न ही यहां कोई और बावड़ी है ।
रमेश परेशान हो कर अपना सिर पकड़ लेता है कि तभी उसे सपने जैसा कुछ दिखता है .. वो पुजारी को लेकर वापस अपने महल भागता है वहां पहुंच कर पुजारी को बताता है की यहां इस महल के अंदर कही बावड़ी है । इतना कह कर महल को खोजने लगता है थोड़ी ही देर में रमेश को एक गुप्त रास्ता मिलता है जो सीधा महल के तहखाने में ले जाता है । वहां पर भी एक बावड़ी जैसा स्थान दिखता है । रमेश समझ जाता है कि ये रंगरेलियों का हिस्सा रहा होगा तभी बगल में छोटा से मंदिर दिखता है - काली माँ का
बावड़ी सुख गयी थी .. रमेश तुरंत ही एक फावड़ा ले कर बावड़ी की खुदाई शुरू कर दी और कई घंटो की मेहनत के बाद उसने 100 से ज्यादा कंकाल यहां भी प्राप्त किये । पुजारी जी ने उन्हें भी गंगाजल की कुछ बूंदे डाल कर अग्नि के सुपुर्द कर दिया । वैसे ही पहले की तरह कुछ देर तक चीत्कार होती रही और कुछ ही देर में सब शांत हो गया । इतनी देर में रामू आ गया उसने राख को कलश में रख बहाने चला गया । रामू के जाते ही आश्चर्य रूप इस इस बावड़ी में भी पानी भरने लगा ।
मंदिर में पूजा कर रमेश ने अपने किये सभी पापों की क्षमा मांग ली और बाकी सभी गांव वालो से माफी मांगी और सात्विक मार्ग अपनाने का वादा किया । रमेश वापस महल में पहुंचा की तभी उसे अपनी बीवी दिखी उसने बताया की वह गर्भवती है । रमेश को समझ ही नही आया की ये बावड़ी का वरदान है या ...... कुछ और
समाप्त

