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Ankur Singh

Horror

4  

Ankur Singh

Horror

चीखता वीरान किला

चीखता वीरान किला

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रवि एक उभरता हुआ न्यूज़ रिपोर्टर है और अपने काम में धीरे - धीरे प्रवीण होता जा रहा है। उसका काम सच्चाई को सामने लाना है और इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है। यानि वो अभी से अपनी जान से ज्यादा सच्चाई को महत्व देना जानता था।


वो अक्सर रात में अपने काम से रिलेटेड जानकारी पाने के लिए ईमेल चेक किया करता था ऐसे में एक रात एक केस के सिलसिले में अपना ईमेल चेक कर रहा था कि तभी एक अनजान नाम से एक ईमेल आया जिसपर 'अर्जेंट' लिखा हुआ था । रवि ने सोचा पता नही कौन है और ईमेल को इग्नोर कर अपने काम पर लग गया । करीब 1 घंटे बाद उसके ईमेल का फिर से नोटिफिकेशन आया .. उसने देखा .. फिर से बिना नाम वाले का था .. इस बार भी ईमेल के सब्जेक्ट वाले कॉलम में 'अर्जेंट' लिखा था । पहले तो रवि के दिमाग में ख्याल आया कि इसे न देखे पर पता न क्यो .. शायद .. उत्सुकतावश उसने ईमेल को ओपन किया .. 

ईमेल में लिखा था - 


-'इस ईमेल को खोलकर पढ़ने का धन्यवाद .. मुझे पता है आपका हर समय कीमती है .. मैं ज्यादा समय नहीं लूंगा .. मुझे पता चला है की आप सत्य की तलाश में है और एक सत्य आपका इंतेजार कर रहा है .. झारखंड की राजधानी रांची से 18 किमी. दूर रांची - पतरातू मार्ग पर एक गांव है 'पिठौरिया' । इसी गांव में एक 100 कमरों वाला एक किला है जो आपका इन्तेजार कर रहा है । अपने अंदर दफन राज को बाहर निकालने को बेताब है बस कोई हो जो उस राज को जान सके । आज से 2 दिन बाद ठीक 16 अप्रैल को वो एक राज बताएगा .. समय पर पहुंचे । 

धन्यवाद' 


ईमेल को पढ़ कर रवि का दिमाग ही घूम गया .. उसने तुरंत गूगल पर सर्च किया तो उसे वाकई एक किले के बारे में कुछ तो पता चला पर ऐसा कुछ खास पता नहीं चला था जो उस किले के बारे में कोई राज बताये .. सिवाए एक बात को छोड़ के ... किले की चीख .. । 


रात से सुबह हो गयी सोचते - सोचते .. आखिरकार उसने पिठौरिया गांव जाने का फैसला ले ही लिया । 


सुबह होते ही रवि ने एक फ्लाइट दिल्ली से रांची के लिए पकड़ ली .. इस दौरान रवि उत्साहित और शंकित दोनों था हालांकि कुछ ही घंटों में रांची के हवाई - अड्डे पर खड़ा हो कर टैक्सी का इन्तेजार करने लगा। कुछ ही देर में एक टैक्सी उसके सामने आ कर रुकी .. उसमे बैठ कर करीब आधे घंटे में पिठौरिया गांव पहुंचा ।


दोपहर के 1 बज रहा था .. पिठौरिया गांव में आये रवि को 10 मिनट भी नहीं हुए थे कि तभी उसे कुछ और लोग (3 लोग) गांव में आते हुए दिखे .. रवि ने अंदाजा लगाया कि ये भी पर्यटक ही है .. वो भी उनके पीछे - पीछे गांव में दाखिल हो गया । 


छोटा सा गाँव था इसलिए गांव वालों ने ही सभी का स्वागत किया और सभी के रुकने की व्यवस्था कर दी। कल की रात किले के अंदर का कोई राज उन्हें पता चलने वाला था और सबसे मज़ेदार बात ये की उन सभी को भी ऐसे ही ईमेल के द्वारा बुलाया गया है और तुर्रा ये पूछताछ करने में पता चला कि गांव में ऐसा कोई नहीं है जिसको ईमेल का ज्ञान हो .. इस गांव की सबसे अजीबोगरीब खासियत रात के 8 होते ही अपने आप ठंडी हवाएं चलने लगती है .. चाहे दिन में कितनी गर्मी हो। 


रवि को गांव तो ठीक लग रहा था पर जिस तरह से लोग किले के चीखने के राज नहीं खोल रहे थे उसे अजीब लगने लगा । जैसे - तैसे रवि ने कोशिश की मुखिया जी के घर के छत पर सोने की पर ..


रवि को खटिया पर सोते नहीं बन रहा था करवटे बदल ही रहा था की तभी उसके कान में हवा के साथ एक आवाज गूंजी - 


'"चले जाओ .. अभी भी वक़्त है चले जाओ"


रवि हड़बड़ा कर उठ बैठा .. उसने इधर - उधर देखा उसे कोई नजर नहीं आया .. वहम समझ कर जैसे ही लेता वैसे ही फिर एक आवाज उसके कान में गूंजी 


"मौत को दावत मत दो .. चले जाओ"


रवि को अब यकीन हो गया कि कोई तो है .. कोई साया .. या कोई परछाई .. या कोई आत्मा या कुछ और .. और वो जो कोई भी है .. वो शुभचिंतक भी हो सकता है और दुश्मन भी .. 


रवि पूरी रात सो नहीं पाया किसी अनिष्ट की शंका ने उसे सोने नहीं दिया । सुबह प्रधान जब रवि को उठाने गया तब रवि को उठा हुआ पाया .. कुछ ही देर में चारों किले की तरफ जाने को तैयार हो गए .. उनके साथ प्रधान और कुछ गांव वाले भी तैयार हो गए साथ चलने को।


सुबह 10 बजे  8-9 लोगों का दल किले की तरफ चल दिया .. करीब आधे घंटे से थोड़े ज्यादा समय में वे सभी खंडहर बन चुके किले के सामने खड़े थे । किले के बगल में एक बड़ा सा तालाब दिख रहा था जो किले की तरह 200 वर्ष पुराना हो गया था। किला कई जगह से जर्जर हो गया था.. इसमे देखने लायक कुछ नही बचा .. सिवाये कुछ नक्काशी के जो मुगल स्थापत्य कला का वर्णन दे रही थी । रवि और अन्य 3 पर्यटक 100 कमरों वाले इस किले को बड़ी ध्यान से , सतर्कता पूर्वक अवलोकन कर रहे थे । किले के खंडहर होने की वजह से किले के अंदर कुछ नहीं था .. कोई वस्तु , कोई शिल्प .. कुछ नही .. सिर्फ टूटी दीवारे .. पर रवि को लग रहा था की इस किले में कोई तो बात है .. जो दिख नहीं रही .. रवि धीरे - धीरे एक कमरे से दूसरे कमरे की तरफ जा रहा था सहसा उसके कान में आवाज़ आयी 'संभल कर ' इसे पहले की रवि कुछ समझ पता .. धम्म .. कोई चीज उसके सिर से तेज़ी से टकराई और कुछ देख पाने से पहले ही बेहोश हो गया ।


कुछ घंटों बाद रवि को होश आया तो खुद को एक सलीब पर बंधा हुआ पाया । आधी खुली नजरो से देखा तो खुद को एक तयखाने जैसी जगह पर पाया.. अगल - बगल सभी साथी भी बंधे थे ।  तभी कही से किसी के चीखने की आवाज़ आयी .. उस आवाज के बाद मुखिया और बाकी गांव वाले उनके सामने आ गए और मुखिया ने चारों को एक खास कमरे में ले जाने का आदेश दिया । उस कमरे के अंदर चारों को तैयार किया जा रहा था तब रवि ने हिम्मत करके पूछा - 


- ये क्या हो रहा है .. क्यों कर रहे हो ऐसा - 

- मुझे तुमसे कोई जाती दुश्मनी नही है .. रवि बाबू .. ये किला राजा जगतपाल का था जिसने अंग्रेजों का साथ दिया और अपने देश को धोखा दिया तब एक क्रांतिकारी विश्वनाथ शाहदेव ने ये श्राप दिया की ये किला नष्ट हो जाएगा और तू इस किले मैं कैद रहेगा .. इस किले पर तब तक बिजली गिरती रहेगी जब तक की ये किला नष्ट नहीं हो जाता .. तब से इस किले पर हर वर्ष बिजली गिरती है और किले का कुछ हिस्सा टूट जाता है .. इसे रोकने का एक ही तरीका है बलि .. तुम लोगों की बली दे कर विश्वनाथ की आत्मा की शांति देना ताकि वो वज्रपात करना बन्द कर दे .. ये चींख उसी की रहती है जो हर वर्ष में सिर्फ एक दिन चीखता है और उसी दिन उसकी दूसरी चीख पर वज्रपात होता है  । 

हमारे गांव के पुजारी ने अपने ज्ञान से ऐसे लोगों को खोज जो पुनर्जन्म ले कर आये है और इस राजा के शाशन में इसके साथ रहे हो .. रवि तुम भी वहीं हो .. राजा जगतपाल के अंगरक्षक क्षत्रपाल .. अब तुम सब की बलि दी जाएगी ।


कुछ ही देर में बलि देना शुरू किया गया बाकी के अन्य 3 पर्यटक खुद को नही बचा पाए .. एक गंडासे से तीनो की गर्दन बारी - बारी से काट दी गयी अब रवि की बारी थी .. इससे पहले रवि की गर्दन काटी जाती उसने कंधे से काटने वाले को धक्का दिया और गंडासे की धार से अपने हाथ खोल गांव वालो से भीड़ गया .. किसी तरह बचते - बचाते किले के बाहर आ गया इससे पहले की प्रधान रवि को मार पता किले से दूसरी चींख सुनाई दी और .. तड़ाम की आवाज के साथ बिजली किले पर गिरी और किले का हिस्सा टूटकर प्रधान और बाकी सदस्यों के ऊपर गिर पड़ा .. रवि बच तो गया पर आकाशीय बिजली की चमक की वजह से उसके आंख की रोशनी चली गयी। 


समाप्त ।  



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