STORYMIRROR

Saroj Verma

Romance

4  

Saroj Verma

Romance

एक अरबपति की मोहब्बत ....

एक अरबपति की मोहब्बत ....

5 mins
517

अरूण को पीछे से आ रही कार से टक्कर लगी और वो मुंह के बल ज़मीन पर गिर पड़ा, वहां मौजूद सारे लोग इकट्ठा हो गए, कुछ ने अरूण को ज़मीन से उठाकर पूछा भी कि__

   भाईसाहब!! कहीं चोट तो नहीं लगी।

अरूण बोला, लगी तो है लेकिन इतनी ख़ास नहीं।

  कुछ ने तो कार को घेर लिया और बोले, जाने मत देना, जब तक इसकी रिपोर्ट नहीं हो जाती, मर्सिडीज में जाएगा तो किसी को भी टक्कर मारते हुए निकलेगा, समझ क्या रखा है ख़ुद को, गरीब आदमी के जान नहीं होती क्या?

    कार में मौजूद शख्स बोला___

ऐसा नहीं है भाई, मेरा ध्यान कहीं और था, माफ कर दो, मैं उससे भी माफी मांगता हूं, जिसे चोट लगी है, उसे हॉस्पिटल ले जाकर उसका इलाज भी करवाऊंगा लेकिन पुलिस के लफड़े में मत डालो।

   उस भीड़ में मौजूद एक शख्स बोला__

   ठीक है, अगर चोट लगने वाला राज़ी हो जाता है तो फिर हमें क्या एतराज़ है।

   आओ, भाई जरा, इन बड़ी गाड़ी वाले साहब को अपनी शकल तो दिखा दो।

  और अरूण उस बड़ी कार वाले के पास पहुंचा।

  अरूण को देखकर, वो कार वाला बोला___

  अरे, अरूण तू!!

तभी भीड़ में से कोई बोला__

  ये दोनों तो एक-दूसरे को जानते हैं, आपस में निपट लेंगे, चलो भाइयों खामखां टाइम बर्बाद किया।

  गाड़ी वाला अरूण से बोला__

चल! यार, पहले तुझे हॉस्पिटल ले जाकर मरहम पट्टी करवाता हूं।

   नहीं! यार इतनी कोई खास चोट नहीं आई, अरूण बोला।

तो फिर ठीक है, मैं तो डर ही गया था,  कहां है? यार तू!! आजकल, कार वाले शख्स ने पूछा।

  यहीं हूं, यार कुछ काम धंधा ठीक नहीं चल रहा है, इसलिए बस ऐसे ही और तू सुना, इतनी बड़ी गाड़ी!! लगता है कि बहुत अमीर हो गया है लेकिन ये सब हुआ कैसे, तू तो एक गरीब किसान का बेटा था अचानक इतना सब कैसे ? सुधीर ये चमत्कार कैसे हुआ? अरूण ने सुधीर से एक साथ इतने साल सवाल पूछ डाले।

    बहुत लम्बी कहानी है यार, घर चल फिर बताता हूं, सुधीर बोला। 

   सुधीर और अरूण, सुधीर के पहुंचे, जैसे ही एक बंगले के सामने सुधीर ने अपनी मर्सिडीज रोकी, इतना बड़ा बंगला देखकर अरूण की आंखें खुली की खुली रह गई।

     इतना बड़ा बंगला!! अरूण बोला।

हां, यार, अंदर चलकर आराम से तुझे कहानी सुनाता हूं, सुधीर ने कहा।

    दो साल पहले की बात है, कुछ काम धंधा नहीं था मेरे पास, कॉलेज के बाद फ़ालतू बैठा था, सब यार दोस्त भी धीरे-धीरे अलग होने लगे, उन सब के पास कोई ना कोई काम था, मैं एकदम बिना काम काज का तभी दिमाग में बात आई कि चलो सोशल मीडिया पर कुछ काम ढूंढते हैं, बहुत दिनों की मेहनत के बाद एक काम मिला, मुझे इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, मैं पास भी हो गया।

     बहुत ईमानदारी से मैं अपना काम कर रहा था, कभी कभी तो रात को बहुत देर भी हो जाती थीं, तब रात का डिनर मेरी टेबल पर प्यून लेकर आ जाता था, बोलता था कि मालकिन ने भिजवाया है, मैं भी खुश होकर खा लेता।

    वहां की मालकिन मेरी मेहनत और ईमानदारी देखकर मुझे ओवरटाइम भी देने लगी, लेकिन कभी भी वो मुझसे नहीं मिली और ना मेरे मन में कभी ये इच्छा आई कि मैं उनसे मिलूं और फिर मुझे लगता था कि इतनी अरबपति औरत मुझसे क्यों मिलने लगी भला, धीरे धीरे उसने मुझे रहने के लिए कम्पनी का फ्लैट भी दे दिया और कुछ दिनों बाद एक कार भी।

   अब तो मेरे मन में उसके लिए प्रेम के बीज फूटने लगे थे, पता नहीं कृतज्ञतावश या फिर और कोई भाव था, ठीक ठीक नहीं बता सकता।

     लेकिन मन में कभी कभी आता तो था कि उनसे मिलूं, देखना चाहता था कि वो कैसी दिखती है, मन में कल्पनाएं संजोने लगा कि ऐसी होगी, वैसी होगी, बस चारों ओर रंग-बिरंगे ख्वाब थे उसके, लेकिन वो नहीं।

   और मुझे भी लगने लगा था कि कोई तो बात होगी मुझमें जो वो मुझ पर इतनी मेहरबान है या फिर मुझे पसंद करने लगी होगी, जो भी हो जब काम से फुर्सत होता तो सिर्फ़ उसके बारे में ही सोचता, बस उसकी यादें मुझको महका जाया करतीं थीं।

     ऐसे ही दिन बीत रहे थे, मैं बीच में कभी कभी छुट्टी लेकर अपने गांव जाता, मां बाबूजी जी और छोटे भाई-बहनों से मिलने आखिर उनके प्रति भी मेरी कोई जिम्मेदारियां थीं।

   कभी कभी तो लगता वो मेरी हर बात पर नज़र रख रही हैं, मैं कहां जाता हूं, क्या करता हूं, क्या पसंद है, हर बात का उसे पता हो गया था, मुझे लगने लगा था कि शायद वो भी मुझे पसंद करने लगी है, फिर एक रोज मुझे मेरे सारे सवालों के जवाब मिल गये।

      तुझे याद है, हम लोगों के साथ एक शैलजा पढ़ती थी, जिसके सब दीवाने थे, जो बड़ी सी लाल कार में हाई हील्स और शॉर्ट्स ड्रेसेस में आया करतीं थीं।

     हां, याद है यार, उसे कौन भूल सकता है भला, इतनी अमीर और इतनी खूबसूरत थी वो कि...अरूण बोला।

   हां, वो ही शैलजा, सुधीर ने कहा।

 हां तो फिर, वो कहां से आ गई, तेरी इस कहानी में, अरूण ने कहा।

    तुझे पता है, उसने एक बार मुझे प्रपोज किया था लेकिन मैंने ये कहकर मना कर दिया था कि मैं एक किसान का बेटा हूं, तुम्हारे लायक नहीं हूं, तुम्हें मैं वो सुख सुविधाएं कभी नहीं दे पाऊंगा, जिनकी तुम्हें आदत है और मेरी बात सुनकर उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े और बिना कुछ कहे वो चली गई, मुझे उस दिन बहुत अफ़सोस हुआ था लेकिन क्या करता, मेरी भी मजबूरी थी।

       हां तो मालकिन ने मुझे बुलाया और जब वो मेरे सामने आई तो मैं सकपका गया, वो कोई और नहीं शैलजा थीं, उस दिन उसने जो कहा, मैं उसकी बात टाल नहीं पाया।

   ऐसा क्या? कहा उसने!!अरूण ने पूछा।

  वो बोली, मैं इस पूरे कारोबार की अकेली मालकिन हूं, पापा भी पिछले साल मुझे छोड़कर जा चुके हैं उन्हें हार्ट अटैक हुआ था और मुझे भी ब्लड कैंसर है मुश्किल से चार महीनों की मेहमान हूं तो क्या अब भी तुम मेरा प्यार ठुकराओगे, सालों से इंतज़ार कर रही हूं तुम्हारे लिए।

    और मैं उसकी बात ठुकरा ना सका, मैंने उससे शादी कर ली, शादी के पांच महीनों तक वो रही, फिर छोड़कर चली गई और ये सब उसी का है, सुधीर बोला।

      मतलब ये सब एक अरबपति की मोहब्बत का नतीजा है, अरूण बोला।


     



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Romance