दृष्टि- दान
दृष्टि- दान
क्या सांता सिर्फ बुजुर्ग के वेश में ही आते हैं?
जेनिफॅर गाँव के डाॅक्टर की बेटी थी। बिन माँ की बच्ची का नज़र बचपन से ही थोड़ा कमजोर था। पढ़ने में वह हमेशा अपने विद्यालय की टाॅपर थी। परंतु उसका कोई दोस्त या सहेली न था। वह अंतर्मुखी स्वभाव की लड़की गुड़ियों से खेलने की उम्र में पुस्तकें पढ़ा करती थी। डाॅक्टर साहब के पास देश-विदेश की तरह तरह की किताबों की एक छोटी सी लाइब्ररी थी। जेनिफॅर का खाली समय वहीं बितता था।
केवल माली का बेटा रामू ही ऐसा था जिसके साथ वह कभी कभी खेल लेती थी। वह उससे छः साल बड़ा था। उसका भी कोई संगी-साथी न था। वह थैलेसेमिया की बीमारी लेकर जो पैदा हुआ था। डाॅक्टर विलियम्स के पास हर हफ्ते उसकी माँ रक्त प्रतिरोपन हेतु लाती थी। और कृतज्ञतावश घर का कुछ काम वह कर जाया करती थी। उन दिनों रामू भी माँ के साथ डाॅक्टर साहब की सरकारी क्वार्टर में आ जाया करता था। उसे जेनिफॅर के साथ बातें करना अच्छा लगता था। इतने विषयों पर उस छोटी सी बच्ची का ज्ञान देखकर वह हैरान हो जाता था।
डाॅक्टर साहब के हाथों ही रामू की माँ की डिलीवरी हुई थी। इसलिए वे उसे बचपन से देख रहे हैं। इस कारण रामू पर उनका विशेष स्नेह भी था। खासकर जिस दिन उन्हें पता चला कि रामू थैलासमिया से ग्रसित है।
जब जेनिफर आठ वर्ष की हुई तो उसकी आँखों की सारी रौशनी चली गई। वह बिलकुल नेत्रहीन सी हो गई। डाॅक्टर साहब उसे शहर में नामी-गिरामी चक्षु चिकित्सकों के पास ले गए, परंतु सबने कहा कि उसका अब कोई इलाज नहीं हो सकता। केवल नेत्र प्रतिरोपन ही एकमात्र उपाय है, अब! गाँव के एक छोटे से सरकारी स्वास्थ्य केन्द्र के डाॅक्टर इतने पैसे कहाँ से लाते?
भारी मन से डाॅक्टर साहब अपनी प्यारी बिटिया को लेकर गाँव चले आए।
जेनिफॅर की छोटी सी दुनिया में अब अंधेरा ही अंधेरा छा गया। क्रिसमस के दिन निकट आ रहे थे। जेनिफॅर सांता से प्रार्थना करने लगी कि उसे कुछ ऐसा गिफ्ट मिले जिससे कि उसकी दुनिया पुनः रौशन हो जाए!
कल सड़क दुर्घटना में रामू के प्राण चले गए।
मरनासन्न रामू जेनिफॅर को अपना नेत्रदान कर देता है।
क्रिसमस की सुबह जेनिफॅर रामू की आँखों से फिर से एकबार दुनिया के खूबसूरती को देखती हैं।