Seema Singh

Tragedy

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Seema Singh

Tragedy

दोषी मैं हूं वो नहीं

दोषी मैं हूं वो नहीं

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कहते हैं ना कभी आंखों देखा और कानो सुनी बातो पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि अधि- अधुरी बातों से रिश्ते तो टूटते ही है.... और साथ में ना जाने कितनी जिंदगीया खत्म हो जाती है।

ऐसा ही कुछ सुधा के साथ होने वाला था....पर समय रहते सब गलतफहमी दूर हो गई। सुधा की शादी को तीन साल हो गए थे।सुधा के पति अमन एक सरकारी अधिकारी है।सुधा के ससुराल वाले बहुत ही सुखी संपन्न है। उनका अपना कारोबार है।समाज में उनकी पहचान बड़े - बड़े लोगों में होती है।पर वो आज के आधुनिक युग से थोड़े अलग थे।उनकी एक अपनी ही परम्परा है। उनके यहां औरतों को अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है। उनके सब फैसले उनके पति या घर का मुखिया करता है।सुधा के ससुराल में उसके सास-ससुर , एक जेट-जेटानी और उनका एक बेटा,और एक बुआ सास है।

अमन सुधा को बहुत प्यार करता है। उसकी हर छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखता है।सुधा भी अमन का बहुत सम्मान करती है।अमन अपने परिवार वालों की तरह सोचने वाला इंसान नहीं है।वो आज के आधुनिक युग का लड़का है। जिसका मनाना है कि हर व्यक्ति को अपने तरीके से अपनी जिंदगी जीने का पूरा अधिकार है।वह सुधा को हमेशा यही कहता है कि "आप कुछ भी करना चाहती है कि किजिए,आप को नोकरी करनी है तो किजिए। मैं हमेशा आप के साथ हुआ।" जैसे-जैसे समय बीतता गया..... वैसे ही बुआ सास कहती हैं"बहु खुश खबरी कब दे रही हो।"सुधा बोली "जब होना होगा तब हो जाएगी।"शादी के एक साल बाद भी जब बच्चा नहीं हुआ। तब सब बातें करने लगे....इसी तरह शादी के तीन साल बीत गए तब भी सुधा और अमन को बच्चों का सुख नहीं मिला।

परिवार वाले सुधा को बहुत खरी खोटी सुनाते हैं। तुम बांझ हो तुम ने अमन की जिंदगी खराब कर दी। सुधा चुपचाप खड़ी एक कोने में सब सुन रही थी और बहुत रो रही थी।अमन बिना किसी को बताये अपना चेकअप करवाते हैं। और रिपोर्ट में ये बात सामने आती हैं कि सुधा मां बन सकती है और अमन पिता कभी नहीं बन सकता।शाम को अमन जब घर आता है तो सुधा मुस्कुराते हुए आती है।तब अमन सुधा को बताता है कि "आज मैंने अपना चेकअप करवाया और मुझे ये पता चला कि दोष आप में"इतना ही कहता है कि वहां बुआ जी आती और बिना पुरी बात सुने पुरे घर में शोर करने लगती है कि और कहती हैं कि "सुधा कभी मां नहीं बन सकती।इसी में दोष है यही दोषी हैं।"

अमन ये बात सुनकर बहुत आग बबूला हो जाता है और सब घर वालों के सामने कहता है "दोषी सुधा नहीं मैं हु।मैं कभी पिता नहीं बन सकता...... सुधा में कोई दोष नहीं है।ये बात सुनकर सब परिवार वाले शांत हो जाते हैं।"बच्चा होने या ना होने की जिम्मेदारी पति पत्नी दोनों की होती है। कोई जरूरी तो नहीं है कि सिर्फ औरतों में ही दोष होता है, पुरूषों में भी दोष होता है।"ये कह कर अमन सुधा को लेकर घर से बाहर निकल जाता है।



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