"दो कमरों का फ्लैट"
"दो कमरों का फ्लैट"
मीना आज बहुत प्रसन्न थी। उसकी सास वृद्ध आश्रम जो चली गई थी। जिस कमरे में उसकी सास रहती थी आज वह खाली हो चुका था। उसने कमरे को बहुत अच्छी तरह से साफ किया और उसमें अपने बच्चों का सामान सैट कर दिया। स्कूल से आकर बच्चों ने पूछा कि "दादी कहाँ हैं ?" मीना ने कहा कि वह अब हमारे साथ नहीं रहना चाहती थीं इसलिए उन्हें उस स्थान पर भेज दिया जहाँ और भी उनके जैसे लोग रहते हैं। शाम को पति रवि आया तो खाली- खाली घर में उसे लगा तो अजीब, पर वह क्या कर सकता था। वह खुद ही तो अपने हाथों से छोड़कर आया था अपनी माँ को वृद्ध आश्रम। उसने बे- मन से चाय पी और फिर टीवी देखने में व्यस्त हो गया। बच्चों ने रवि से पूछा-" पापा दादी के बिना अच्छा नहीं लग रहा।" वह कुछ कहता उससे पहले ही मीना उन्हें समझाने लगी कि-" बच्चों एक दो दिन में चलेंगे दादी से मिलने।"
अगले दिन सुबह मीना सबके लिए नाश्ता बना रही थी। सब डाइनिंग टेबल पर खाने के लिए बैठे थे। मीना रसोई घर से बोली-" रवि उस फ्लैट का क्या रहा जो तुम लेने के लिए कह रहे थे।" फिर कुछ देर बाद बोली- "तीन रुम होने चाहिए। साथ ही ड्राइंग रुम, और हाँ..... किचन मुझे बड़ी चाहिए।" मीना का बेटा बोला :-" मम्मी तीन नहीं टू रूम सैट लेंगे हम लोग।" मीना ने रसोई घर से बाहर आकर बड़े आश्चर्य से पूछा -" बेटा जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तब एक रुम तुम्हारा और एक मेरा और तुम्हारे पापा जी का होगा।" बेटे ने बड़े ही मासूमियत से उत्तर दिया-" नहीं मम्मी आप और पापा हमारे साथ नहीं रहोगे, क्योंकि दादी ने भी यही कहा था कि हम सब साथ रहेंगे और कहीं और जाकर रहने लगी।" चारों तरफ सन्नाटा पसर गया। फिर बेटी बोली"- पापा दो कमरों का फ्लैट ले लो, हमारे लिए काफी होगा।" अब मीना को अपनी ग़लती का अहसास हो गया। वह उसी दिन सासू माँ को वापिस लाई और उनका कमरा उन्हें लौटाया। मीना समझ चुकी थी कि जो उम्मीद हम अपने बच्चों से रखते हैं वही हमें स्वयं भी दूसरों के साथ करनी चाहिए।
आज मीना, रवि,सासू माँ और दोनों बच्चे साथ में रहते हैं। सब बहुत खुश हैं।