सुंदरता
सुंदरता
सुजाता चार भाई बहनों मे तीसरे नंबर की संतान थी। उससे बड़े दो भाई थे फिर वह और एक और बहन थी।
सुजाता देखने में सुंदर नहीं थी। चारों संतानो में सुजाता को कोई घर मे पसंद नहीं करता था। सब यही कहते कि "इतनी काली कलूटी से कौन विवाह करेगा?" यहाँ तक की स्कूल मे भी उसके काले रंग के कारण कोई उसका मित्र नहीं था। पर सुजाता को कभी किसी से कोई शिकायत नहीं हुई। वह अपनी पढ़ाई मे ही व्यस्त रहती थी। घर मे केवल दादी थीं जो उसका लाड़ करती थी, अन्यथा सब उससे कतराते रहते थे। शादी ब्याह मे भी कभी उसे साथ नहीं ले जाते थे। जब सुजाता विवाह योग्य हुई तो सबने यही राय दी कि पहले सुजाता का विवाह कर दिया जाए , फिर बाद मे दोनों भाईयो का कर देगें। पर जो भी रिश्ते वाले आते ,सब इंकार करके चले जाते थे। ऐसे ही दो वर्ष बीत गए। परिवार वालों ने एक बेटे का विवाह कर दिया। बहू बहुत सुंदर थी। नाक पर मक्खी भी नहीं बैठने देती थी। सुजाता को तो वह ज़रा भी पसंद नहीं करती थी। कुछ दिन ठीक चला बाद मे घर मे झगड़े होने आरंभ हो गए। बेटा और बहू घर छोड़़कर कहीं अलग रहने लगे। सुजाता का छोटा भाई बोला "सुजाता, तुम बहुत अभाग्यशाली हो देखो भैया घर छोड़कर चले गए।" दादी ने बात का विरोध किया और समझाया -" यह सब बेकार की बातें हैं। एक स्थिति के लिए दूसरे पर आरोप लगाना ठीक नहीं होता।"
दादी ने सुजाता को कहा कि वह अपनी आगे की पढ़ाई करे। सुजाता ने मैनेजमैंट की पढ़ाई मे दाखिला ले लिया और दिन रात एक करके पढ़ाई करने लगी। कुछ दिनों बाद उनके शहर मे ही सुजाता की बुआ के पति का ट्रासंफर हो गया। बुआ अपने परिवार , पति व दो बेटियों के साथ वहीं पास मे ही मकान लेकर रहने लगी।
बुआ की बेटियां बहुत सुंदर थीं। पढ़ाई मे अधिक ध्यान नहीं था उनका। वे दोनों अधिकतर फैशन ही करती रहती थीं। बुआ भी बहुत इतराती थी अपनी बेटियों पर।
सुजाता का कॉलेज मे एक वर्ष बीत गया। वह अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई करती जा रही थी। एक दिन अचानक उसके लिए एक रिश्ता आया। सब घर मे बहुत खुश थे। लड़के वाले आने वाले थे सुजाता को देखने। पिताजी ने बुआ और उनकी बेटियों को भी बुला लिया।
सुजाता की बहन बोली-" दीदी, अच्छी तरह से क्रीम पाऊडर लगा लेना कहीं ऐसा ना हो लड़का फिर मना कर दे।" सुजाता बोली-" छुटकी मुझे आदत पड़ चुकी है बार बार रिजेक्ट किये जाने की तुम घबराओ मत।" शाम को लड़के वाले आ गए। लड़का एक कम्पनी मे मैनेजर की पोस्ट पर था। उसने बुआ की बड़ी लड़की को देखा तो देखता ही रह गया । उसे लगा यही सुजाता है। परन्तु जब सुजाता अंदर से चाय लेकर आई तो लड़के और उसके परिवार वालों ने स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया कि उन्हें सुजाता नहीं बुआ की लड़की पसंद है। अब बुआ फूली नहीं समाई । वह बहुत खुश हुई और बोली-" मुझे और मेरे पति को कोई आपत्ति नहीं है । यदि आप चाहें तो हम शादी के लिए तैयार हैं।" बुआ के ऐसे रुप की सुजाता के परिवार वालों को उम्मीद नहीं थी।
सुजाता ने उसी दिन से मन मे ढान ली कि अब वह इस शादी ब्याह के चक्कर मे नहीं पड़ेगी और पढ़ाई से सुंदरता को पिछाड़ देगी। सुजाता लगातार पढ़ती रही। परिवार मे उसके सभी भाई बहनों का विवाह है गया। सुजाता एक मल्टी नैशनल कम्पनी की हैड बन गई।
सुजाता के दोनों भाईयों ने अपने माता पिता को घर से बाहर निकाल दिया। दादी की मृत्यु हो गई। सुजाता अपने माता पिता को अपने साथ अपने घर मे ले आई जो उसे कम्पनी की तरफ से मिला था।
जिस कम्पनी मे सुजाता हैड थी उसी कम्पनी का मालिक विवेक ओबेराय सुजाता के व्यवहार, विचार और कार्य के प्रति लगन से बहुत खुश था। वह सुजाता को चाहने लगा था। एक दिन उसने सुजाता के सामने यह प्रस्ताव रखा तो सुजाता ने उसे मना कर दिया।उसने कारण पूछा सुजाता ने कहा-" हमारे समाज मे आज भी एक लड़की मे केवल सुंदर , गोरा चेहरा उसका शरीर ही देखा जाता है। एक लड़की की काबिलियत कोई नहीं देखता।" विवेक ने उसकी बातें ध्यान से सुनी और बोला-" सुजाता तुम सही कह रही हो, मै तुम्हारी बात स्वीकार करता हूँ। पर हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता।" सुजाता एक टक उसे देखती रही।
विवेक फिर बोला-" संसार मे शिक्षा से बढ़कर कुछ भी नहीं यही असली सुंदरता है। आज तुम शिक्षित हो सब तुम्हारी शिक्षा को सलाम करते हैं।" सुजाता को विवेक की बातें अच्छी लगी। विवेक ने सुजाता के माता पिता से सुजाता के साथ विवाह की बात सांझा की तो उनकी आँखो से आँसू बहने लगे। माँ बोली-" हमने अवश्य ही कोई पुण्य किए होगें जो सुजाता जैसी बेटी मिली है। जो बेटों से भी बढ़कर हमारा साथ दे रही है।आज अगर यह ना होती तो हम इस संसार मे कहाँ जाते।" पिता जी बोले-" वाकई असली सुंदरता तो शिक्षा है जो अमीरी गरीबी , सुंदर, बदसूरत, काला ,गोरा इन सबमे कोई भेद नहीं करती।" सुजाता ने अपने माता पिता का आशीर्वाद लेकर विवेक के साथ शादी कर ली। शादी के रिसैपशन मे सुजाता ने सबको बुलाया । बुआ की वह लड़की भी आई जिसकी शादी उस लड़के के साथ हुई थी जो सुजाता का अपमान करके चला गया था। आज वह लड़का सुजाता से नजरें नहीं मिला पा रहा था। बुआ को जब पता चला कि उनका दामाद सुजाता की ही कम्पनी मे उससे छोटी पोस्ट पर है तो बुआ शरम से पानी - पानी हो गई। सबने सुजाता से क्षमा माँगी और उसे शादी की बधाई दी।
आज सुजाता समझ चुकी थी केवल शिक्षा ही है जो संसार मे असली सुंदरता है।