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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Drama Crime

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Drama Crime

दंगाई ..

दंगाई ..

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और लोग जाते हुए देखे थे, मैंने। देख मैं भी गया था उनके साथ। पत्थर उठा मैं भी लग गया था, आड़ ले लेकर पुलिस वालों पर बरसाने। कई पत्थर फेंके थे मैंने। तब मेरा फेंका हुआ एक पत्थर, जा लगा था एक पुलिस वाले के चेहरे पर। मेरे इस निशाने की साथी दंगाईयों ने दिल खोल कर तारीफ़ की थी। मैं भी अपनी इस बहादुरी पर फक्र करता घर आया था।


रात मैंने सभी के बीच अपना कारनामा लहक लहक कर घर में सुनाया था। सुनकर उन्हें समझ नहीं आया था - खुश हों, मेरे (बेटे के) कारनामे पर या इस बात का रंज मानें। फिर रात का खाना खाकर अपने बिस्तर पर सोने के लिए आया था। तब पीछे, मेरी बहन आई थी। 

राज की बात बताने के अंदाज में बोली थी, भाई- आप जो बता रहे थे बाहर किसी और को न कहना। पड़ोस के मुजीब चच्चा के घर में शाम से कोहराम मचा है। चच्चा, अस्पताल में भर्ती है उन्हें आज भीड़ के द्वारा फेंका हुआ एक पत्थर लगा है। उनकी एक आँख फूट गई है। 

यह सुनकर मैं सन्न रह गया था। मुझे याद आया मुजीब चच्चा पुलिस इंस्पेक्टर है। वही है जिनकी बेटी, शमीम पर मैं दिल ओ जान से फ़िदा हूँ।


मुझे अब दंगाईयों में शामिल होने का बेहद अफ़सोस हो रहा था। हो न हो मुजीब चच्चा ही शायद मेरे पत्थर के शिकार हुए थे। अब उल्टा मैं, बहन से इल्तिजा करने लगा था, सायरा तुम मेरी पत्थर वाली बात बाहर किसी से न कहना। नहीं तो शमीम तो मेरी जानी दुश्मन हो जायेगी। सायरा भी फिक्रमंद दिखाई दे रही थी। 

रात मैं सो न सका था। चच्चा की फ़िक्र में करवटें बदलता रहा था। शमीम से मेरा एक तरफा इश्क, इस कड़ुवी सच्चाई से खतरे में पड़ा हुआ दिखाई पड़ रहा था।


सुबह खैरियत पूछने के बहाने, मैं उनके घर गया था। मैंने अफ़सोस ज़ाहिर किया था। शमीम का भाई बेहद भड़का हुआ था। कह रहा था - कमीना, (और भी कई अपशब्द कहता है) बस पता चल जाये वह पत्थर मारने वाला कौन है। दोनों आँखे फोड़ कर रख दूँगा उसकी। उसका प्रलाप सुनकर मेरी घिग्घी बँध गई थी। जल्द एक तरह से पीछा छुड़ा कर वहाँ से उठा था, मैं सदमे की हालत में था।


दिन में घर से निकल नहीं सका था। दोपहर खाना खा कर लेट गया था। रात नींद नहीं हुई थी, सो नींद लग गई थी। सायरा ने झिझोड़ कर जगाया था। वह कह रही थी, भाई, बाहर चलो, पुलिस आई है। हड़बड़ाकर मैं आँगन में आया था। 


पुलिस ने मेरे हाथों में हथकड़ी डाल दी थी। मुझे किसी सीसीटीवी कैमरे से पत्थरबाज के रूप में पहचाना गया था।  पुलिस मुझे ले जा रही थी। पीछे पलट कर मैंने देखा था। शमीम ने मुझे देखते हुए देखा था और उसने खँखार कर सामने थूक दिया था...


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