Vibha Rani Shrivastava

Tragedy

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Vibha Rani Shrivastava

Tragedy

दलदल : साक्षात्कार शैली

दलदल : साक्षात्कार शैली

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पत्रकार : "विधा के दिशा निर्देशों के अनुसार से कमजोर लिखी गयी रचना को आपने क्यों प्रकाशित कर दिया?"

उत्तरदायी : "ताकि आगे वैसी रचना नहीं लिखी जा सके•••!"

पत्रकार : "इस बात को नवोदित लेखक और पाठक कैसे समझेंगे? क्या आपको नहीं लगता कि पुस्तक में अलग से एक परिशिष्ट में इस बात की सूचना होनी चाहिए थी?

उत्तरदायी : "वैसे! कमजोर होता क्या है•••? जिस रचना की दस बार चर्चा हो जाए, वही बन जाए कालजयी रचना•••! संगत के अपने किस दिन के लिए होते हैं•••!"

पत्रकार : कदली, सीप, भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन।

जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन

उम्मीद करता हूँ वक्त का हिसाब ना हो जाए हीन।"


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