दिल्ली के ब्लाइंड स्कूल में रक्षाबंधन की रात घटी दिल दहला देन
दिल्ली के ब्लाइंड स्कूल में रक्षाबंधन की रात घटी दिल दहला देन
नमस्कार, मैं हूं सतीप्त गुप्ता, एक निरपेक्ष व्यक्तिगत पत्रिकाएं आंखों की रोशनी बिखेरती हैं, लेकिन आज मैं जो कहानी सुनाने जा रहा हूं, वह आपके दिल की आंखें तेज कर रही हैं। यह घटना मेरे साथ दिल्ली के एक ब्लाइंड स्कूल में घाटी थी और आज भी जब मैंने उसे याद किया, तो मेरे रोंगटे हो गए।
जुलाई महीने की बात है, जब मैंने दिल्ली के स्कूल में एक ब्लाइंड बात लिखी थी। आरंभ में सब कुछ सामान्य था; एक महीने तक कोई समस्या नहीं आई और मैं इस नए माहौल में सहज महसूस कर रहा था। लेकिन मुझे नहीं पता था कि रक्षाबंधन के बाद आने वाली रात मेरे जीवन की सबसे भयानक रात बनेगी।
रक्षाबंधन के त्योहार से पहले, स्कूल के ज्यादातर बच्चे अपने घर लौट आए थे। हम कुछ ही बच्चे स्कूल में रह गए थे और हमें यह अच्छा लगा कि अब हमें आराम से खाना-पीना मिल रहा है। क्योंकि बाकी बच्चे अपने घर चले गए थे, स्कूल में छात्रा पास हो गई थी। उस रात मैंने फैसला किया कि मैं अपने कमरे में ही सोऊंगी, जबकि बाकी बच्चे ठीक हो गए थे।
रात का खाना खाने के बाद, मैं अपने कमरे में व्यापारी सो गया। कमरे को अंदर से बंद कर लिया गया ताकि कोई भी बिना मेरी जानकारी के अंदर न आ सके। थोड़ी देर बाद मेरी नजर लग गई। लेकिन आधी रात को अचानक मेरी नींद खुल गई और मैंने जो देखा, वह मेरे मुंह से निकल गया।
मुझे महसूस हुआ कि मेरे हाथ की उंगली का कोई डिज़ाइन खिंचा हुआ है। मेरे कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद था, तो यह संभव नहीं था कि कोई इंसान अंदर से बाहर हो। इस बात का एहसास तब होता है जब मुझे समझ आता है कि यह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं बल्कि कोई अदृश्य शक्ति है। मेरे दिल की नज़र तेज़ हो गयी और डर से मेरा पूरा शरीर कम्पने लगा। उसी समय, मैंने तुरंत हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया और खुद को भगवान के भक्त बना लिया।
उसने रात को किसी तरह की बात कही, और सुबह होने पर मैंने बाकी बच्चों से अपनी मुलाकात सुनाई। परन्तु किसी ने भी मेरी बात पर विश्वास नहीं किया। शायद उन्हें यह कहानी एक सपना लगी होगी, लेकिन मैं जानता हूं कि वह कोई सपना नहीं था। यह एक सच्ची घटना थी जो मेरे साथ घटती थी।
**आर्टिकल:**
**विज्ञान के युग में अदृश्य शक्तियों का अनुभव: एक ध्यान**
आजकल हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के युग में जी रहे हैं, जहां हर चीज के पीछे वैज्ञानिक कारण खोजने की कोशिश की जा रही है। लेकिन वास्तव में अदृश्य शक्तियों का कोई अनुभव नहीं है? कौन सी कहानियाँ पूरी तरह से मान्य होंगी जो विज्ञान से संबंधित हैं?
विज्ञान ने हमें बहुत कुछ सिखाया है और कई प्रश्नों के उत्तर दिए हैं, लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं भी हैं जिनमें विज्ञान अब तक स्पष्ट रूप से समझ में नहीं आया है। अदृश्य शक्तियों की संभावनाएँ संभवतः इसी श्रेणी में आती हैं। मेरी खुद की घटना से मुझे यह पता चला कि अदृश्य शक्तियों की बात केवल संभव नहीं है, बल्कि वे हमारे जीवन पर भी प्रभाव डाल सकती हैं।
ऐसी घटनाओं को सिर्फ वैज्ञानिक या मानसिक पिरामिड के रूप में प्रमाणित करना सही नहीं है। हमें इन कहानियों को समझने की कोशिश करनी चाहिए और उनके पीछे के रहस्यों को जानने की कोशिश करनी चाहिए। हर घटना को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखने की बजाय, हमें उन चीज़ों के लिए भी जगह बनानी चाहिए जो विज्ञान से परे हैं।
अंत में, इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी योग्यताओं को पूरा करना चाहिए और उन्हें पहले सहमति देनी चाहिए। अदृश्य शक्तियों की अभिव्यक्ति हो या न हो, लेकिन हमारे अपने अनुभव ने हमें यह सिखाया है कि दुनिया में अभी भी बहुत कुछ ऐसा है जो हमें पूरी तरह से समझ में नहीं आया है।
इस घटना से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें अदृश्य शक्तियों के बारे में ध्यान रखना चाहिए और किसी भी असामान्य घटना को ध्यान में नहीं रखना चाहिए। चाहे आप विज्ञान में विश्वास रखते हों या अदृश्य शक्तियों में, लेकिन सच्चाई यही है कि कुछ घटनाओं को हमारे लिए मान्य करना संभव नहीं है।
**लेखक:** सप्तमी गुप्ता, एक गैर-बराबरी व्यक्ति, जिसने अपनी आंखों की रोशनी खोई है, लेकिन जीवन के सार से उसे गहराई से समझा जाता है।

