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technical Babaji

Horror

4  

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कब्रिस्तान की भूतिया रात

कब्रिस्तान की भूतिया रात

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गाँव के किनारे स्थित एक पुराना और वीरान कब्रिस्तान था, जिसके बारे में गाँव के लोग डर के बारे में बात भी नहीं करते थे। कहा जाता था कि यहां रात को ही भूत-प्रेतों का बसेरा होता है। इस कब्रिस्तान की सबसे डरावनी बात यह थी कि यहां एक पुराना बरगद का पेड़ था, जिसके नीचे कई साल पहले एक जादूगर ने काले जादू का अभ्यास किया था।


एक रात, कुछ दोस्तों ने अपने साहस को दिखाने के लिए कब्रिस्तान में जाने का निर्णय लिया। वे थे राजीव, अशुल, कविता, और निहारिका। वे सभी कॉलेज के छात्र थे और रोमांच के शौकीन थे। 


जैसे ही रात के 12 बजे, वे कब्रिस्तान के मुख्य द्वार के चारों ओर घूमे। डोर पर लिखा था, "यहाँ रात में प्रवेश द्वार है।" लेकिन उत्सुकता और चुनौती की भावना ने उन्हें रोका नहीं। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, अलौकिक हवा का एक निशान उनके चेहरे पर पड़ा, मानो उन्हें चेतावनी दे रहे हो। 


कब्रिस्तान के अंदर प्रवेश करते ही, उन्हें हर तरफ से एक अजीब सी ठंडक महसूस हुई। चारों ने अपने मोबाइल की चॉइस जलाई और धीरे-धीरे-धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। हर कदम के साथ, उन्हें अजीब-अजीब आवाजें सुनाई गईं। कभी किसी के हँसने की आवाज़, तो कभी किसी के रोने की। 


राजीव ने कहा, "यह सब हमारा भ्रम है। हम सभी यहां सुरक्षित हैं।" लेकिन उनकी आवाज में भी डर साफ झलक रहा था। 


वे चारों कब्रिस्तान मध्य प्रदेश के पुराने बरगद के पेड़ के पास स्थित हैं। अचानक, पेड़ की डिज़ाइन में हलचल हुई और एक चीख सुनाई दी। चारों ने पीछे मुड़कर देखा, तो उनकी टॉर्च की रोशनी में एक छायादार शीर्ष नजर आई। वह धीरे-धीरे अपने पास आ रही थी। 


कविता ने डर के मारे चिल्लाते हुए कहा, "हमें यहां से भागना चाहिए।" लेकिन जब उन्होंने मुड़कर देखा, तो कब्रिस्तान का दरवाजा खुद-ब-खुद बंद हो गया था। वे फंस गए थे। 


अंसल ने कहा, "हमें एक साथ रहना चाहिए और कोई उपाय नहीं करना चाहिए।" तभी उसने छायादार भाग को पास किया और कहा, "तुम लोग यहाँ क्यों आए हो? यह जगह तुम्हारे लिए नहीं है।" 


राजीव ने कांपते हुए पूछा, "तुम कौन हो?" 


उस शैडो ने जवाब दिया, "मैं वही शैतान की आत्मा हूं, जिसने यहां काला जादू किया था। तुम लोगों ने मेरी शांति भंग की है। अब तुम लोग यहां से कभी नहीं जा पाओगे।"


दार्शनिक की आत्मा ने अपनी काली शक्तियों को चारों ओर से घेर लिया। पेड़ के औजारों ने उन्हें होल्ड कर लिया और उनके कारखाने की रोशनी बुझ गई। चारों ओर चीखें कब्रिस्तान की मस्जिद में गूंजें। 


अचानक, निहारिका ने देखा कि बरगद के पेड़ के नीचे एक छोटा सा मंदिर है, जिसमें एक दिव्य ज्योति जल रही है। उसने चिल्लाते हुए कहा, "वह देखो, वहाँ रोशनी है। हमें वहाँ जाना चाहिए।" 


चारों ने अपनी पूरी ताकत से कोशिश की और किसी तरह से उन तीर्थों से छूट लेकर उस छोटे से मंदिर की ओर भागे। मंदिर के अंदर ही उन्हें एक साधु की मूर्ति दिखाई दी, जिसके सामने जल रही दीपक की रोशनी ने सुरक्षा का अहसास कराया। 


धार्मिक आत्मा ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी, लेकिन दिव्य ज्योति के प्रकाश से वह बाहर ही रुक गया। चारों ने मंदिर में प्रार्थना की और साधु की मूर्ति के सामने अपनी रक्षा की याचना की। 


धीरे-धीरे, दार्शनिक की आत्मा की शक्ति कम होने लगी और वह बरगद के पेड़ की ओर लौट गई। कब्रिस्तान का दरवाजा फिर से खोल दिया गया और चारों ओर से बाहर निकाल दिया गया। 


चारों ने एक-दूसरे को सहराणा कब्रिस्तान से बाहर के दरवाजे से ही बंद कर दिया और वहां से भाग निकले। 


इस भूतिया रात ने उन्हें जीवन भर का पाठ सिखाया। उन्होंने कहा कि वे अब कभी भी इस तरह के रोमांच के पीछे नहीं जाएंगे और हमेशा के लिए उस जगह का सम्मान करेंगे जहां पर सितारों का अस्तित्व होता है। 


कब्रिस्तान की भूतिया रात ने चारों दोस्तों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। उन्होंने कहा कि साहसिक और उत्सुकता के बीच एक सरल रेखा होती है, जिसे पार करना कभी-कभी घातक साबित हो सकता है। इस डरावनी रात की यादों की उनकी कहानियाँ हमेशा के लिए बस गईं और उन्होंने कभी भी ऐसी खतरनाक जगहों पर जाने की हिम्मत नहीं की।




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