"संघर्ष से सजी राखी"
"संघर्ष से सजी राखी"
नारी उदय फाउंडेशन का उन्होंने हॉल में उत्साह और आनंद उठाया। हर तरफ राखियां और मिठाइयों की खुशबू फैल रही थी। सुंदर-सुंदर कारीगरों में सज-धज कर अपने मजदूरों के लिए राखी बांधने को तैयार की थी। लेकिन यह हर्षोलास का दृश्य केवल आज की बात नहीं है, इसके पीछे एक गंभीर आघात छिपा हुआ था।
नारी राइज फाउंडेशन, जो हरियाणा राज्य के निचले जिलों में स्थित है और रेलवे स्टेशन के पास है, जब इसकी शुरुआत हुई, तब यहां की लड़कियों और महिलाओं को बहुत संघर्षों का सामना करना पड़ा। गांव और समाज की बेड़ियों में जकड़ी हुई ये महिला नारी शक्ति का प्रतीक बनकर उभरना चाहती थी, लेकिन रास्ता आसान नहीं था। उन्होंने कई कहानियों का सामना किया- कभी समाज के ताने, कभी तो आर्थिक तंगी। लेकिन उनकी खेती कभी नहीं चली।
इस फाउंडेशन की शुरुआत करने वाली महिला, रानी हुडा, खुद एक मिसाल थी। उन्हें अपनी जिंदगी में बहुत सारी चीजों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने सोचा कि वे महिलाओं के लिए किसी भी कीमत पर एक ऐसी जगह बनाए रखें जहां उन्हें सुरक्षित महसूस हो और उनके अधिकार के लिए मजबूती हो। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाई और नारी उदय फाउंडेशन का गठन हुआ।
डिफेंस का यह पर्व फाउंडेशन के लिए खास था। यह केवल भाई-बहन के प्यार का जश्न नहीं था, बल्कि उन भाइयों के लिए एक नई शुरुआत थी जो अपनी लड़ाई लड़की और प्रेमिका की चाहत रखती थी। आज जब रानी हुडा ने अपने भाइयों को मजदूरों की कलाई पर राखी बांधते देखा, तो उनकी आंखों में खुशी के फूल थे। यह पुरानी राखी थी जिसे कभी-कभी वे केवल एक आंशिक रूप से सीमित रूप से देखते थे, लेकिन आज यह शक्ति, आत्मनिर्भरता और विश्वास का प्रतीक बन गया था।
फ़ाउंडेशन की लड़कियाँ आज गौरव से प्रमुख कह सकती हैं कि वे किसी से भी कम नहीं हैं। उन्होंने समाज को यह संदेश दिया था कि अगर नारी ठान ले, तो वह हर चुनौती का सामना कर सकती है और उसे जीत भी सकती है।
### लेख: **"रक्षाबंधन: प्रेम, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता का पर्व"**
रक्षाबंधन का पर्व भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और दायित्व का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसकी लंबी उम्र और सुखद भविष्य की कामना करती है। जहां भाई अपनी बहन को सुरक्षा का वचन देता है। यह पर्व हमारे समाज में प्रेम और विश्वास का प्रतीक बना है।
लेकिन रक्षाबंधन एक त्यौहार नहीं है, यह उस बंधन का भी प्रतीक है जो समाज की एकता है। इस दिन भाइयों और बहनों के बीच का प्यार और देनदारी और भी गहरा हो जाता है। राखी की यह डोर केवल धागों का रक्षाबंधन नहीं है, यह विश्वास, प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है।
नारी उदय फ़ाउंडेशन की कहानी "रक्षाबंधन के इस पर्व" की एक नई परिभाषा है। यहां की महिलाएं अपने जीवन में अनगिनत संघर्षों का सामना करते हुए आज इस पर्व में आत्मनिर्भरता और शक्ति के प्रतीक के रूप में मना रही हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि रक्षा मंत्रालय केवल सैनिकों का ही नहीं है, बल्कि उन सभी का पर्व है जो किसी का भी सामना करने के लिए तैयार हैं।
मित्रता का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हमें केवल राष्ट्रभक्ति का ही ध्यान नहीं रखना चाहिए, बल्कि समाज के प्रति अपनी भावना का भी ध्यान रखना चाहिए। हमें एक-दूसरे की रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए, चाहे वह हमारा परिवार हो या समाज। आज के दौर में, जब समाज में कई प्रकार के प्रतीक हैं, तो रक्षाबंधन का यह पर्व हमें याद दिलाता है कि हम सभी को एक-दूसरे की सुरक्षा और सामान के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
### निष्कर्ष:
मित्रता का यह पर्व हमें प्रेम, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की याद दिलाता है। नारी उदय फाउंडेशन की महिलाओं ने इस पर्व को एक नई दिशा दी है। उन्होंने अपने संघर्षों और आत्मबल के माध्यम से यह संदेश दिया कि अगर नारी ठान ले, तो वह हर चुनौती का सामना कर सकती है। यह कहानी और लेख उस शक्ति और संघर्ष की एक झलक है जो नारी के भीतर मौजूद है, बस उसे प्रशिक्षण और जागृति करने की आवश्यकता है।
