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कब्रिस्तान की रहस्यमयी संगिनी

कब्रिस्तान की रहस्यमयी संगिनी

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एक छोटे से गाँव में एक बेहद गरीब लड़का था, जिसका नाम आरव था। आरव बचपन से ही सब्स्क्राइब का सामना करना पड़ रहा था। उसके माता-पिता गरीब थे और समाज के लोगों ने कभी उसका साथ नहीं दिया। समाज ने उसे सदैव अलग-अलग भावनाएँ प्रदान कीं। समय बीत गया, और अब 19-20 साल का समय बीत चुका था। उसने अपने जीवन की सदस्यता से इतनी बड़ी निराशा चुकाई थी कि उसके लिए कोई रास्ता नहीं रह गया था।


एक रात जब समाज ने ठुकराया तो इस लड़के ने सोचा कि जब कोई उसका नहीं है, तो क्यों न वह ऐसी जगह जाए, जहां कोई जाना न चाहे। उनके माता-पिता के गुजर जाने के बाद भी, समाज के लोगों ने उन्हें कोई चिंता नहीं की, न ही उनका कोई सहारा दिया। उसी रात करीब 8 बजे अरव ने अपने घर से खाना-पीना जाकर कब्रिस्तान की ओर जाने का फैसला किया, क्योंकि वहां कोई नहीं था।


आरव कब्रिस्तान में विक्रेता ने एक पुराने पेड़ के नीचे जाकर अपनी जिंदगी के बारे में जानकारी दी। उसे इस बात का दुःख था कि उसके साथ कोई भी नहीं है। रात गहरी हो गई और लगभग 12 या 1 बजे का समय हो गया। अस्थायी आरव को पाइल्स की आवाज दी गई। इस आवाज ने उसे डर से भर दिया, लेकिन फिर भी वह शांत रहा और आवाज का स्रोत तलाशने लगा।


कुछ ही देर में उसके पास एक लंबी यात्रा रुकी। वह महिला बहुत ही खूबसूरत थी, वह बहुत ही खूबसूरत खूबसूरत थी। उसने आरव का हाल-चाल पूछा। मेरे लिए यह अनोखा अनुभव था, क्योंकि पहली बार किसी ने इसे दोहराया था। महिला की बातें ने अरव के दिल में थोड़ी सी खुशी और ईमानदारी भर दी। वे दोनों बातें करने लगे और महिला ने आरव की व्यथा को समझ लिया। उन्होंने कहा कि अब हथियार और जमीन की जरूरत नहीं है।


महिला ने आरव को अपनी बाटी में भर लिया और उससे प्यार करने लगी। आरव अपने पोर्टफोलियो में बहुत खुश हो गए, क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ था कि किसी ने उन्हें इतनी आत्मीयता से अलग कर दिया था। 


कुछ देर बाद आरव ने महिला से पूछा, "तुम कौन हो और तुम्हारी शादी कैसे हुई?" इस महिला की आंखों में एक अजीब सी चमकती आई और वह आरव को अपनी कहानी कहती है।


वह महिला कभी एक गांव की खूबसूरत और जवान लड़की थी। उनके माता-पिता गरीब थे और उन्होंने अपनी शादी एक अमीर घर में की थी। लेकिन शादी के बाद उसकी पत्नी ने उसे अनदेखा करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे उसकी जिंदगी खत्म हो गई। उसके पति ने उसे इतनी हिम्मत दी कि एक दिन उसने गांव के इसी कब्रिस्तान में आत्महत्या कर ली। उनके निधन के बाद भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिली, क्योंकि वह अपने जीवन में मिलने वाले प्रेम और सम्मान से राज करते रहे। इसलिए, उसकी आत्मा ने इस जगह को अपना निवास बनाया, जहां वह जैसे जंगल और बेसहारा चट्टानों को सहारा लेती है।


इस परिचय के बाद भी आरव को धोखा नहीं हुआ, बल्कि उसने महिला को और भी अधिक स्नेह से स्वीकार किया। धीरे-धीरे-धीरे-धीरे गांववालों को इस तरह का सांप लग गया कि आरव बात और उस महिला के बीच कुछ चल रहा है। उन्होंने उन्हें अलग करने की कई कोशिशें कीं, लेकिन वे सफल नहीं हुए। यहां तक कि शैतानों ने भी उन्हें अलग करने की कोशिश की, मगर जैसी ही महिला को इन अलाइसन की अनुमति दी गई, उन्होंने अपने रूप को बदल कर शैतान के पास रखा और उसे मार डाला। 


गांव वालों को इतना डर था कि अब कोई भी उनसे अलग नहीं सोच पाएगा। आरव और वह महिला अब खुशी-खुशी साथ रहें। कभी वह महिला किशोरी लड़की के रूप में, तो कभी वयस्क महिला के रूप में आरव को पत्नी का सुख प्रदान करती है। उनकी प्रेम कहानी एक रहस्यमय लेकिन अनोखी प्रेम कहानी बन गई, जिसे समाज अब एक किंवदंती के रूप में याद करता है।


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### **लेखक की टिप्पणी:** *"जिसका कोई नहीं होता, उसका भगवान होता है"*


इस कहानी का लेखक सप्तमी गुप्ता है, जो दोनों की आँखों से पसंद है। इसका उद्देश्य यह बताया गया है कि जब दुनिया का कोई भी इंसान हमारा साथ नहीं देता, तब भी कहीं न कहीं एक रहस्यमयी शक्ति होती है, जो हमें सहारा देती है। यह कहानी केवल एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि उन सभी के लिए एक संदेश है, जो खुद अकेले और बेसहारा महसूस करते हैं। यह बताता है कि हमारे जीवन में कितना भी कठिन रिश्ता क्यों न हो, कहीं न कहीं कोई न कोई हमारे साथ देने वाला होता है, खोखला वह इंसान हो या किसी अदृश्य शक्ति के रूप में हो।


समाज में उस कटु सच्चाई को भी उजागर किया गया है, जहां लोग गरीब और बेसहारा लोगों की कहानी बताते हैं। मगर अंततः यह दिखाया गया है कि प्यार और सहारा कहीं न कहीं से मिल ही जाता है, कायर वह किसी भी रूप में हो।



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