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कहानी: "सत्य की शक्ति"**

कहानी: "सत्य की शक्ति"**

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लेखक: सप्तमी गुप्ता (एक आंख से साक्षात्कारकर्ता)**


एक छोटे से गांव स्थित समिति में एक लड़का काम करता था। वह अपनी कड़ी मेहनत और निष्ठा से धीरे-धीरे-दारा समिति के महत्वपूर्ण सदस्य बने। उसकी काबिलियत की चर्चा हर तरफ थी, और समिति के मालिक ने भी उसे अपना विश्वास पात्र लगाया था। उसी समिति में एक लड़की भी काम करती थी, जो धीरे-धीरे उस लड़के के प्रति आकर्षित हो गई। दोनों की बीच दोस्ती ने मोहोब्बत का रूप ले लिया। उनकी यह मोहोब्बत समिति के हर कोने में चर्चा का विषय बनी थी।


समिति में एक और लड़का था, जो स्वभाव से प्यासा और घटिया था। वह लड़के और लड़की के बीच घने बालों से चिपक गया। वह यह सहन नहीं कर पा रही थी कि कोई और उसकी आंखों के सामने सफलता और प्रेम दोनों का आनंद ले रहा है। उन्होंने धीरे-धीरे मदरसा समिति के अन्य सदस्यों के खिलाफ लड़कों को भड़काना शुरू कर दिया। वह अपने धूर्त यूनिवर्सिटि से लोगों को इस बात के लिए तैयार करने लगा कि बॉय कमेटी के लिए बिजनेस शुरू कर दिया है।


जल्द ही उसका एक बड़ा ग्रुप बन गया, जो लड़के के खिलाफ साजिश रचने लगा। उन्होंने समिति के मालिक के सामने लड़के के खिलाफ कई शेयर बाजार किये। मालिक ने पहले तो अपनी बातों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब बार-बार स्टॉक एक्सचेंज को बुलाया गया, तो वह भी भ्रमित हो गया और अंततः बॉय कमेटी से आकर कठोर निर्णय ले लिया।


लड़के ने जब यह निर्णय लिया तो वह टूट गया। वह अपनी मेहनत से बनी दुनिया को खत्म करने के लिए मजबूर हो गई थी। जाते वक्त उसका नाम वही था और वह लड़की, जिससे प्यार करती थी, उसे रोते हुए देखती थी। लेकिन वे दोनों दरवाजे के आगे बेबस थे। लड़का समिति ठीक होकर अपना घर लौटा आया।


समय बीत गया। लड़के ने अपनी किश्ती और मेहनत से एक नई पहचान बनाई। वह एक बड़ी कंपनी में ऊंचे पद पर पहुंच गई। वहीं, लड़की ने भी समिति छोड़ दी और बेहतर नौकरी हासिल की। दोनों ने आख़िरकार शादी कर ली और सुखी जीवन का अंत करने लगे।


दूसरी ओर, समिति का हाल बुरा हुआ। जिन लोगों ने लड़कों के खिलाफ साजिश रची थी, उनमें से कई शैतानों का शिकार हुए थे, और कुछ के बीच में फूट पड़े थे। समिति के मालिक को भी तनाव में रहना पड़ा और उसकी समस्या दिन- प्रतिदिन घटी हुई लगी।


समिति के वे लोग, जो कभी एकता का दम भरते थे, अब बर्बादी पर थे। उनमें से कई लोगों की मृत्यु हो गई, और समिति धीरे-धीरे समाप्त हो गई।


### **लेख: "विनाशकारी एकता और उसके परिणाम"**


कहते हैं कि एकता में शक्ति होती है, लेकिन जब यह एकता किसी भी तरह की साजिश रचने के लिए बनाई जाती है, तो यह विनाश का कारण बन जाती है। जिस तरह से लड़के के खिलाफ एक समूह ने साजिश रची और उसे अपनी मेहनत से हासिल की गई सफलता से नवाचार कर दिया, वह हमें कहानी पर मजबूर करती है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं।


ऐसे लोगों को लिखा जाना चाहिए कि जब वे किसी के खिलाफ साजिश रचते हैं, तो वे केवल अपने साथ अन्याय नहीं करते हैं, बल्कि खुद के विनाश की नींव रखते हैं। कुदरत का न्याय सदैव सही समय पर होता है। उन लोगों का अंत इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि गलत काम करने वालों का कभी भला नहीं होता।


हमारे समाज में यह आवश्यक है कि हम लेखकों के साथ प्रेम और सद्भावना से बने रहें। यदि कोई व्यक्ति अपनी मेहनत और क्षमता से ऊपर है, तो हमें उसकी सफलता से प्रेरणा लेनी चाहिए, न कि चाहत।


इस कहानी का संदेश स्पष्ट है - किसी भी तरह की साजिश के खिलाफ रचने से पहले एक बार में कहा गया था कि आप उस पीड़ा को सह सकते हैं जो भविष्य में आपके हिस्से में आ सकती है। अंततः, सत्य की शक्ति और कुदरत का न्याय अनिवार्य रूप से विजयी होते हैं।


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