देश के प्रति नौजवानों का फर्ज़
देश के प्रति नौजवानों का फर्ज़
राहुल सुबह सुबह कॉलेज जाने के लिए मोटर साइकिल पर निकला और सीधा मोहन के घर जा पहुंचा। राहुल और मोहन दोनों हमेशा साथ साथ में ही कॉलेज जाते थे। एक दिन मोहन अपनी मोटरसाइकिल उठाता तो दूसरे दिन राहुल। इस तरह से दोनों के पेट्रोल का खर्चा आधा हो जाता था।
आज गणतंत्र दिवस था और दोनों को झंडे सलामी के कार्यक्रम में समयसर कॉलेज पहुंचना था क्यों कि राहुल को सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाषण की प्रतियोगिता के लिए नामांकित किया गया था। मोहन जो रात को देर से सोया था , उसे उठने में देर हो गई इसलिए उसने तैयार होने में थोड़ी देर लगा दी। राहुल कब से हॉर्न पे हॉर्न बजाए जा रहा था। आखिर मोहन दौड़ता हुआ घर से निकला और राहुल के पीछे मोटरसाइकिल पर बैठ गया।
चूंकि उनको पहले से ही देर हो चुकी थी, इसलिए राहुल ने अपनी गाड़ी की स्पीड थोड़ी तेज़ कर दी। सुबह सुबह रास्ता खाली था इसलिए उसे गाड़ी तेज़ चलाने में कोई धिक्कत नहीं आ रही थी। गाड़ी चलाते वक्त अचानक से उसके मोबाइल की घंटी बजी। उसे लगा कि शायद कॉलेज से ही फोन आया होगा, यह सोचकर उसने मोबाइल फोन उठाया और गाड़ी चलाते हुए ही फोन पर बात करने लगा। फोन वाकई में उसके कॉलेज के दोस्तों का ही था, जो उससे पूछ रहे थे कि वह आखिर कब तक कॉलेज पहुंचेगा क्योंकि गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम चालू होने ही वाला था। राहुल ने बताया कि वह और मोहन थोड़ी देर में पहुंचने ही वाले हैं। उनसे बात करते करते अचानक से राहुल की गाड़ी के सामने सुबह को मॉर्निंग वॉक करने वाले दंपति आ गए। चूंकि राहुल का ध्यान फोन पे बात करने में लगा हुआ था इसलिए उसने इस दंपति को पहले नहीं देखा। अचानक से उनको गाड़ी के सामने देखकर वह हड़बड़ा गया और उस दंपति को बचाने के चक्कर में अपनी गाड़ी को साइड में ले गया जिससे उनकी गाड़ी सीधा डिवाइडर से टकरा गई। राहुल और मोहन दोनों नीचे सड़क पर गिर पड़े। दोनों को हेलमेट भी पहना हुआ नहीं था। ये तो शुक्र था कि उनकी गाड़ी की गति ज्यादा तेज़ नहीं थी इसलिए उनकी गाड़ी को मात्र डिवाइडर की टक्कर ही लगी थी और कोई गाड़ी भी उनकी गाड़ी के पीछे नहीं थी क्योंकि सुबह का समय था इसलिए मार्ग पर ज्यादा वाहन भी नहीं थे इसलिए दोनों को कोई खास चोट नहीं लगी। दोनों एक दूसरे को संभालते हुए उठ खड़े हुए और कपड़े झाड़ते हुए जैसे ही मोटरसाइकिल उठाने लगे तब वो दंपति जिनको बचाने की कोशिश में वे डिवाइडर से जाकर टकराए थे उन के पास आकर उनका शुक्रिया अदा करने लगे और उन्हें कहने लगे, " बच्चों, तुम तो अपने परिवार की और इस देश की धरोहर हो। इस देश का भविष्य हो। तुम सलामत रहोगे तभी ये देश सलामत रहेगा। इसलिए ज़रूरी है कि तुम अपनी सुरक्षा का ध्यान रखो। घर से बाहर निकलो तो जल्दबाज़ी न करो। दुपहिया में निकलते हो तो हेलमेट पहनकर ही निकलो और गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल पर तो बिलकुल ही बात न करो और बात करनी ही हो तो अपनी गाड़ी को सड़क के किनारे रोककर आराम से बात करो। ये तो अच्छा था जो आज तुम्हारी गाड़ी के पीछे और कोई गाड़ी नहीं थी और तुम्हारी गाड़ी की गति बहुत ज्यादा नहीं थी इसलिए तुम्हें ज्यादा चोट नहीं लगी, वर्ना पता नहीं आज क्या हो जाता। तुम्हारे परिवार को तुमसे बहुत ही प्यार है। उनका तुम सपना हो। तुम्हारे मां बाप को तुमसे कई उम्मीदें हैं जो तुम्हें पूरी करनी हैं। जिसके लिए तुम्हें सुरक्षित रहना ही है। आइंदा से बच्चों, ध्यान रखना।" इतना कहकर वो दंपति आगे चला गया।
राहुल और मोहन दोनों कॉलेज पहुंच गए। वहां का कार्यक्रम कुछ देर पहले ही चालू हुआ था। कुछ देर के बाद भाषण की प्रतियोगिता का सिलसिला चालू हुआ। भाषण का विषय था "देश के प्रति नौजवानों का फर्ज़"। राहुल की जब बारी आई तो उसने जो भाषण की तैयारी की थी उसमें वो सब भी जोड़कर उसने बताया जो आज के हादसे के बाद उस दंपति ने उसे समझाया था। उसने बताया कि किस तरह से हेलमेट पहनकर, मार्ग पर धीमी गति से वाहन चलाकर तथा गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल पर बात न करके अपने देश के लिए, अपने देश के विकास के लिए नौजवान खुद को सुरक्षित रख सकते हैं। क्यों कि आज के नौजवान ही आने वाले कल के निर्माता हैं। इसके अलावा उसने यह भी बताया कि सच्चा देश प्रेम अर्थात मन में सच्चाई और ईमानदारी तथा अनेकों मानवीय मूल्यों का विकास। उसने एक एक मानवीय मूल्य के महत्व को बताते हुए नौजवानों को सच्चाई की राह पर चलने की अपील की। उसने देश की मज़बूती के लिए, एकता और भाईचारे को अपनाने पर ज़ोर ढाला। अपने देश पर फख्र करने एवं उसकी सुरक्षा एवं विकास के लिए स्वदेशी को अपनाने की हिदायत की। नशीली चीज़ों के सेवन और उससे होने वाले नुकसानों के बारे में उसने सबको बताया कि किस तरह से नशीली चीज़ें इंसान को अंदर से खोखला करती जाती हैं। अंत में समय की पाबंदी और अनुशासन का देश के विकास में क्या योगदान है, यह समझाते हुए *जय हिंद*का नारा लगाते हुए अपने भाषण को विराम दिया। उसके भाषण के समाप्त होते ही वातावरण में तालियों की गूंज गूंजने लगी।
इस तरह से एक एक करके सारे बच्चों ने इस विषय पर अपना भाषण सुनाया। अंत में बारी आई परिणाम घोषित करने की। कार्यक्रम के जजों ने राहुल के विचारों का समर्थन किया और उसे प्रथम स्थान पर विजयी घोषित किया गया। वह अपना इनाम और प्रमाणपत्र लेकर यह सोचते हुए अपने घर की ओर वापस लौटा कि आज के हादसे ने और उस दंपति की सलाह ने न सिर्फ राहुल और मोहन को परंतु गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में आए सभी लोगों के मन में अपने देश के प्रति जागरूकता पैदा कर दी थी।