Jyoti Naresh Bhavnani

Inspirational

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Jyoti Naresh Bhavnani

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देश की धरोहर हैं नागरिक

देश की धरोहर हैं नागरिक

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मुरली आज बहुत ही खुश था। जब से वह दफ्तर से लौटा था तबसे वह देशभक्ति के गीत गुनगुनाए जा रहा था। बीना उसकी पत्नी कब से टकटकी बांधे उसको देखे जा रही थी पर वह तो गुनगुनाने में इतना लीन था कि उसको इस बात का आभास ही नहीं हुआ कि बीना कब उसके सामने आकर खड़ी हो गई थी और उसको ही ध्यान से निहार रही थी। आखिर बीना के सब्र का बांध टूट गया और उसने मुरली से पूछ ही लिया कि आखिर क्या बात है जो वह खुशी के मारे इतना गुनगुना रहा है? तब मुरली ने उसे बताया कि कल गणतंत्र दिवस है और इस पावन दिवस पर उसकी ड्यूटी लगी है सुबह झण्डे सलामी के प्रोग्राम में। तो इस पर बीना ने कहा, "हां, यह तो बहुत खुशी की बात है कि इतने बड़े और पावन अवसर पर तुम्हारी ड्यूटी लगी है, परंतु तुम्हारी खुशी की वजह कुछ और ही लग रही है। " तो इस पर मुरली ने कहा, " तुम तो अंतर्यामी हो। तुम तो बिना बताए ही सब समझ जाती हो।" इस पर बीना ने हंसते हुए कहा, " अब बातें बनाना छोड़ो और सच सच बताओ कि बात क्या है?" इस पर मुरली ने बताया कि कल गणतंत्र दिवस की झंडे सलामी के पश्चात अध्यक्ष महोदय द्वारा उन अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमाणपत्र दिए जाएंगे जिन्होंने पूरा वर्ष ईमानदारी, निष्ठा और अनुशासन के साथ अपने कर्तव्य का पालन किया है। उन लोगों की सूची में उसका भी नाम शामिल है। इस पर बीना ने उसे बधाई देते हुए कहा, " अरे वाह! आपको ख़ूब ख़ूब बधाई हो।आपके काम की कद्र हो रही है, ये तो बहुत ही अच्छी बात है...." उसकी बात को बीच में ही काटते हुए मुरली ने कहा," अब बातें बनाना छोड़ो और जल्दी से खाना टेबल पर लगा दो। मुझे जल्दी सोना है। सुबह जल्दी जो उठना है।" इसपर बीना ने कहा, " खाना बिलकुल तैयार है और मैं वही तो आपसे पूछने आई थी। अभी 5 मिनट में परोसती हूं। तब तक आप हाथ मुंह धोकर बैठिए."


दोनो ने मिलकर खाना खाया। मुरली खाना खाकर घर में ही टहलने लगा। बीना अपने बर्तन साफ करके रसोईघर को साफ करने में जुट गई। दोनों अपना काम फटाफट पूरा कर के जल्दी सो गए। सुबह सवेरे ही दोनों उठ गए। बीना अपने काम में व्यस्त हो गई और मुरली जल्दी तैयार होकर देशभक्ति के गीत गुनगुनाता हुआ गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में जाने की तैयारी करने लगा। वह तैयार होकर घर से जैसे ही बाहर निकलने लगा तब बीना ने उसे टोक दिया, "अजी सुनते हो। खुशी खुशी में हेलमेट तो आप यहीं पर भूल कर जा रहे हो, उसे तो पहनते जाओ।" इस पर मुरली ने पीछे मुड़ते हुए कहा," अच्छा हुआ जो तुमने याद कराया। अपनी खुशी और भावुकता में तो मैं हेलमेट भूल ही गया था। इस समय तो रास्ते पर इतनी भीड़ होगी नहीं। पर फिर भी खुद की सलामती के लिए ये ज़रूरी भी है।" इतना कहकर वह देशभक्ति का जज़्बा मन में लिए गुनगुनाता हुआ घर से निकल पड़ा। अभी उसने आधा रास्ता ही पार किया था कि अचानक से दो कुत्ते विपरीत दिशा की गली से दौड़ते हुए उसके स्कूटर के सामने आए। उनको अचानक से अपने सामने देखकर उनको बचाने के चक्कर में उसने स्कूटर मार्ग से थोड़ा नीचे उतार दिया। नीचे मिट्टी थी जिसके कारण उसके स्कूटर का संतुलन बिगड़ गया और वह नीचे गिरकर एक पत्थर से जा टकराया। उसके हाथ थोड़े से छिल गए और थोड़ा सी पांव में मोच आ गई। हेलमेट पहने हुए होने की वजह से वह बच गया और पत्थर से टकराने के बावजूद भी उसको सिर में कोई भी चोट नहीं लगी थी। वह धन्यवाद देने लगा ईश्वर का और बीना का जिनकी वजह से आज वह बच गया था और थोड़े में ही छूट गया था। इतने में तो वहां पर भीड़ जमा हो गई और लोगों ने उसे पकड़कर उठाया और स्कूटर को भी सीधा कर के दिया। वह ईश्वर का और उसकी मदद करने वाले सभी लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए वहां से चल पड़ा।


गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में पहुंचकर बिना किसी को कुछ बताए उसने तुरंत अपने ड्यूटी संभाली । झंडे सलामी के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम आरंभ हुआ और उसके बाद बारी आई संगठन में अच्छा काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमाणपत्र देने की। पूरा माहौल देशभक्ति के जज़्बे से भरा पड़ा था। तालियों की गड़गड़ाहट गूंज रही थी। मध्यम आवाज़ में देशभक्ति के गीत बज रहे थे। मुरली भी बेसब्री से अध्यक्ष महोदय के हाथ से प्रमाणपत्र लेने के लिए इंतजार कर रहा था और जैसे ही उसके नाम की घोषणा हुई वह पूरे जोश और उमंग के साथ खुशी खुशी प्रमाणपत्र लेने के लिए स्टेज पर जा पहुंचा। जब वह अध्यक्ष महोदय के हाथ से प्रमाणपत्र ले रहा था तब अचानक से अध्यक्ष महोदय का ध्यान उसके हाथों पर गया और उसमें खून देखकर उन्होंने उसका कारण पूछा। मुरली ने सब सच सच बता दिया। यह सुनकर अध्यक्ष महोदय ने उसे स्टेज पर ही रुकने के लिए कहा और खुद माइक पर जाकर उन्होंने मुरली के आज के वारदात का किस्सा वहां उपस्थित सारे लोगों को सुनाया और बताया कि किस तरह हेलमेट की वजह से आज उनके संगठन का एक नेक और मेहनती कर्मचारी किसी अनहोनी का शिकार होने से बच गया। उन्होंने कहा कि देश का हर एक नागरिक देश की धरोहर है। नागरिक हैं तो हमारा ये देश है और देश है तो नागरिक हैं। नागरिक और देश दोनों एक दूजे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि अपने देश के लिए, अपने देश की सुरक्षा और सलामती के लिए नागरिकों का सुरक्षित होना सबसे ज़रूरी है और उसके लिए ज़रूरी है सुरक्षा के नियमों का पालन करना। उन्होंने सबसे अपील की कि जब भी वे कोई दुपहिया वाहन चलाएं तो कृपया करके हेलमेट पहनकर ही अपने घर से निकलें क्यों कि अनहोनी अनिश्चित होती है और यह जीवन बड़ा ही अनमोल है, जिसे सुरक्षति रखना बहुत ज़रूरी है। उन्होंने मुरली की पत्नी बीना की भी प्रशंसा की जिनमें घर संभालने के अलावा अपने पति की सुरक्षा के प्रति भी इतनी जागरूकता थी। उन्होंने मुरली को आज की बाकी की ड्यूटी से मुक्त करते हुए तुरंत अपने घर जाकर अपने ज़ख्म पर मरहम पट्टी कराने को कहा।


मुरली खुशी खुशी अपना प्रमाणपत्र लेकर एक नई उमंग और जोश के साथ देशभक्ति के गीत गुनगुनाता हुआ अपने घर की ओर चल पड़ा।


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