स्वदेशी की महक
स्वदेशी की महक
26 जनवरी अभी गया ही था। सबके दिलों में देशभक्ति और स्वदेशी की भावना एक बार फिर से भर गया था। नेहा भी स्वदेशी की भावना को मन में लिए, देशभक्ति के गीत गुनगुनाती हुई अपने दफ्तर पहुंची। हर रोज़ की भांति उसने सभी को गुड मॉर्निंग किया और अपने इष्ट देवता को याद कर के अपने काम में तल्लीन हो गई।
शाम को जब उसके सहकर्मी काम से थोड़े फ्री हुए तो आपस में थोड़ी गपशप करने लगे। इसी बीच गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों का ज़िक्र हुआ, स्वदेशी का ज़िक्र हुआ और इसी ज़िक्र के बीच किसी ने कहा कि मात्र गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस पर अपने देश को याद करना कहां तक सही है। एक तरफ हम अपनी आज़ादी का जश्न मनाते हैं दूसरी तरफ हम स्वदेशी परंपराओं और स्वदेशी भाषाओं को छोड़ विदेशी परंपराओं को अपनाते हैं। विदेशी फैशन को अपनाते हैं, स्वदेशी वेश भूषाओं को छोड़ विदेशी बेढंगी वेश भूषाओं को पहनते हैं, स्वदेशी भाषाओं को छोड़ अंग्रेज़ी में बात करने में गर्व महसूस करते हैं। तो इन सब का क्या मतलब हैं। अपने भारत को इंडिया कहते हैं, जब कि किसी भी देश का नाम भाषा के हिसाब से बदलता नहीं है। कोई भी भाषा हो , पर हर भाषा में देश का नाम वही रहता है।अर्थात हम जो भी कर रहे हैं गलत ही तो करते हैं। नेहा जो यह सब चुपचाप सुन रही थी, ये बात उसको दिल से लग गई। वो अभी इस बारे में कुछ सोच ही रही थी कि घर जाने का समय हो गया और सभी धीरे धीरे अपने घर की ओर चल दिए।
चूं कि कार्यालय में नेहा सबसे पहले आती थी, तो दूसरे दिन भी वह सबसे पहले आई। पर आज वह एक निश्चय लेकर आई थी। जैसे ही एक एक कर के दफ्तर में लोग आते गए और आपस में गुड मॉर्निंग करने लगे तो नेहा ने उन्हें अनुरोध किया कि वे गुड मॉर्निंग नहीं पर जय भारत कहें। किसी ने कहा कि वे जय भारत कहेंगे, किसी ने कहा कि जय हिंद बोलेंगे, किसी ने कहा वंदे मातरम कहेंगे तो किसी ने कहा कि वे भारत माता की जय बोलेंगे। इस तरह उस दिन की शुरुआत सबने अपने देश को याद करते हुए बेहद ही जोश और उत्साह के साथ की। जो भी दफ्तर में आता उसको गुड मॉर्निंग कहने की बजाय जय हिंद या जय भारत या वंदे मातरम या भारत माता की जय कहा जाता। पूरे दफ्तर में देशभक्ति की महक फैलने लगी। धीरे धीरे कर के ये दफ्तर का हर रोज़ का नियम बन गया जो आज भी बरकरार है।
उनको देखकर उसी संगठन के दूसरे विभागों में भी इसकी शुरुआत हो गई। नेहा ने यह सब देखकर खुशी के मारे अपने सहकर्मियों से कहा, " देशभक्ति और स्वदेशी की शुरुआत तो हमारे दफ्तर में हो चुकी है और इसकी महक दूसरे विभागों तक भी फैल चुकी है। वो दिन दूर नहीं जब हमारे संगठन के सभी विभागों में भी स्वदेशी की शुरुआत होगी और वह ऐसी शुरुआत होगी जो सब के लिए यादगार होगी। आगे चलकर यह महक पूरे भारत देश में फैलेगी, जिसका हमको बेसब्री से इंतजार रहेगा।" उसके सहकर्मियों ने भी इस बात की हामी भरी इसी विश्वास के साथ कि वह दिन दूर नहीं जब पूरे भारत देश में सिर्फ 26 जनवरी या 15 अगस्त या किसी बड़े दिन या केवल भाषण समारोह में नहीं पर हर रोज़ ही भारत माता की जय, वंदे मातरम, जय हिंद और जय भारत का नारा गूंजेगा जिस से सभी का मन और ये पूरा भारत देश देशभक्ति की महक से महक उठेगा।