Jyoti Naresh Bhavnani

Inspirational

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Jyoti Naresh Bhavnani

Inspirational

मुश्किल दौर और इंसानियत

मुश्किल दौर और इंसानियत

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बात उन दिनों की है जब पूरे हिंदुस्तान में कोरोना महामारी का कहर फैला हुआ था। ये महामारी इस तरह से फैलती जा रही थी कि हालात दिन ब दिन बुरे होते जा रहे थे। एक तरफ इस महामारी का चारों ओर खौफ फैला हुआ था तो दूसरी तरफ लोगों के धंधे बंद हो चुके थे। कितनों की नौकरियां चली गईं थीं। उनकी आय के साधन छूट चुके थे। लोग खाने पीने के लिए मोहताज हो गए थे। उन के बच्चे भूख के मारे बिलख रहे थे परंतु उन के पास कुछ नहीं था उनको देने के लिए क्यों कि जो कुछ उनके पास बचा था वह भी आहिस्ता आहिस्ता खत्म हो चुका था। 


हिंदुस्तान के गुजरात राज्य के गांधीधाम शहर की भी यही हालत थी। उनकी ऐसी हालत देखकर हरेश कुमार नामक एक समाज सेवक ने उनकी मदद करने की सोची। उसने कुछ बड़े व्यापारियों के साथ मिलकर, कोरोना संबंधी नियमों का पालन करते हुए एक मीटिंग आयोजित की, जिसमें अपने शहर के कोरोना ग्रस्त घरों में तथा इस महामारी की वजह से जिन घरों के आय के साधन लगभग खत्म हो चुके थे, उनकी मदद हेतु विचार विमर्श किया गया। कितने ही व्यापारी इस संबंध में अपनी आर्थिक सहायता देने के लिए तैयार हो गए। पर सिर्फ इतना ही काफी नहीं था उनकी मदद के लिए क्यों कि उनकी सीमा मर्यादित थी। कोरोना के चलते कुछ ही लोगों को इस मीटिंग में बुलाया गया था। जैसा कि हरेश कुमार जी एक समाज सेवक थे, इसलिए उनके पास शहर के अधिकांश नागरिकों के फोन नंबर उपलब्ध थे इसलिए उन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जिसमें शहर के लोगों की बुरी हालत का बयां किया गया तथा लोगों को अपनी इच्छानुसार मदद करने हेतु अनुरोध किया गया। 

मुसीबत की इस घड़ी में सभी ने एक दूसरे की तकलीफ को महसूस किया और इस संबंध में इंसानियत के नाते से विचार किया। देखते ही देखते शहर के कितने लोग इस संबंध में मदद करने को तैयार हो गए। महामारी के इस भीष्म वक्त में भी हरेशकुमार जी खुद एक एक से पैसे लेने उन के घर गए और उन पैसों से उन गरीब लोगों के राशन पानी एवं घर की आवश्यक चीज़ों का प्रबंध किया और एक एक ज़रूरतमंद के घर जाकर उनको कुछ नकद धनराशि के साथ घर का आवश्यक सामान पहुंचाया। कुछ समाजसेवकों ने कोरोनाग्रस्त घरों के लिए फ्री टिफिन सर्विस की सुविधा में भी साथ दिया। कुछ लोगों ने कोरोना से पीड़ित रोगियों को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस,आवश्यक दवाओं एवं इंजेक्शन की व्यवस्था करने में भी अपना योगदान दिया तो किसी ने लोगों को टीके लगवाने के कार्य में भी अपना भरपूर साथ दिया।


इस तरह से इतने मुश्किल दौर में भी वहां के लोगों ने हिंदुस्तान को अपना हिंदुस्तान समझकर और मुश्किल में फंसे लोगों को अपना ही समझकर, एक दूसरे की जो मदद की, वह काबिले तारीफ है।




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