Sudershan kumar sharma

Inspirational

2  

Sudershan kumar sharma

Inspirational

डर

डर

3 mins
81


"डर मुझे भी लगा फासला देख कर, 

पर मैं बदल गया रास्ता देख कर, 

खुद व खुद मेरे नजदीक आती गई मेरी मंजिल मेरा हौसला देख कर।" 

ऐसा व्यक्ति ढूंढ निकालना बड़ा मुश्किल है जो नितांत निर्भय हो हर प्राणी किसी न किसी चीज से डरता है क्योंकि डरना हमारा प्राकृतिक गुण है, ज्यादातर डर इंसानों में तब देखा जाता है जब उन्हें किसी वस्तु से किसी प्रकार का जोखिम महसूस होता है जैसे स्वास्थ्य, धन, निजी सुरक्षा आदि के जोखिम, 

देखा जाए संपूर्ण जीव जगत डर की मौजूदगी के चलते ही गतिमान है, 

तो आइये बात करते कि जीवन में डर की क्या भूमिका है? 

मेरा मानना है व्यक्ति दो प्रकार के डर जन्म से ही लेकर आता है पहला गिरने का डर और दुसरा तेज आवाज का डर यह दोनों डर हमारी तंत्रिका का तंत्र महसूस करते हैं, इनके अतिरिक्त व्यक्ति आपने सर डर जीवन के अनुभवों के साथ ही अर्जित करता है, 

देखा जाए डर के पीछे सफलता व असफलता का भी राज छिपा होता है, अक्सर इंसान किसी भी काम मैं असफल होने से डरता है यानी लाभ हानि में भी डर छिपा हुआ है, सफलता विफलता के बीच बड़ी विडंबना होती है जिससे मनुष्य उलझ जाता है और डरने लगता है इसलिए मनुष्य को डर पर काबू पाना भी जरूरी है, 

देखा जाए डर मन का नकारात्मक भाव है कई बार अकेले पन से भी डर लगता है, 

कई बार डर का सकारात्मक रूप भी देखने को मिलता है जैसे इम्तिहान के दिनों में बच्चों में भय होना बहुत स्वाभाविक है लगभग सभी इस भय से गुजरते हैं जो अच्छा करने के लिए प्रेरित करता है यदि जीवन मैं डर न हो तो आदमी निर्भय होकर लापरवाही करने लगता है, 

देखा जाए व्यक्ति के जीवन में डर का एक मुख्य स्थान है, 

डर का आम फोबिया सभी के मन में किसी न किसी तरह छाया रहता है लेकिन मन में ज्यादा डर बना लेने से कई रोग उत्पन्न होने लगते हैं

 यह सैल्फ कंटृोल को समाप्त कर देता है और कई आकर्षण भावों को मिटा देता है अथवा विल पावर को कम कर देता है जिससे व्यक्ति की याददाश्त भी कम होने लगती है इसलिए अगर आप विजेता बनना चाहते हो तो आपको डर का सामना करना होगा यानी इसको अभ्यास के द्वारा नियंत्रित करना होगा इसलिए इससे भयभीत मत होइये इसका मुकाबला कीजिए, नहीं तो हम कई कार्यों को करने से पीछे रह जाएंगे, 

भय तो जीवन के हर चरण में होता है यह भौतिक, भावनात्मक या सामाजिक किस्म का होता है लेकिन निरंतर कार्य करने से अनुभव प्राप्त होता है और अनुभव से आत्मविश्वास बढ़ता है और इसके बढ़ने से डर का नाश हो जाता है, 

अन्त में यही कहूंगा कि अपनी उम्र और क्षमता के अनुसार कार्य करते रहना चाहिए व हार जीत की चिन्ता नहीं करनी चाहिए क्योंकी हार से ही अनुभव और ज्ञान पैदा होता है जो हमें जीत की तरफ ले जाता है, यही नहीं कई बार डर हमें बुरी आदतों से भी सचेत करता है जिससे हमारे मन कुछ पाजटिब विचार भी आने लगते हैं और हम गलत रास्ते को छोड़कर सही दिशा मैं चल पड़ते हैं कहने का भाव  थोड़ा बहुत डर भी जरूरी है बिना डर कुछ हासिल होने में इतना मजा नहीं है इसलिए भय से भयभीत मत होए इसका स्वागत करके मुकाबला करें। 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational