डियर मोलिमा
डियर मोलिमा
डियर मोलिमा !
कैसी हो तुम ? सोचता हूँ... तुमने मुझसे जो मांग लिया था, उसे मैं किस नजरिए से देखता था। सच कहूँ तो आज तक मैं कभी समझ ही नही पाया कि तुम्हारे साथ को मैं रिश्ते की किस डोर से बांधता।
तुम एम.सी.ए. की छात्रा थी और मैं तुम्हारा युवा शिक्षक। हमारे बीच उम्र का फासला यूँ भी 4-5 साल से ज्यादा का नही था। उम्र के जिस पायदान पर तुम खड़ी थी, तुम्हारा मुझसे अधिकार मांगना गलत तो नही था, पर सच में, मैं अपने आप को लेकर आश्वस्त नही था।
एक गलती तो मुझसे भी हो गयी थी
, वो थी - शिक्षक होने के बावजूद मेरा तुमसे दोस्ताना रवैया। तुमसे फोन पर देर तक बातें करना......एस.एम.एस भेजना...... चैटिंग-शैटिंग... मैं महज टाइम पास कर रहा था और तुमने .... सब कुछ कितनी गंभीरता से ले लिया।
कितनी जोर से डांटा था तुम्हे मैनें..... वो वाकया मुझमें आज भी एक अजीब सी उदासी भर देता है। पर खुश हूँ कि आज अपने परिवार के साथ तुम खुशहाल हो और मैं अपने परिवार के साथ ।
फिर भी कभी-कभी जाने क्यूँ....आई रियली मिस यू.........।
-तुम्हारे
अयान सर