सरवन
सरवन
गाँव की मानदेय कर्मचारी अपनी साहिबा से बोली- "बैंक गए रहेन, तन्खाह नाही मिल पावा दीदी ! 'सरवन' रहैं नाही। कतो गए रहें।"
साहिबा (कुछ सोचते हुए)- "सरवन ?"
"छे-छे महीने होई गा, तन्खाह मिला नहीं, बहुत परेशानी हो गयी है का बतावा जाय? कल फिरो जईबां। सरवन अइहें, तो पइसा मिली।"
अपने कार्य में रत साहिबा ने तटस्थता से टिप्पणी की- "हम्म ! गाँव के बैंक में जब भीड़ बढ़ती है, तो सरवन (सर्वर) छुट्टी पर चले जाते हैं।"