वो मेरा नहीं था
वो मेरा नहीं था
"मैं किस हाल का हवाला दूँ माहम! मुझे तो बस ऐसा लगता है कि मैं थान का कटा हुआ वो कपड़ा हूँ, जिसे पसन्द करने के बाद थान से कटा तो लिया गया लेकिन उसमें मीन-मेख निकालकर दुकानदार को फिर वापस कर दिया गया हो। अब तो मैं दुबारा थान में जुड़ भी नहीं सकती।"
लगभग साल भर से मायके में ही बनी हुई कसफ़ ने अपनी अजीज सहेली माहम से मुलाकात पर कुछ इसी अंदाज में अपना दर्द बयान किया।
"या खुदाया कसफ़ ....शादी के तीन माह बाद ही तलाक़, ऐसा क्यूँ किया समीर ने?" माहम ने हैरत जताया।
कसफ हारी हुई आवाज़ मे बोली, "याद है माहम!... फूफी ने मुझे समीर के लिए तब पसन्द किया जब मैंने जवानी की दहलीज पर कदम भर रखा था। पंद्रह-सोलह साल की उम्र से ही मैंने उसे चाहा, प्यार किया और उसे पा भी लिया, पर उसे पाने के बाद पता चला कि वो तो मेरा था ही नहीं।"