Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Vijaykant Verma

Inspirational

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Vijaykant Verma

Inspirational

डियर डायरी(30/03/2020)

डियर डायरी(30/03/2020)

2 mins
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अगर मैं माँ के गर्भ में 9 महीने रह सकती हूँ, तो क्या आप भारत माँ के लिए 21 दिन घर में नहीं रह सकते..? Stay Home, Be Safe" आज सुबह उठते ही अपने दैनिक जागरण अखबार के पहले पन्ने पर सबसे ऊपर एक बच्चे की प्यारी सी तश्वीर के साथ उपरोक्त सीख ने मन को मोह लिया। मेरे दिल ने कहा, "मुझे भी आज इस लॉक डाउन से संदर्भित कोई पॉज़िटिव कविता या कोई स्लोगन लिखना चाहिए।

मैंने कुछ देर तक सोचने के बाद निम्न पक्तियां लिखी~ अब इक्कीस दिन घर में ही रहना है अपने अधूरे कामों को पूरा करना है। बहुत दिनों तक दूर रहा हूं अपनों से अब उनके नजदीक आना है।

आपस में है जो गलतफहमियां उन गलतफहमियों को मिटाना है। प्यार से छोटे बच्चों के संग खेलना, नाचना और गाना है। दो पलों की यह घरेलू मुस्कान दिल को कितना सुकून देती है। बिखरे हुए आपसी रिश्तों में खुशी की माला पिरो देती है।

इस कविता को लिखने के बाद कई बार मैंने पढ़ा और मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। फिर कुछ स्लोगन भी लिखा मैंने~ 1~ लॉक डाउन में घर पर रहे। बिना जरूरत घर से बाहर न निकले।। 2~ कोरोना को हराना ही होगा।

सरकारी आदेशों का पालन करना ही होगा।। 3~ रिश्तो में आना जाना बंद करिए। व्हाट्सएप से हाल चाल लेते रखिये।। 4~ कोरोना को हमें हराना है। कुछ दिनों तक क्वारंटाइन में रहना है।

5~ अनजान विदेशियों को अगर आसपास देखें। पुलिस को तुरंत इसकी सूचना दें।। इतना सब कुछ लिखने के बाद कुछ और कविताएं और शायरी मैंने लिखी। कुछ पुरानी मैगज़ीन्स ढूंढ कर उनमें छपी कहानियां कविताएं पढ़ी। जफिर रात के खाने में मैंने मूंग की दाल की खिचड़ी बनाई, जिससे पेट सही रहे और नित्य की भांति कुछ पुराने गीत संगीत सुनें, रामायण और महाभारत देखा, डायरी लिखी और इस उम्मीद में, कि कल का दिन और अच्छा बीते, ईश्वर का नाम लिया और सो गया।


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