Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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Vijaykant Verma

Tragedy

3  

Vijaykant Verma

Tragedy

डियर डायरी 16/04/2020

डियर डायरी 16/04/2020

3 mins
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क्या लॉकडाउन का अर्थ जिंदगी को दांव पर लगाकर घर में रहना है..? आज दिल दहला देने वाली एक खबर सुनने को मिली, जब एक बीमार पिता को अस्पताल पहुंचाने के लिए उसके बेटे को उसे गोद में उठाकर एक किलोमीटर तक पैदल भागना पड़ा..! कारण यह कि पुलिस ने ऑटो को आगे जाने नहीं दिया। कोई बताएगा, कि एक बीमार के ऑटो से अस्पताल ले जाने से कौन से लॉकडाउन का उल्लंघन होता..? 

सवाल यह है, कि सरकार अगर कोई आदेश देती है, तो उस आदेश की आड़ में यह पुलिस वाले और प्रशासनिक अधिकारी अक्सर मानवीयता को भी भूल जाते हैं। यह घटना केरल की है, जब एक बेटा अपने 65 वर्षीय वृद्ध पिता को अस्पताल ले जाने के लिए ऑटो को मंगवाया, लेकिन पुलिस ने ऑटो को नहीं जाने दिया..! और तब मजबूरन उस बेटे को अपने पिता को गोद में उठाकर एक किलोमीटर तक भागना पड़ा।

इस तरह की यह कोई अकेली घटना नहीं है। पुलिस प्रशासन और डॉक्टरों की यह अमानवीयता अक्सर देखने सुनने को मिलती है। कभी कोई अपने वृद्ध पिता को ठेले पर लेकर भागता है। और कभी कोई मजबूर लाचार सवारी न मिलने पर रास्ते में ही दम तोड़ देता है। जबकि यह सारी सरकारी सेवाएं कागजों में हमेशा चुस्त दुरुस्त रहती हैं! और ये डॉक्टर, जिन्हें हम भगवान मानते हैं, कभी-कभी इनका शैतानी रूप भी देखने को मिलता है। इमरजेंसी में होने के बाद भी मरीज को दौड़ाया जाता है और मरीज मर जाता है। और बड़े अधिकारियों का जवाब तो और भी निंदनीय होता है, जब वो कहते हैं, कि लिखित शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी..!

क्या आपको मालुम है, कि वो ऐसा क्यों कहते हैं..? ऐसा वो इसलिए कहते हैं, क्योंकि वो जानते हैं, कि एक गरीब, जिसके सामने अपनों की लाश पड़ी हो, वो रोता कलपता अपने घर वापस चला जाएगा, और कहीं कोई शिकायत नहीं करेगा, क्योंकि उसके जेब में कौड़ी भी नहीं है और न उसकी शिकायत कोई सुनने वाला है..! यह तमाशा एक दिन का नहीं, बल्कि रोज का है। आप कोरोना का आंकड़ा रोज देते हो तीन सौ मर गए, चार सौ मर गए..! लेकिन वो आंकड़ा कभी नहीं देते, कि डॉक्टरों की लापरवाही से साल भर में कितने हज़ार मर गए...! 

और यह एक बहुत बड़ा सत्य है, जिसे हम जानते हैं, आप भी जानते हैं, सरकार भी जानती है, मगर कागजों पर सब दुरुस्त रहता है! कागजों में ये डॉक्टर, ये पुलिस वाले, ये प्रशासनिक अधिकारी सब भगवान है। पूजनीय है। लेकिन गरीबों की आहें अपना असर जरूर दिखाती है! और उसी का परिणाम है इस तरह की आपदाएं..! आप किसी को तड़पाओगे, तो आपको भी एक दिन तड़पना ही पड़ेगा..! और एक दिन आपको भी पूछने वाला कोई न होगा..! न इस धरती पर और न आसमान में..! जो ज़िन्दगी देते हैं, अगर वो ही ज़िन्दगी लेने लगें तब क्या करेगा एक मजबूर इंसान जब बचाने वाले ही उसे तड़पाने लगें उसकी जान लेने लगें..!


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