ढलती साँझ का मंज़र
ढलती साँझ का मंज़र


हद दर्जे की ख़ामोशी दोनों' साथ बैठे हुए थे!
"दीवार घड़ी की टिक टिक और उन दोनों के दिलों की धड़कन में जैसे कॉम्पिटिशन चल रहा हो!"
'अनगिनत शब्द होठों पर आकर ठहर जाते!' "पर मुँह से एक शब्द न फूटता दोनों के!"
"फेसबुक की दोस्ती, कब करीबी दोस्ती में बदल गयी दोनों को ही पता न चल पाया!"
एक दूसरे की पोस्ट लाइक करते करते एक बार किसी विषय पर चर्चा शुरू हुई और यहीं से पहली बार चैट पर बातचीत शुरू हुई!
शुरू शुरू में तो गुड मॉर्निंग, हैलो, हाय.. यही चलता रहा.. दोनों के बीच की बढ़ती नज़दीकियों से दोनों अब भी अंजान थे!
पर उनके दोस्त उन्हे एक दूसरे का नाम लेकर छेड़ते और बताओ तुम्हारे रायटर साहब के क्या हाल हैं..?
"चुप कर यार क्या बदतमीजी है ये?"
अब अगर तूने मुझे चिढ़ाया न तो समझ ले की दोस्ती ख़त्म.. सुनयना ने दिशा से बोला!
"ओह..! अच्छा, अब समझी.. बात इतनी बढ़ चुकी है कि मैडम को अपने उनके बारे में किसी और की बात करना भी पसंद नहीं...?"
दिशा..सुनयना का चेहरा लाल हो गया!
वो खुद नहीं जानती थी कि कितनी ही बार वो पंकज का नाम लेती जब भी किसी कहानी पर या फेस बुक पोस्ट पर बात होती तब सुनयना की सुई पंकज पर अटक जाती!
यही हाल पंकज का भी था अक्सर ही सुनयना के शेर दोस्तों के बीच में सुनाता था!
उसके दोस्त चिढ़ाने के उद्देश्य से सुनयना के शेर पढ़ते और कहते कितना अच्छा लिखती है कमाल की शायरी करती है और दिखने में भी हसीं है.. काश कि कोई ऐसे शेर हमारे लिए लिखे तो उसके हाथ चूम लें!
पंकज का गुस्सा चेहरे पर नज़र आ जाता पर वो चुप रह जाता अभी तक ऐसी कोई बात दोनों के बीच नहीं हुई जिससे उसे सुनयना के मन की बात पता चले!
पंकज एक प्राइवेट बैंक में जॉब करता था साथ ही स्टोरी रायटर के साथ ही स्क्रीन प्ले रायटर भी था!
उसकी कुछ किताबें भी पब्लिश हो चुकी थी और बेस्ट सेलिंग में थी!
सुनयना को लिखने का शौक कब से लगा ये तो वो खुद भी नहीं जानती.. हाँ शायरी पढ़ने और ग़ज़ल सुनने का उसका शौक धीरे धीरे लिखने में बदल गया था !
p>
उसने अपना लिखा कभी किसी से शेयर नहीं किया वो जो भी लिखती उसे अपनी डायरी में नोट कर लेती थी!
डायरी को वो सबसे छिपाकर रखती!
उसे लगता कोई पढ़कर कहीं उसकी हंसी न उड़ाए!
जब वो घर पर अकेली होती तब अपनी डायरी खोलकर पढ़ती!
अपने पसंदीदा शायरों की शायरी को वो फेस बुक पर पोस्ट करती रहती थी और मन में सोचती की कभी वो भी ऐसा लिख पाए कि लोग उसे पढ़ें उसकी तारीफ़ करें और फिर अपनी सोच पर मुस्कुरा कर रह जाती!
और एक दिन पंकज की एक कहानी
"ढलती सांझ का मंज़र"
पढ़ते हुए उसे जो भी ख़्याल आया उसने लिख कर पोस्ट कर दिया!
सब लोगों ने पसंद किया उसे कई लोगों की दाद के साथ पंकज की दाद मिली सुनयना की खुशी का ठिकाना ही नहीं था जिसकी राइटिंग की वो फैन थी उसने उसके लिखे को पसंद किया इससे ज्यादा उसे क्या चाहिए!
कितनी ही बार उसने पंकज के कमेंट को पढ़ा उसका आत्मविश्वास जाग गया!
उसने अपनी लिखी रचनाएँ फेस बुक पोस्ट करना शुरू कर दिया और आज सुनयना फेस बुक का चर्चित नाम है!
"देहली मैं एक साहित्यिक पत्रिका के विमोचन में पंकज को चीफ़ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित किया गया है और सुनयना भी शायरा के तौर पर आमंत्रित है!"
जब ये दोनों को पता चला तो उनके दिल की धड़कन उनके कंट्रोल में नहीं थी!
पंकज ने मेसेज कर के पूछा तुम आ रही हो देहली..?
"हाँ, आप से मिलना भी हो जाएगा!"
"मुझे भी बेसब्री से इंतजार है पंकज ने बोला!"
घड़ी की सुइयाँ लग रहा था जैसे धीमी गति से चल रही हैं उनके लिए ये समय काटना मुश्किल था!
आज कार्यक्रम के खत्म होने के बाद दोनों एक दूसरे के साथ बैठे हैं!
इस तरह की ख़ामोशी बिना आवाज के ही न जाने कितनी बार एक दूसरे को पुकारा हो दोनों ने!
तभी पंकज ने सुनयना का हाथ अपने हाथ में लेकर चूम लिया सुनयना ने बिना कुछ बोले पंकज की आँखों में देखा कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी पसरी रही दोनों के बीच का फासला धीरे धीरे मिट रहा था.. एक दूसरे की बाहों में खोए दोनों होटल की खिड़की से ढलती साँझ का मंज़र देख रहे थे!