Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
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vijay laxmi Bhatt Sharma

Inspirational

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vijay laxmi Bhatt Sharma

Inspirational

डायरी इक्कीसवाँ दिन

डायरी इक्कीसवाँ दिन

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प्रिय डायरी आज लॉक्डाउन का इक्कीसवाँ दिन है।और उम्मीद के मुताबिक़ प्रधानमंत्री जी द्वारा इसे बढ़ाने की घोषणा तीन मई तक हो गई है। मुश्किल घड़ी है और हमे कारोना वैश्विक महामारी को तीसरे चरण में जाने से रोकना है। हमे इसे हराकर इस जंग को जीतना है। इसके लिए हमे एक जुट हो लॉक्डाउन के नियम पालन करने होंगे तभी हम अपनी और अपने परिवार की रक्षा कर सकेंगे।

    प्रिय डायरी इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है की हम निराश हताश हो घर पर बैठ परेशान होते रहें। बहुत से कार्य अधूरे छूट गये हैं उन्हें पूरा कर सकते हैं। कभी सोचा होगा पुराना ट्रंक खोलूँगी आज उसे ही खोल लेते हैं.. क्यूँकि इस ट्रंक के साथ खुलेगा यादों का पिटारा। ख़ुशबू एहसासों की, बहुत सी अनकही बातें और एक लम्बी चौड़ी दास्ताँ। हो सकता इस ट्रंक से निकली इतनी सारी चीजें आपको कई दिन महकाती रहें। मधुर यादें गुदगुदाती रहें। आप एक दम किसी और दुनिया में जा खुद ही मुस्कुराने लगें। कुछ ऐसा भी मिल जाए जिसे आप कई दिन से ढूँढ रहे थे तब तो सोने पर सुहागा। इतना सब होने पर आप चुस्त और ताज़ा महसूस करेंगे। मेरा अपना अनुभव है इसलिए साँझा कर रही हूँ।

   पुरानी एलबम निकाल उसे देखा जा सकता है, मैं भी कर रही हूँ हर तस्वीर एक किस्सा कहती है .. और हर तस्वीर की एक कहानी होती है। घर के कामों के बाद जब इन तस्वीरों को देखो तो थकान कोसों दूर भाग जाती है। इन तस्वीरों की एक बड़ी बात ये है की जब भी उन्हें देखो इसके पीछे की पूरी कहानी चलचित्र की भाँति चलने लगती है। परिवार के साथ देखो तो हर किसी को हर क़िस्सा सुनाने और सुनने को मिलता है। ये पल अभी ही जिया जा सकता है फिर पता नहीं ये फुर्सत मिले या ना मिलें। भाग दौड़ की ज़िंदगी में ये एलबम धूल खा रहीं होती हैं अब वक्त है इनकी धूल साफ कर इनके साथ जिंदगी को कुछ गुनगुना लिया जाए।

अच्छा संगीत सुना जाए जिसे हमेशा से हम फुर्सत में सुनना चाहते थे। आज मिली है कुदरती वो फुर्सत कुछ सुना जाए कुछ गुनगुना लिया जाए। 

ज़िंदगी की धुन पर कुछ देर झूम लिया जाए। कभी ध्यान से पक्षियों का कलरव भी सुना जाए महानगरों मे इस कलरव से मन को बहुत शान्ति मिलती है।

कुछ निवाला जरूरतमंदों को भी दिया जाए...एक प्रार्थना देश के सेवकों के लिए की जाय जो इस मुश्किल घड़ी में भी प्रतिदिन अपने काम अपने फ़र्ज को पूरा कर रहे हैं। एक धन्यवाद उनके परिवार को भी दिया जाय जो अपनों को इस कठिन वक्त में भी उनके कर्तव्य के बीच नहीं आ रहे। प्रणाम है सभी देश सेवकों को और उनके साहसी परिवार को। 


ज़िंदादिल हो जिया जाय। खिलखिलाकर हँसा जाय। ध्यान और योग किया जाय...  खुल कर जिया जाए। पुरानी पुस्तकों को पढ़ा जाय। ये वक्त फिर नहीं लौटेगा क्यूँ ना इस लॉक्डाउन को यादगार बनाया जाय। घर पर रह खुशी बाँटते हुए नाचते गाते धूम मचाते ज़िंदादिल हो इस लॉक्डाउन को जिया जाय।प्रिय डायरी अब विदा लेती हूँ इस विश्वास के साथ:

हम हराकर 

इस बीमारी कारोना को

ये जंग जीत 

फिर सबके साथ 

खुलकर मुसकुराएँगे।


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