डायरी दिनांक २३/१२/२०२१
डायरी दिनांक २३/१२/२०२१
शाम के पांच बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।
आज नवीन धारावाहिक वैराग्य पथ - एक प्रेम कहानी का दसवां भाग लिख दिया। आज के भाग में एक कविता भी लिखी है जो मेरे अभी तक के अतुकांत प्रयोग के अतर तुकांत रूप में है। हालांकि छंद मुक्त है।
वास्तव में कविता के अनेकों प्रकार बन चुके हैं। जिनमें छंद युक्त तुकांत कविता, छंदमुक्त तुकांत कविता तथा छंदमुक्त अतुकांत कविता प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त गद्यकाव्य नामक विधा भी जन्म ले चुकी है। छंदमुक्त अतुकांत कविता तथा गद्यकाव्य विधा में बहुत सूक्ष्म सा अंतर है। जहां छंदमुक्त अतुकांत कविता में शव्दों को आगे पीछे किया जा सकता है, वहीं गद्यकाव्य में लगभग इस तरह लिखा जाता है कि मानों गद्य ही लिखा जा रहा हो। पर उस गद्य में कुछ सहायक शव्दों को नहीं लिखा जाता है। यदि सारे शव्दों को लिख दिया जाये तो गद्यकाव्य पूरी तरह गद्य बन जायेगा।
बहुत समय से कविता का अभ्यास छूटा हुआ है। इसलिये लग ही नहीं रहा था कि शायद आज के अर्थ में सही तरह कविता लिख पाऊं। इसलिये आज समय अधिक लग गया। लगभग जितने समय में कविता लिखी, उतने ही समय में पूरा भाग लिख गया।
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में हताशा के अवसर आते हैं। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कठिनाइयां आती है। अक्सर मनुष्य को अपनी परेशानियां बहुत ज्यादा लगती हैं। पर जब दूसरों की परेशानी पर नजर पड़ती है तो फिर खुद का कष्ट बहुत कम लगता है।
अभी तक तितली उपन्यास का तीसरा खंड पूरा पढ़ लिया है। तितली के जीवन में असंख्य परेशानियां आ चुकी हैं। चौबे और तहसीलदार के कुचक्र के कारण उसकी खेती बेदखल हो चुकी है। दूसरी तरफ जमींदार इंद्रजीत ने भी अपनी जमींदारी अपनी मां को सौंप दी है। तहसीलदार के इशारे पर निर्धन गांव बाले की सहायता कर रहे तितली के पति पर फौजदारी हो चुकी है। वह भाग चुका है।
तितली अपनी ननद राजकुमारी से कहती है - हम दोनों को इस भीषण संसार से तब तक लड़ना होगा, जब तक वे लौट न आयें।
ये पंक्तियाँ किसी भी हारे हुए मन में उत्साह भरने के लिये पर्याप्त हैं।
आज कल्याण का दिसंबर महीने का अंक मिला। इस अंक की विशेषता है कि जिस तरह तीर्थ में किया पुण्य बहुत अधिक फलदायी होता है, उसी तरह तीर्थ में किया पाप भी बहुत ज्यादा फलदायी होता है।
आजकल तीर्थों में जिस तरह पाखंड का बोलबाला है, जिस तरह अनेकों धर्म रक्षक पापाचार में लिप्त हैं, लगता है कि शायद इन्होंने इन बातों को पढ़ा ही नहीं है। अथवा संभव यह भी है कि अनेकों ईश्वर भक्ति का पाखंड करने बाले वास्तव में ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास ही नहीं करते हों। शायद उनके लिये ईश्वर का नाम भी अपने भोगों की प्राप्ति का साधन मात्र है। वैराग्य की शिक्षा देने बालों की वैराग्य हीनता, सदाचार का पाठ पढ़ाने बालों की चरित्र हीनता निश्चित ही चिंता का विषय है।
वर्ष २०२२ के शुरुआती महीनों में ही उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव संभव हैं। स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी के अनुसार फरवरी २०२२ तक कोरोना के नये वैरियेंट ओमिक्रोन की तहर आने की संभावना है। वैसे रैलियों का माहौल तो अभी से बनने लगा है। ऐसी स्थितियों में लगता है कि भविष्य में खतरा बढ़ सकता है।
आज चौधरी चरण सिंह जी का जन्म दिवस है। चौधरी चरण सिंह जी एक किसान नेता के रूप में अधिक प्रसिद्ध हुए। उनकी अधिकांश राजनीति किसान विकास से संबंधित थी। निश्चित ही सत्ता में रहते हुए उन्होंने अनेकों सुधार किये। पर उनकी सरकार बहुत अधिक समय तक शासन न कर पायी।
जहां चौधरी चरण सिंह जी ने समूचे किसान वर्ग के नेता के रूप में अपनी छवि बनायी, वहीं उनके पुत्र चौधरी अजीत सिंह उनकी छवि और विरासत के साथ न्याय नहीं कर पाये। किसान नेता के पुत्र मात्र जाट नेता तक सिमट गये। हालांकि राजनीति में जातीय समीकरणों का पर्याप्त महत्व रहा है। पर केवल जातीय समीकरण के आधार पर राजनीति बहुत अधिक प्रभावी नहीं होती है।
दो दिनों से अच्छी धूप निकल रही है। इसलिये दिन में जरा गर्मी रह रही हैं। वैसे सुबह और शाम पर्याप्त ठंड का माहौल है।
एटा शहर में अभी तक प्रशासन की तरफ से न तो रैन बसेरे की व्यवस्था हुई है और न ही अलाव की व्यवस्था की गयी है। हालांकि दो दिनों से दिन में कुछ गर्मी है। फिर भी प्रशासन को उचित कदम उठाने चाहिये।
आज के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।
