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Dr. Pradeep Kumar Sharma

Abstract Drama Action

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Dr. Pradeep Kumar Sharma

Abstract Drama Action

दाई के मया

दाई के मया

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दाई के मया

हामर बिहाव ला छह महिना ले भी जादा समय हो गये रहय। मोर दाई ह अपन बहूरिया के अब्बड़ मया करत रहय। मँय सोचेंव कि अभी नवा-नवा हे, तेखर सेतिक अयसन हावय, लेकिन तीन बछर बाद भी उही हालत देख के एक दिन मँय दाई ले पूछ डारयंँ - ‘‘कस गे दाई, तँय त अपन बहूरिया ला अतका मया करत हस, जइसे कि ऊहर तोर सगी बेटी होवय।’’
दाई कहिस, ‘‘बेटी अपन कहाँ होथे बेटा ? बिहाव के बाद तो वोहर परायी हो जाथे। अऊ बिहाव के बाद परायी बेटी जब अपन के सगी हो जाथे, तो फिर मँय ओला काबर मया नई करहूँ ?
दोई के बात सुन के मोर मन भर गे। मँय सोचेंव, जमों दाई-बहिनी अइसन सोच राखें, तो आज दहेज कोनो समस्या नई हो सकय।
-डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़


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