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Dr. Pradeep Kumar Sharma

Tragedy Action Crime

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Dr. Pradeep Kumar Sharma

Tragedy Action Crime

कुत्ते से सावधान

कुत्ते से सावधान

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लघुकथा 

कुत्ते से सावधान

मुझे मंत्रीजी ने कहा था कि "साहब लोगों से ऑफिस में अच्छे से बातचीत नहीं हो पाती है। इसलिए साहब से घर में जाकर डिस्कस कर लेना।"

मैंने उनके पी ए के माध्यम से साहब से समय लिया और निर्धारित समय पर उनके बंगले में हाजिर हो गया। साहब के सरकारी बंगले के गेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था- 'कुत्ते से सावधान।'

मैंने कालबेल बजाया। आवाज़ सुनकर एक बहुत बड़ा-सा कुत्ता भौंकता हुआ मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। उसकी आवाज और रंग-रूप देखकर मेरा कलेजा मुँह को आ गया। हालांकि कुछ ही सेकंड में साहब खुद आ गये और उनके निर्देश पर वह कुत्ता चुपचाप वहाँ से खिसक गया।

प्रथम दृष्टया साहब बहुत ही सौम्य और शांत स्वभाव के लगे। सौजन्यवश मैंने साथ में लाया हुआ गुलदस्ता व गिफ्ट का पैकेट उन्हें थमाया और उनके कहे अनुसार उनके बैठक में आकर बैठ गया।

पाँच-सात मिनट की चर्चा के बाद जब मैं लौट रहा था, तब भी वह कुत्ता एक बार फिर जोर से भौंका। इस बार मुझे डर नहीं लगा, क्योंकि उससे भी खूँखार कुत्ते से मिलकर जो आ रहा था। अब तो मुझे इस कुत्ते पर तरस आ रहा था कि वह भी किस कुत्ते की चौकीदारी कर रहा है।

- डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

रायपुर छत्तीसगढ़



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