छोटा सा खत
छोटा सा खत
तारीख: _____
प्यारी डायरी,
उसके मेरे बीच कभी कोई खतो किताबत नही हुई मगर इस बार उसने अपना पहला "छोटा सा खत " मुझे ईमेल किया है।
जानती हो ये फिर से अजीब लग रहा है क्यूँकी अब तो हम कभी कभार चैट भी कर लेते हैं ।हाँ , माना सिर्फ जन्मदिन , त्योहार और नए साल पर ही लेकिन मेरी सिचुएशन मे इतना भी तो बहुत है।
हालांकी पिछली बार उसकी जिद पर उससे किसी तरह मिली तो बड़ी देर तक वो कितनी सारी बातें करता रहा। वो अपनी कहता रहा मैं सुनती रही ।मै उसका नाम बार बार गलत ले रही थी और वो उसे मजाक समझ कर हँस रहा था ।असल मे मैं उसका नाम भूल जा रही थी। अब बहुत भूल होने लगी है। सारी दवाएं बेअसर हो रही हैं।शुक्र था रेस्तरां मे सब मुझे जानते थे नही तो घर पहुंचना उस दिन नामुमकिन था।
मगर उसकी ये ईमेल !!
खैर, तुम पढ़ना इसे और बताना क्या तुम्हे ये सिर्फ एक " छोटा सा खत " लगता है ?? इस खत मे लिखे सवालो , अहसासों का क्या जवाब दूँ?
प्रिय,
एक रिक्वेस्ट के साथ लिख रहा हूँ की मेरे इस छोटे से खत को पहले पूरा पढ लेना।
इसबार तुमसे मिला तो मैं लौटना ही नही चाहता था ।बहुत अच्छा लग रहा था की हम अब भी अच्छे दोस्त हैं और खुले मन से एक दूसरे की कह सुन रहे है । जानती हो, उन पलों को मैं यहां यादों मे बार बार जीता हूँ।
लेकिन तब, जब तुमने कहा ,अब तुमसे बातें, लोग याद नहीं रहते। कोई कभी मिलता है और पूछता है, "पहचाना मुझे ?" या " याद है वो बात !" तो एकदम से ब्लैंक हो जाता है सब कुछ। जरा सा भी याद नहीं आता। मैने तब तुमसे कुछ पूछना चाहा था मगर पूछ नही पाया।
मैं पूछना चाहता था, तुम्हारा भूल जाना फिर कोई बहाना तो नही न मेरे लिये ? तुम मुझे तो याद रखोगी न ?!!
देखो , तुम जानती हो तूम्हे भुलाना मेरे बस में नहीं है। मगर सच, इस रंगबाज़ दुनिया को देख कर और तुम्हे लेकर अब मैं अक्सर सोचता हूँ कि तुम्हे मैं याद तो रहूँगा न ? तुम इस दोस्त को फिर तो न भुला दोगी?
प्लीज जवाब जरुर देना। मैं प्रतीक्षा मे रहूँगा।
तुम्हारा
अपना
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बताओ, रिप्लाई क्या करूं मैं ? क्या जवाब दूँ ।उसे तो अंदाज़ा भी नही कुछ! वो अपनी अलग सी खूबसूरत दुनिया मे मुझे और खुद को देखे जा रहा है। सोचती हूँ उसे अपनी अल्झाइमर की कंडीशन बता दूँ। कम से कम वो विक्टिम तो न बने । मगर फिर उसको जानती भी हूँ , सब छोड़ चला आया तो ? उसकी अपनी लाइफ, करीयर सब बर्बाद ....।
छोड़ो ,इसका रिप्लाई ही नही करती।कुछ दिन बद्तमीज, स्वार्थी, धोखेबाज ही समझेगा न?! फिर आज़ाद हो जायेगा मुझ अज़ाब से हमेशा के लिये।
चलो , दवा का अलार्म बजने लगा है ,अब अपनी दवा ले लूँ ।
मिलती हूँ जल्दी ही।
तुम्हारी
हमेशा।