छल का फल
छल का फल


चमन और चंचला दोनो पति पत्नी है।दोनो का विवाह हुए दस वर्ष बीत गए। उनके एक पुत्र रमेश और एक पुत्री प्रतिभा है।दोनो का परिवारिक जीवन बहुत खुशहाल है।
उनका घर काफी बडा है इसलिए उन्होंने कुछ कमरे किराए पर उठा रखे है। जिनमे कई किराएदार रहते है। एक दिन एक युवक उनके घर किराएदार के रूप मे आया।वह काफी सुन्दर और हंसमुख था।
चमन कारोबार मे व्यस्त होने के कारण घर पर अधिक समय नही दे पाते। प्रतिभा और रमेश स्कूल चले जाते।घर पर अकेले चंचला रह जाती। धीरे-धीरे अकेलापन चंचला को बेचैन करने लगा।
एक दिन चंचला को उदास देखकर उस युवक ने कहा - क्या बात है? आप बहुत उदास रहती है।
चंचला न
े कहा -कुछ नहीं मनहर ! घर पर अकेले बोर हो जाती हूं। कोई बात करने बाला भी नही।
कोई बात नही भाभी जी आप हमसे बात कर लिया करो।
इसके बाद मनहर और चंचला दोनो आपस मे घण्टों बाते करने लगे । दोनो एक दूसरे के प्रति सहज ही आकर्षित हुए। फिर तो उनका प्रेम परवान चढने लगा।
एक दिन दोनो ने एक दूसरे के होने का निश्चय करके घर छोड दिया। मनहर चंचला को लेकर दूर चला गया। कुछ दिन तो प्रेम से बीते फिर एक दिन मनहर ने पैसो की खातिर चंचला को एक कोठे पर बेच दिया। उसे वेश्यावृत्ति करने के लिए बहुत यातनायें दी गयी।
यातनाओ से तंग आकर उसने एक दिन छत से छलांग लगा दी और मृत्यु को प्राप्त हुई।