नैमिषारण्य यात्रा
नैमिषारण्य यात्रा
मैंने अपने विद्यालय में प्रधानाचार्य और अध्यापकों के साथ विचार-विमर्श कर कहीं छात्र छात्राओं के साथ शैक्षिक भ्रमण का विचार बनाया। सभी ने नैमिषारण्य की यात्रा का सुझाव दिया। अगले दिन सभी स्टाफ बच्चों के साथ सुबह ही किराए पर गाडी लेकर यात्रा पर चल पड़े। पाली से नैमिषारण्य के मार्ग पर पड़ने वाले पिहानी के पास स्थित धोविया आश्रम पर सबसे पहले हम लोग पहुंचे वहां के सुन्दर प्राकृतिक दृश्य और निराले वातावरण ने सभी का मन मोह लिया। हम सभी ने वहां गोमती नदी में मिलने वाले जल श्रोत को देखा और प्राचीन ऋषियों के दर्शन किए।
वहां से आगे चलकर हम सब नैमिषारण्य पहुंचे। वहां सभी ने चक्र तीर्थ में स्नान करके लालता माता के दरबार में दर्शन किए। इसके बाद व्यास गद्दी सूत गद्दी मनु शतरूपा तपस्या स्थल आदि के दर्शन किए। पाण्डव किला में द्रौपदी सहित पांचों पाण्डवों के दर्शन किए।
किले के पास स्थित पाण्डव कूप भी देखा। यहां से आगे चलकर हम सब ने हनुमान गढ़ी में हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।बच्चों को धार्मिक नगरी मे बहुत अच्छा लगा ।
नैमिषारण्य से बाहर निकलते समय मार्ग में स्थित देवपुरी में विभिन्न देवी देवताओं के 52 मंदिरों को देखकर हम सभी मिश्रिख के लिए चल दिए।
मिश्रिख में आकर हम सब ने महर्षि दधीचि आश्रम में दधीचि कुंड और अस्थिदान स्थल के दर्शन किए। यह पर देवासुर संग्राम के समय ऋषि दधीचि ने अस्त्र-शस्त्र बनाने के लिए देवराज इन्द्र को अपनी अस्थियां दान दी थी। यहां दर्शन कर हम सब वापस घर की ओर चल दिए। रास्ते में लौटते समय हरदोई में हरदोई के बाबा मंदिर तथा विक्टोरिया मेमोरियल देखते हुए हम सब घर आ गए।