भरोसा टूटा
भरोसा टूटा
आज से दस वर्ष पहले मेरे जीवन मे एक युवती का प्रवेश हुआ।उसका नाम राधा था। हम दोनो एक साथ कार्य करते थे। वह काफी हंसमुख मिलनसार और देखने मे काफी सुन्दर थी। उसे देखकर ऐसा लगता कि मै सदा इसे देखता ही रहूं। उसकी प्यार भरी बातो और चितवन का मै बिन मोल गुलाम बन गया।उसकी एक झलक मन को असीम आनन्द देती थी।
उसके साथ कार्य करते कब समय बीत जाता पता ही नही चलता। उसकी प्यार भरी बातो ने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। दिन एक अन्य सहकर्मी ने हमे बताया कि राधा फोन पर किसी से काफी देर बात करती है। तो मैने उससे पूछा तो उसने मुझे सन्तोष जनक जबाब नही दिया और यह कहकर टाल दिया बहुत सक्की हो तुम क्या तुम्हे मुझ पर विश्वास नही।फिर मै चुपचाप वहां से चला गया।
एक सप्ताह बाद एक दिन राधा काम पर नही आई।पता चला कि वह घर से गायब है। वह पडोस के ही एक लडके के साथ भाग गयी। घर बालो ने काफी खोजबीन की तो पता चला कि उसने शादी कर ली है। मुझे जब यह पता चला तो बहुत दुख हुआ। हमारी जिदगी नर्क बन गई। मुझे खुद पर भी भरोसा नही रह गया। मै यही सोचता कि उसने ऐसा क्यो किया।
हमारी इस हालत को देखकर परिवार और मित्रो को बहुत पीडा होती। वे मुझे समझाने का प्रयास करते लेकिन मेरी समझ मे कुछ नही आता। अन्ततः परिवार वालो ने सोचा इसकी शादी करा दी जाए तो शायद यह पुरानी यादे भूल जाए। और हमारी सदी करा दी गयी। लेकिन हमारी बेचैनी कम नही हुई। पत्नी भी हमारे इस तरह के व्यवहार से दुखी होती। धीरे धीरे समय बीता पत्नी के प्रेम व सहानुभूति पूर्ण व्यवहार नेमुझे सब भुला दिया। आज मैं अपने परिवार के साथ खुश और सन्तुष्ट हूं।
