सहानुभूति
सहानुभूति


दीनानाथ एक स्कूल मे अध्यापक थे। उन्हें सेवानिवृत्त हुए दो साल बीत चुके है ।उनके परिवार मे दो पुत्र और एक पुत्री है। दीनानाथ के सभी बच्चो के विवाह हो चुके है। उनका बडा बेटा अध्यापक और छोटे का अपना हार्डवेयर का बिजनेस है।
दीनानाथ और उनकी पत्नी कमला दोनो बेहद हंसमुख और मिलनसार स्वभाव के है। उन्हे बच्चो से बेहद लगाव है।
इसी लगाव और समाज सेवा के कारण वह रिटायर होने के बाद भी स्कूल के बाद कमजोर बच्चो को घर पर नि:शुल्क पढाते है। गरीब और जरूरतमंदो की भरसक सहायता भी करते है।
एक दिन वह घर से कुछ पैसे लेकर सब्जी खरीदने बाजार गये। रास्ते मे देखा बहुत भीड़ लगी हुई है पास जा देखा तो मानो सन्न रह गये उनके पास पढने बाले एक बच्चे का एक्सीडेंट हो गया था। फौरन उसे उ
ठाकर रिक्शे से अस्पताल ले गए और उसका इलाज करवाया। जब उसके माता-पिता आ गये तब घर को बापस चले।
इधर घर के सभी सदस्य परेशान हो गए कि पता नही क्यो इतनी देर हो गई। घर मे घुसते ही उन पर प्रश्नो की बौछार शुरू कर दी गई। जब दीनानाथ ने सारी बात बताई तो सभी ने एक स्वर से कहा वहां अकेले आप ही तो नही थे और भी लोग थे वे नही मदद करने को आगे आए।
दीनानाथ ने कहा-सुनो मै सबकी तरह नही हूं ,मै अपने आप मे अलग हूं। मुझे उस समय लगा कि मै मदद करूं और मैने मदद की। सोचो यह घटना हममे से किसी के साथ हो तो क्या आपमे से कोई दूसरे की मदद नही करेगा।
इस पर सभी ने एक स्वर से कहा हां।
दीनानाथ ने कहा मुसीबत के समय कोई अपना पराया नहीं होता उस समय हमे सब की सहायता करनी चाहिए और यही मैने किया ।