जल है तो कल है
जल है तो कल है


सीमा एक शिक्षित नेक सोच बाली शिक्षिका है। वह हमेशा अपने साथ साथ अपने देश और समाज के बारे मे सोचती रहती है। कहीं पर कोई भी मानवीय हितों की अनदेखी हो अथवा दीन हीन की मदद के लिए हमेशा आगे बढ़कर उनका साथ देती है ।
घर से बाहर जाते समय अगर किसी की लाइट धोखे से भी जलती हो या नल चालू हो तो आवाज देकर उसे बन्द करवाती है लड़ाई झगड़े होते देख कर उन्हें समझा बुझाकर शान्त करा देती है। समाज के हित के लिए जो कुछ भी उसे अच्छा लगता वह वही करती है ।
उसके पड़ोस में सुधा एवं कृष्णमूर्ति उपाध्याय रहते है जो जिनके विचार सीमा से बिल्कुल विपरीत है। वह मदद मांगने पर भी किसी जरूरतमंद की मदद नहीं करते उलटे अपनी सम्पन्नता की हेकड़ी दिखाते। एक दिन उनका नल जल का अधिक दोहन करने से खराब ह
ो गया तो वह बहुत दूर से पानी लेने जाते क्योंकि उनका किसी के प्रति अच्छा व्यवहार नहीं था। जब सीमा को यह बात पता चली तो तो वह उनके घर गयी और कहा उपाध्याय जी मैंने पहले ही आपको समझाया था कि प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग मत करो अब आई बात समझ में।
जल हमारे जीवन का आधार है। हमारे शरीर में उपस्थित सभी तत्वों में सबसे अधिक जल है। आप ही नहीं आप जैसे करोड़ों लोग जल का अपव्यय कर भूगर्भीय जल को समाप्त कर रहे है जिसके परिणाम बहुत गम्भीर होगे।
सीमा की बात सुनकर उपाध्याय ने कहा-सीमा बहन अब हम कभी ऐसी गलती नहीं करेंगे। प्राकृतिक संसाधनों का मैं भी संरक्षण करूंगा। आज मैं भली प्रकार जान गया हूं कि - बिन पानी सब सून
अर्थात् जीवों के लिए जल बहुत आवश्यक है ।