उपेक्षा
उपेक्षा
मधुर एक आठ वर्ष का बालक है। उसके परिवार मे माता पिता के साथ दादा दादी भी रहती है। वह प्रतिदिन उठकर बड़ो को प्रणाम करने के उपरांत ही अन्य कार्य करता है। वह अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान है।
मधुर के पिता शिक्षक और मां एक बैंक मे कार्य करती है। सुबह होते ही दोनो खा पीकर काम पर चले जाते है। मधुर को स्कूल के लिए तैयार करने की सारी जिम्मेदारी उसकी दादी उठाती है।
स्कूल के बाद मधुर का अधिकतर समय दादा दादी के साथ ही बीतता है। वह अपने दादा दादी से बहुत प्यार करता है। साम को वह दादा जी के साथ पार्क मे खेलने के लिए जाता है। साम को दादी की कहानियां सुनकर ही वह सोता है।
एक दिन की बात है उसके दादा जी छत से उतर रहे थे कि अचानक लड़खड़ाकर गिर पड़े। मधुर ने अपने पापा को फोन किया तो पिता जी ने चिकित्सक को घर भेज दिया। चिकित्सक ने दादा जी के पैर पर प्लास्टर चढा दिया।
साम को माता पिता आफिस से घर आए और खाना खाकर सो गये। कोई भी दादा जी के पास नही आया। अपने माता-पिता का ऐसा व्यवहार देखकर मधुर को बहुत बुरा लगा। उसने मन ही मन निश्चय किया कि जब तक दादा जी ठीक नही होगे हम स्कूल नही जाएंगे घर पर ही दादा जी के पास रहेगे।
मधुर ने घर पर रह दादा जी की अच्छे से देखभाल की। दवाई के साथ साथ प्यार और अपनेपन को पाकर दादा जी शीघ्र स्वस्थ हो गये।
