Manoj Kushwaha

Horror Thriller

3.3  

Manoj Kushwaha

Horror Thriller

छः कहानियाँ और सातवां सच

छः कहानियाँ और सातवां सच

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गुरुग्राम, आईटी सेक्टर कंपनियों ने जहाँ नाईट कल्चर को जन्म दिया, वहीं नाईट कल्चर ने फिर कई अलग तौर-तरीकों को, अब रात में काम करना आम हो चला था। रात भर कैब्स की आवाजाही, जगह-जगह कैब्स की भीड़ दिखना अब रोज़ का नज़ारा था। ये कहानी भी एक ऐसी ही रात की है, रात के करीब 02:30 बज चुके थे, शिफ्ट ख़त्म होने के बाद बेसमेंट में लोग बेसब्री से अपनी कैब का इंतज़ार करते, अलग-अलग ग्रुप में लोग यहाँ वहां खड़े, कोई कहीं सिगरेट और कई चाय पीते हुए दिखाई दे रहे थे। कुछ लोग अपने दिन भर के काम काज के बारे में चर्चा कर रहे थे, शनिवार का दिन था तो बहुत से दोस्त-यार दिल्ली से बाहर जाने का, घूमने का प्लान कर रहे थे और वहीं कुछ लोग घर पहुँचने की जल्दी को लेकर रोस्टर का इंतज़ार कर रहे थे।

रोस्टर ! अपने आप में बहुत रोचक होता है क्यूंकि वो ये बताता कि पहले किसका ड्राप होगा इस रहस्य से पर्दा वही उठता है। अमूमन शनिवार के दिन भीड़ काम होती थी क्यूंकि कई लोग अपनी गाड़ियों से चले जाते थे और कई अपने प्लान के हिसाब से घूमने फिरने लेकिन कभी इससे बिल्कुल उलट कई बार 2 रुट के एक हो जाने से गड़बड़ भी हो जाय करती थी। आज उसी गड़बड़ का दिन था तुगलकाबाद एक्सटेंशन का रुट, आया नगर, मेहरौली, ज़ाकिर नगर के साथ मिला दिया गया और कैब में जाने वाले सभी लोग सर पकड़ कर बैठ गए। कोई और चारा नहीं था तो समझौता करने के सिवा दूसरा कोई रास्ता था ही नहीं।

आज वाला ड्राइवर नया था, उसे रुट के बारे में कुछ जानकारी नहीं थी और वो कोई बड़ी दिक्कत भी नहीं थी, रुट तो पता चल ही जाता लेकिन आज तो कुछ नया ही होने वाला था। सात लोग और छः कहानियां, बहरहाल कैब आज का गुरुग्राम, तब के गुडगाँव, Infinity Towers से मेहरौली-गुडगाँव रोड से अर्जन गढ़ मेट्रो स्टेशन होते हुए पहले ड्राप की ओर बढ़ी। शनिवार का दिन था, FM पर बड़े ही मनमोहक गाने चल रहे थे, इसी बीच ड्राइवर ने पुछा, "जी, पहला ड्राप आया नगर का है और मुझे रास्ता नहीं पता है, प्लीज बता दीजियेगा " तो पीछे से सुनील बोलै, "कि भैया मेरा ड्राप है, मैं बता दूंगा।" आया नगर की ओर कैब मुड़ी वहां एयरफोर्स का राडार यूनिट है जिस कारण से फम की आवाज़ रुक रुक कर आने लगी तो फ्रंट सीट पर बैठे शिवा ने FM ही बंद कर दिया और कैब में शांति सी छा गयी जिसे पीछे से आई आवाज़ ने तोड़ा और पूछा, "अरे तुममें से किसीने कभी भूत देखा है क्या ?"

तभी ड्राइवर ने बड़ी ही तेज़ी से ब्रेक लगाए जिससे गाड़ी में बैठे सभी लोग आगे सीट से टकरा गए और उस पर चिल्ला उठे, "अबे, पागल है क्या, गाड़ी नहीं चलानी आती?" "ऐसे क्यों ब्रेक लगा दी कोई भूत देखा लिया क्या ?" उसने डरते हुए बोला, नहीं सर एक काली बिल्ली रास्ता काट गयी, बड़ा अशुभ होता है ऊपर से आप लोग भूत-प्रेत कि बातें कर के डरा रहे हो, हमें बहुत डर लगता है सर भूतों से, एक बार हमारे गाँव में !! बस-बस, आगे बैठे शिवा ने उसकी बात काटते हुए कहा, "अरे भूत वगैरह मन का भ्रम होता है और ये क्या काली बिल्ली लगा रखा है, सब अन्धविश्वास है जल्दी चलो यार घर भी पहुंचना है।" ड्राइवर ने कुछ सकुचाते हुए गाडी आगे बढ़ाई और पूछा, ठीक है सर लेकिन पहला ड्राप है किधर? पीछे से फिर आवाज़ आई वहीं उसी जगह पर, अच्छा तुम पहली बार आये हो न? शमशान घाट पर उतार देना!!

ड्राइवर ने फिर से ब्रेक लगाते हुए कहा, " शमशान घाट !! भैया हम वैसे ही डरे हुए हैं और आप अनाप शनाप कहे जा रहे हैं।" इस पर शिवा ने कहा, "सही कह रहा है वो, उसका ड्राप शमशान पर ही होता है, तुम डरो मत जल्दी चलो, कल छुट्टी है जल्दी घर भी पहुंचना है।" पीछे से सुनील बोला, "क्यों जल्दी कर रहा है शिवा मेरा ड्राप आने में अभी टाइम है, लेट तो आज तू होगा ही वैसे भी पूरे रस्ते में अंधेरा है"। अँधेरे का नाम सुन कर ड्राइवर और दर गया, वो पहले ही काली बिल्ली को भुला नहीं पा रहा था। सुनील ने फिर कहा, "चलो Time Pass के लिए तुम सभी को एक हॉरर स्टोरी सुनाता हूँ।" हॉरर शब्द सुनते ही कैब में बैठे बाकी लोग उत्सुक हो गए और आतुरता में हामी भर दी बस शिवा और ड्राइवर चुप रहे, ड्राइवर डर के मारे चुप था और शिवा को आज जल्दी घर जाना था। रात के 03:15 बज रहे थे, गाडी आया नगर की अँधेरी गलियों में से होती हुयी शमशान घाट की ओर बढ़ रही थी, वहाँ रोशनी या तो चाँद की थी या तो गाड़ी की हेडलाइट्स की, बाकी चारों ओर एक गुप्प अँधेरा पसरा हुआ था और इसी सुनसान, अंधेरी सड़क पर शुरू हुई पहली कहानी !!

                               पहली कहानी : शमशान घाट और टॉर्च वाला दोस्त

सुनील ने अपनी कहानी शुरू करते हुए कहा, "मैं पिछले एक साल से इस कंपनी में काम कर रहा हूँ और लगभग छः महीने से यहाँ शमशान घाट के पास रहना शुरू किया था। शुरुआत में मुझे भी बहुत डर लगता था, एक तो शमशान घाट के नाम से कोई ड्राइवर ड्राप करने नहीं आता था और जो आता भी था तो उससे आगे नहीं जाता था, घर तो मेरा और आगे पैदल रास्ता तय कर के आता था। एक शनिवार को जब मेरा ड्राप होना था तो मैंने देखा कि एक लड़का पहले से वहाँ टॉर्च लिए खड़ा था लेकिन आगे नहीं बढ़ रहा था, इतने में ही मेरा ड्राइवर मुझे ड्राप करके चलता बना। टॉर्च वाले लड़के ने पहले पूछा, "भैया आप कहाँ रहते हो, यहाँ से आगे जाने में आपको डर नहीं लगता ? आपको कभी कोई भूत नहीं मिला ?" इससे पहले कि वो कुछ और पूछता मैंने उसे रोका और कहा, "अरे भाई! ये भूत वूत कुछ नहीं होता बस मन का वहम है" फिर यूँ ही बातें करते हुए दोनों आगे चल पड़े, बातों ही बातों में घर कब आ गया पता ही नहीं चला।

अब रोज़ की तरह डर नहीं लगता था वो दूसरा लड़का पहले से ही टॉर्च लिए मेरा इंतज़ार किया करता था फिर दोनों साथ घर के लिए चल पड़ते। ये सिलसिला यूँ ही कुछ महीने चला तो एक दिन मेरे कैब ड्राइवर ने पूछा, "कि भैया आप रोज़ किसके साथ जाते हो, आपका कोई दोस्त रिश्तेदार है क्या ?" मैंने कहा, "कि नहीं यार किसी कंपनी में काम करता है मुझसे पहले ड्राप होता है, रहते भी आस पास ही हैं तो साथ चले जाते हैं।" "ओह ! अच्छा" ड्राइवर ने कहा मेरा एक ड्राइवर दोस्त है जो इसी जगह से एक पिक अप के लिए आया करता था उसने मुझे अभी कल ही बताया कि एक लड़का इसी जगह से आता था, आसिफ !!

सीधा साधा लड़का था, ऐसे ही हाथ में पुराने मॉडल का टॉर्च लेकर आया करता था लेकिन जिस दिन आप यहाँ शिफ्ट हुए उसके एक दिन बाद से ही उसने आना छोड़ दिया। आज कई महीनों बाद मेरे उसी ड्राइवर दोस्त से पता चला कि गाँव में एक एक्सीडेंट में उसकी मौत हो गयी है और लाश के पास से वही पुराने मॉडल की एक टॉर्च बरामद हुई जिससे उसकी शिनाख्त हो सकी, ड्राइवर की बातों से मैं कुछ डर सा गया लेकिन मैंने उसके सामने नार्मल रहने कि एक्टिंग करी। अभी ड्राइवर ने अपनी बात ख़त्म ही की थी कि मेरा ड्राप आ गया, तो देखा कि आज भी वो लड़का पहले से ही खड़ा था लेकिन उसकी टॉर्च सही से नहीं जल रही थीI

मैं हिम्मत कर के कैब से उतरा, धीरे-धीरे चलता हुआ उसके पास पहुंचा और बोला, "क्या हुआ भाई? आज तुम्हारी टॉर्च सही से नहीं जल रही " उसने कहा, "हाँ, भाई पुराने मॉडल की है और पिछले कुछ महीनों से बैटरी चेंज नहीं कर पाया, बस इतना कहते ही टॉर्च जल उठी और रोशनी पड़ी तो आज पहली बार उसने अपने उस अज्ञात मित्र का चेहरा देखा तो उत्सुकतावश पूछ बैठा, "अरे भाई, तुम्हारे चेहरे पर ये निशान कैसा? उसने बताया, "कि कुछ समय पहले अपने गाँव गया था तो वहीं एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया था बस उसी का निशान रह गया!! कम्बख्त जाता ही नहीं? चलो हम घर चलते हैं इस सब के बीच कैब जा चुकी थी, मैं, मेरा अज्ञात मित्र और सुनसान शमशान के सिवा वहाँ कुछ भी नहीं था।

आज रास्ता कुछ लम्बा लग रहा था, शमशान पार कर के जब मेरा घर आया तो मैंने उससे पूछा, "कि दोस्त, तुम कहाँ रहते हो, रोज़ मुझे छोड़ने आते हो और मैंने तो आज तक तुम्हारा नाम भी नहीं पूछा, क्या नाम है तुम्हारा ? मित्र ने कहा चलो अच्छा है दोस्त जो आज तुमने आज पूछ लिया क्यूंकि मैं कल से नहीं आ पाँऊगा। मेरा घर वैसे कानपुर में हैं, मेरे अब्बू ने वहीं कब्रिस्तान के पास मेरे लिए एक काम खोल दिया है तो अब मुझे हमेशा के लिए वहीं जाना है और रही नाम कि बात तो !! मैंने उसे बीच में रोकते हुए कहा, "आसिफ" !! इतना कहते ही उसके हाथ से टॉर्च गिर गयी, मैं जैसे ही टॉर्च लेकर ऊपर उठा तो वहाँ कोई नहीं था, वो जलती हुई पुराने मॉडल की टॉर्च और दूर दूर तक पसरे हुए सन्नाटे के अलावा।

कैब में भी सन्नाटा छा गया था, तभी चुप्पी को तोड़ती हुई शिवा कि आवाज़ आई, "सुनील तेरा ड्राप आ गया, जल्दी कर यार घर भी पहुंचना है।" कैब में अभी भी सब चुप ही थे, कहानी ही कुछ ऐसी थी, इतने में ड्राइवर ने कहा, "सर एक लड़का टॉर्च लिए शायद आपका इंतज़ार कर रहा है।" अचानक ही कैब में बैठे सभी लोग उस तरफ देखने लगे, सुनील कैब से उतरा और पूछा, "भाई किसका इंतज़ार कर रहे हो यहाँ शमशान के बाहर?" लड़के ने टॉर्च सेट करते हुए कहा, "भैया आज ही यहाँ शिफ्ट हुआ हूँ, अकेले डर लग रहा था तो सोचा कोई साथ मिल जाये तो बढ़िया रहेगा, उस ओर से आती हुई कैब देख कर रुक गया, आप भी उस पार रहते हैं क्या ?" सुनील ने बिना कुछ कहे सिर हिलाया और पूछा वैसे नाम क्या है तुम्हारा ? तो सामने से लड़के ने हाथ बढ़ाते हुए शख्स ने कहा "आसिफ" !!

इतना सुनते ही ड्राइवर ने फटाफट कैब घुमाई और वहाँ से निकल गया अगले ड्राप के लिए , कैब में अभी भी सब चुप ही बैठे थे इतने में विवेक ने कहा कि भैया अगला ड्राप मेरा है सुल्तान पुर, ड्राइवर ने ऐसे ही पूछा कि, "अब आप भी कोई भूतिया कहानी सुनाओगे क्या? यहाँ पहले ही डर के मारे प्राण निकले जा रहे हैं।" विवेक ने कहा, "अरे भैया, आप कहाँ सुनील कि बातों में आ गए वो तो ऐसे ही कहानियां सुनाता रहता है, मैं सुनाता हूँ आपको असली कहानी, आराम से चलना मेरे ड्राप में कुछ 15 मिनट तो लग ही जायेंगे तब तक कहानी ही सही, क्या बोलते हो सब ? उसने कैब में बैठे दोस्तों से सहमति चाही, कैब अब आयानगर की सुनसान गलियों से निकल कर एम् जी रोड से होते हुए सुल्तान पुरी कि ओर बढ़ रही थी, इतने में मैनरोड पर देखा तो एक एक्सीडेंट हो रखा था जिसकी वजह से लम्बा जाम लगा हुआ था और वहाँ खड़े पुलिस वाले पूरी कोशिश कर रहे थे गाड़ियां निकलवाने की। दिशा ने कहा तू कहानी शुरू ही कर दे और जल्दी ख़त्म का दियो नहीं तो फालतू में सस्पेंस बना रहेगा !! 

जल्दी ही अगले भाग में पढ़ें दूसरी कहानी !!


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