अपनी सोच – अपना नज़रिया भीनी भीनी यादों के झरोखों से बेबाक, माफ़ी नामे के साथ अपनी सोच – अपना नज़रिया भीनी भीनी यादों के झरोखों से बेबाक, माफ़ी नामे के साथ
कब्रिस्तान में जाओ और कब्रों को खूब गालियाँ निकाल कर आओ। कब्रिस्तान में जाओ और कब्रों को खूब गालियाँ निकाल कर आओ।
मेरे ख़ुशी से आँसू निकल पड़े, फिर में सोचने लगी क्या ये ख़ुशी की बात है मेरे ख़ुशी से आँसू निकल पड़े, फिर में सोचने लगी क्या ये ख़ुशी की बात है
आज वो बूढ़ा मर गया। वो बूढ़ा... जो अक्सर दिखता था उस बड़ी सी हवेलीनुमा मकान के सामने बोरा बिछाकर तन ... आज वो बूढ़ा मर गया। वो बूढ़ा... जो अक्सर दिखता था उस बड़ी सी हवेलीनुमा मकान के स...