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Fahima Farooqui

Abstract Drama Tragedy

3.9  

Fahima Farooqui

Abstract Drama Tragedy

वेंटिलेटर

वेंटिलेटर

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310


रात के 1 बजे मोबाइल बजा सपना का call था please help करो मम्मी की तबीयत बिगड़ रही है उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत है.. कुछ देर तो समझ नहीं आया क्या करूँ

फिर मैंने सब जगह पता किया

किसी भी hospital में 

 कहीं भी ventilator ख़ाली नहीं था ..इसी परेशानी में रात के 2:30 बज गए मैंने सपना को call किया उसे सब ठीक हो जाएगा कह कर हौसला दिया जब कि मैं जानती हूँ कि बहुत मुश्किल वक़्त है सभी दोस्तों को मैसेज भेजने के बाद में कुछ देर आराम करने का सोच नेट off कर room में चली गई..

क़रीब 3:45 पर रफ़ीक का call आया मैडम अभी एक पेशेंट की death हो गई है आधे घंटे में

वेंट

िलेटर ख़ाली हो जाएगा ...

मेरे ख़ुशी से आँसू निकल पड़े,

फिर में सोचने लगी क्या ये ख़ुशी की बात है ?

क्या मुझे इसी पल का इंतजार था?

किसी की जान जाए और मैं aunty को एडमिट करा सकूँ..

मुझे याद आया वो "कफ़न" बेचने वाला जो शायद कभी किसी को ज़िन्दगी की दुआ नहीं देता होगा..

वो "क़बर" खोदने वाला और वो "श्मशान घाट" का रखवाला भी जिसे दो वक़्त की रोटी किसी के इस दुनिया से चले जाने पर मिलती है..

आज में भी उनमें ही शामिल हो गई..

कुछ देर में मैंने सपना को call किया उसने फोन नहीं उठाया..

मैंने net ऑन किया..

सपना का मैसेज था मम्मी नहीं रही..


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