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Manoj Kushwaha

Tragedy

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Manoj Kushwaha

Tragedy

गाय हमारी माता है! कितना सत्य, कितना फ़साना ?

गाय हमारी माता है! कितना सत्य, कितना फ़साना ?

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 "गाय हमारी माता है" अगर आप भारतीय हैं तो ये वाक्य आपके लिए नया नहीं होगा लेकिन समय के साथ आज इस वाक्य का मतलब बहुत बदल गया है।

आज का हमारा विषय यही है कि, "क्या गाय वाकई में हमारी माता है ?" क्या आज के समय में इस वाक्य का कोई अर्थ बचा है या बस गौ माता का प्रयोग मात्र राजनीति या धार्मिक भावनाओं के हिलोरों के लिए किया जाता है।

रोजमर्रा के जीवन में आप गाय रोज देखते होंगे, आपका आमना सामना गौमाता से होता ही होगा लेकिन बस अंदाज बदल गया है। पहले घर से इंसान पहली रोटी गाय की - इस भावना से निकला करते थे और पास की गौशाला में रोटी रख आया करते थे। गौ पालक भी गाय की बहुत सेवा करते थे, खाने पीने का ध्यान रखते थे और शुद्ध दूध लोगों तक पहुंचाते थे। गाय के गोबर से घरों को लीपा जाता था लेकिन जिस तेजी से दुनिया बदली, सामाजिक व्यवस्था बदली, लोग पक्के मकानों में रहने लगे। तेज़ी से बदलती दुनिया में कारोबार तेज हुआ और इस मशीनी युग में कहीं न कहीं मनुष्य की भावना भी मशीनी हो गई।

अब हर चीज के पीछे फायदा देखा जाने लगा है, जिस गौमाता को पूजते थे वो बस एक रीति बन कर रह गई। सेवा का स्थान व्यापार ने ले लिया और गौमाता की दुर्दशा हो गई है। पहले जो गाय गौशाला में दिखती थी, वही गाय अब रोड पर बैठी हुई, कूड़ेदान के पास कूड़ा खाती हुई, कभी रोड पर दुर्घटना का कारण बनती हुई पाई जाती है।

जिसे माँ का स्थान दिया आज उसका ध्यान देने वाला कोई नहीं है क्योंकि सभी व्यस्त हैं। कभी कोई गाड़ी चढ़ा देता है तो लहुलुहान गाय घंटों ऐसे ही घूमती रहती है, लोग देखते हैं, चिंता - शोक व्यक्त करते हैं फिर आगे बढ़ जाते हैं!! क्या कोई माँ को ऐसे ही मरने के लिए छोड़ देता है इसलिए मन में ये सवाल आता है कि "क्या गाय वाकई में हमारी माता है ?"

क्यूं दूध बेचना अब गौसेवा न होकर व्यापार का रूप ले चुका है? क्यों दूध दूह कर भूखी गाय को चरने के लिए छोड़ दिया जाता है - क्या गाय सच में हमारी माता है?गाय भूख के मारे कूड़ा खाने को मजबूर है लेकिन ये सब देखकर भी गौसेवा का दम भरने वाला सीधे चला जाता है तो ये सवाल मन को कचोटता है कि - क्या गाय सच में हमारी माता है?

जब गाय बीमार पड़ जाती है, व्यापार लायक नहीं बचती : उसे मरने छोड़ दिया जाता है, कटने छोड़ दिया जाता है तो फिर क्यूं व्यर्थ ही दंभ करते हो कि गाय हमारी माता है!!

फिर आखिर क्यों भड़क जाते हो, हत्या पर उतारू हो जाते हो जब कोई गाय को खाता है क्योंकि उसने तो कभी कहा ही नहीं कि "गाय हमारी माता है" 

ये लेख आज बिना किसी निष्कर्ष के छोड़ रहा हूं, क्योंकि निष्कर्ष आप सभी की सोच पर निर्भर करता है। ये सवाल आपको खुद से जरूर पूछना होगा कि:- "क्या गाय वाकई हमारी माता है ?"


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