Kamini sajal Soni

Tragedy

2.5  

Kamini sajal Soni

Tragedy

बरगद की छांव

बरगद की छांव

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बड़े भाई की शादी की तैयारियाँ चल रही थी चारों ओर ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ सभी अपने अपने कामों में व्यस्त थे।

मेरी बेटी छोटी थी इस वजह से मुझे पहले से मायके जाने का अवसर नहीं मिला मुझे ससुराल से ही भाई की शादी में शामिल होना था।

पिताजी की बहुत इच्छा थी कि मैं शादी के सभी कार्यक्रमों में मायके से ही सम्मिलित रहूं।

पर किन्हीं कारणवश यह सब संभव ना हो सका।

इसी दौरान एक दिन मुझे ख़्वाब आया कि मेरे पिता बहुत बीमार हैं और उनकी मृत्यु हो गई।

शादी के खुशनुमा माहौल में मैं यह सपना किसी को बता भी न पाई और अंदर ही अंदर मुझे यह सपना कचोटता रहता।

मेरे पिता तो पूरी परिवार के लिए जैसे मानो बरगद की छांव हो। उनके बगैर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।

खैर..... धीरे-धीरे शादी का दिन भी नज़दीक आ गया और मैं यही से अपनी ससुराल से भाई के शादी में शामिल हुई। खूब धूमधाम से शादी संपन्न हुई पर मेरी बीच शादी में ही अचानक तबियत खराब हो गई और मैं फिर मायके नहीं जा पाई।

अब तो मुझे और भी ज्यादा घबराहट होने लगी और एक दिन मैंने माँ से कहा कि वह मुझे इस तरह का सपना आया था, आप लोग पिताजी का ख्याल रखना सभी ने कहा तुम ज्यादा सोचती हो ऐसा कुछ नहीं है पिताजी स्वस्थ हैं।

पर कहते हैं कि होनी को कौन टाल सकता है और भाई की शादी के दो माह पश्चात ही पिताजी को कैंसर हो गया।

और मैं बहुत फूट-फूट कर रोई कि मेरा बुरा ख़्वाब सच होने की कगार पर आ गया।

बहुत इलाज करवाया पर पिताजी को नहीं बचाया जा सका, आज भी पिता की स्नेहिल बरगद की छांव की कमी को हम सभी हमेशा महसूस करते हैं।



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