बंगले की कहानी
बंगले की कहानी
यह बात उन दिनों की है । जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था । तब मेरी उम्र 13 की थी । उस समय मैं अपने परिवार के साथ बड़े मजे और मस्ती करता था । मेरे परिवार में मम्मी-पापा और बहन और मेरी दादी भी रहती थी । मेरे पापा रेलवे की नौकरी करते थे।इसलिए हम लोग रेलवे के मकान में रहते थे । जब मेरे पापा रिटायर हुए तो हम लोग एक बड़े बंगले में रहने चले गए। उस बंगले में मैं बहुत खुश था । क्योंकि मैं पहले से सोच रहा था ।कि हमारा खुद का बड़ा घर हो।जब हम लोग घर में रहने गए। तो हमे एक बेचैनी सी महसूस हो रही थी । और हम रात को देर से सोते थे । क्योंकि हमें डरावनी पिक्चर बहुत पसंद थी। और हम देर रात तक टीवी देखते रहते थे और हमारा बाकी का परिवार खाना खाने के थोड़ी ही देर बाद सो जाते थे । एक दिन की बात है जब मैं रात में 11:30 बजे टीवी देख रहा था। तब मुझे लगा कि बाहर से कोई आवाज आ रही है ।
मैंने सोचा मम्मी या पप्पा पानी लेने के लिए उठे होंगे । वहीं से आवाज आ रही होगी । उस समय मैंने ध्यान नहीं दिया। लेकिन थोड़ी देर बाद जब मैंने टीवी बंद कर दी तो मुझे फिर से पायल बजने की आवाज आ रही थी कि जैसे कोई मेरे पास चला आ रहा हो । मैंने देखा तो कोई ना दिखा तो मेरे पैर थर थर कांपने लगे. और मेरे होश उड़ गए यह कैसी आवाज है। तभी पायल की आवाज बंद हो गई . थोड़ी देर बाद आवाज फिर से आने लगी तो मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
मानो मेरा दिल बाहर आ जाएगा। मैंने सोचा कि मैं यह बात सबको बताता हूं जब मैं हिम्मत जुटाके दरवाजा खोला तो मुझे वह मेरे पास बजने लगा ।
लेकिन वहां पर कोई ना दिखा तो मैं किसी तरह मम्मी के कमरे में पहुंचा .और सारी बातें उन मम्मी – पापा को बता दी। मेरे पापा मानने को तैयार नहीं थे। कि मैं सच बोल रहा हूं क्योंकि उनको जोर से नींद आ रही थी और वह थोड़े नींद में भी थे । यहां तक कि कोई ने मेरी बातों पर ध्यान ही नहीं दिया । तो मैं ने सोचा कि आज रात मैं मम्मी पापा के साथ ही सो जाता हूं ।
ऐसा करते-करते करीब 8 या 9 दिन बीत गए । तभी वह आवाज फिर से आने लगी । लेकिन वह मेरे सिवाय किसी और को सुनाई ही नहीं दे रही थी। और अब तो वह आवाज चाहे जब आने लगी।
लेकिन मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ। और मेरे पापा ने वह बंगला ही बदल दिया । और हम लोग फ्लैट में रहने चले गए। हमारे बाद उस बंगले में हमारे जान पहचान वाले लोग रहने आ गए उनका छोटा बेटा हमारा बड़ा अच्छा मित्र था। एक बार वह हमसे मिलने हमारे घर आया। और हम से पूछने लगा कि एक बात मैं तुमसे पूछ रहा हूं।सच सच बताना कि उस घर में कभी तुमने किसी के चलने या फिर पायल बजने की आवाज सुनी थी । तब तो हमें पक्का यकीन हो गया । कि उस घर में कुछ तो था । और मैंने फिर से अपने परिवार को बताया । तब उन लोगों ने हमारी बातों पर यकीन लिया।
कि अब मैं सच बोल रहा हूं। और जो लोग वहां पर रह रहे थे। उन लोगों ने उस घर में पूजा पाठ कराया। तो पता चला कि यहां पर 7 औरतों ने एक साथ फांसी लगा ली थी ।और यह उन्ही की आत्मा थी । आज मैं करीब 70 साल का हो गया। फिर भी उस घर में जाने से मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं । और उस घर की बात सुनकर मैं आज भी बहुत डर जाता हूँ।

